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पृष्ठक
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(पु० ) पदार्थ आदि का ऊपरी तल चौरस, बराबर करना; गत (वि०) पीछे की ओर का, पीछे का; गामी (वि०) पीछे चलनेवाला, अनुयायी; ज (वि०) पीछे जन्म लेनेवाला, जो बाद में पैदा हो; पट (पु० ) = पृष्ठ भूमि; ~ पोषक (वि०) पृष्ठ पोषण करनेवाला, सहायक; पोषण (पु० ) सहायता करना; पोषित (वि०) जिसकी मदद की गई हो; -भाग (पु० ) 1 पिछला भाग, पिछला अंश 2 पीठ; -भूमि (स्त्री०) 1 पीछे का हिस्सा (जैसे-मकान की पृष्ठ-भूमि) 2 भूमिका (जैसे- साहित्यिक पृष्ठ-भूमि); ~ भौमिक (वि०) पृष्ठ भूमि से संबंधित; मर्म (पु० ) पीठ पर का मर्म स्थान; ~मांसाद (पु० ) पीठ पीछे बुराई करनेवाला व्यक्ति, चुगलखोर व्यक्ति; रक्षक (वि०) पीठ पर रहकर रक्षा करनेवाला; ~रक्षण (पु० ) पीछे रहकर रक्षा करना; ~ लग्न (वि०) 1 पीछे लगा रहनेवाला 2 अनुयायी; ~ वंश (पु० ) रीढ़; ~ शीर्षक (पु०) दे० पताका शीर्षक; पृष्ठक-सं० (पु० ) पिछला भाग, पीछे का हिस्सा पृष्ठतः -सं० (अ०) 1 पीछे 2 पीछे से 3 चुपके से पृष्ठांकन - सं० (पु० ) धनादेश आदि की पीठ पर कुछ लिखना और हस्ताक्षर करना
पृष्ठांकित - सं० (वि०) हुंडी आदि में पीछे हस्ताक्षर किया हुआ पृष्ठाधार-सं० (पु०) पीठ के लिए टेक पृष्ठानुग-सं० (वि०) अनुगमन करनेवाला, अनुगामी पृष्ठास्थि-सं० (स्त्री०) पीठ की लंबी हड्डी, रीढ़ पृष्ठिका - सं० (स्त्री०) 1 पिछला भाग 2 घटना के पहले की बातें, पृष्ठ भूमि
पृष्ट्य - I सं० (वि०) 1 पृष्ठ संबंधी, पीठ का, पीछे का 2 पुस्तक आदि के पन्ने से संबंधित II ( पु० ) लदुआ घोड़ा पें- (स्त्री०) रोने आदि की क्रिया के फलस्वरूप निकलनेवाला पें-पें शब्द
पेंग - (स्त्री०) झूला झूलते समय उसका इधर-उधर जाना । ~बढ़ाना, ~मारना ज़ोर पहुँचाकर झूले को तेज़ गति देना पेंच - (पु० ) पेच पेंट-अं० (पु०) रोग़न
पेंटर - अं० ( पु० ) रंगसाज़, चित्रकार
पेंटिंग-अं० (स्त्री०) चित्रकारी, चित्रकला
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पेंडुलम - अं० ( पु० ) लोलक
पेंदा - (पु० ) 1 वस्तु का निचला भाग, तला (जैसे-बाल्टी का पेंदा टूटा है) 2 गहरी वस्तु का निचला भाग स्तर। पेंदे के बल बैठना 1 पलथी मारकर बैठना 2 हार मानकर चुप हो
जाना
पेंदी - (स्त्री०) 1 वस्तु का बिल्कुल निचला भाग, सबसे निचला हिस्सा 2 ऐसा आधार जिसके सहारे कोई वस्तु टिकी हो। बिना पेंदी का लोटा 1 ऐसा व्यक्ति जिसका कोई सिद्धांत न हो 2 वह व्यक्ति जिसकी मति सदैव बदला करे 3 वह व्यक्ति जो कभी इधर कभी उधर करता रहे, अदल-बदल करते रहनेवाला व्यक्ति
पेट
पेंशन - अं० (स्त्री०) पूर्ण अवकाश प्राप्त होने पर दिया जानेवाला वेतन, निवृत्ति वेतन । खोर, याफ़्ता + फ़ा०
(पु० ) वह व्यक्ति जो पेंशन प्राप्त करता है पेंसिल-अं० (स्त्री०) सीसे की लेखनी पेंसिलिन - अं० (पु० ) पेनिसिलिन पे-अं० (स्त्री०) वेतन । ~ ऑफिस (पु० ) वेतन कार्यालय, वेतन घर
पेउसी-बो० (स्त्री०) 1 ब्याई हुई गाय, भैंस के शुरू के पाँच-छः दिनों का दूध 2 ब्याई गाय आदि पशु के प्रारंभिक पाँच-छः दिनों के दूध में पकाया हुआ सोंठ आदि मसाला पेग -अं० (पु० ) 1 शराब एवं सोडावाटर के मिश्रण का पान 2 पीने के लिए शराब की एक नाप 3 एक बार में पी जानेवाली शराब की निश्चित मात्रा
पेंडुकी - (स्त्री०) 1 पंडुक पक्षी, फाख़ता 2 सुनारों की फुंकनी पेचीदगी - फ़ा० (स्त्री० ) 1 पेचीलापन 2 घुमावदार 3 उलझन
3 गुझिया नामक पकवान
पेचीदा - फ़ा०, पेचीला फ़ा०
पेच - फ़ा० ( पु० ) 1 एक तरह की कील जिसमें चूड़ी की तरह कई घुमाव, चक्कर होते हैं, चूड़ीदार कील, स्क्रू 2 घुमाव - फिराव, हेर-फेर की स्थिति (जैसे- जब देखो तब पेच की बातें करते हो) 3 कठिनाइयाँ (जैसे- जो भी काम किया जाए उसमें पेच ज़रूर मिलेगा) 4 पतंग की डोर का परस्पर रगड़ खाकर किसी की डोर का काट जाना 5 पतंग की डोर का परस्पर उलझाने की क्रिया (जैसे- आओ दो चार पेच लड़ाये जाऐं) 6 कुश्ती का दाँव 7 चालाकी से भरी युक्ति 8 फरेब, धोखा 9 पेट में होनेवाली पेचिश, मरोड़ 10 चारों ओर लपेटी जानेवाली वस्तु का प्रत्येक फेरा (जैसे- पगड़ी का पेच ) । ~कश (पु० ) 1 बढ़इयों, लोहारों आदि का वह उपकरण जिससे वे पेच कसते एवं निकालते हैं 2 लोहे का बना हुआ घुमावदार पेचदार उपकरण; ~ताब ( पु० ) 1 विवशता आदि के कारण न प्रकट किया जा सकनेवाला गुस्सा, अव्यक्त क्रोध 2 बेचैनी, विकलता; ~दार I (वि०) पेचवाला 2 जिसमें अनेक चक्कर, घुमाव हो, पेचीला 3 जिसमें घुमाव - फिराव, हेर-फेर हो (जैसे- पेचदार बातें मत किया करो) II ( पु० ) कसीदे का काम जिसमें सीधी रेखा के इधर-उधर फंदे भी लगाए जाते हैं; पुर्जा (पु० ) नट-बोल्ट आदि; वान (पु० ) 1 हुक्के, फरशी में लगाई जानेवाली बड़ी एवं लंबी सटक 2 बड़ा हुक्का
पेचक - फ़ा० (स्त्री०) तागे की गुच्छी, गोली
पेचक - सं० (पु० ) 1 उल्लू पक्षी 2 जूँ नाम का कीड़ा पेचिश - फ़ा० (स्त्री० ) अमाशय में मरोड़ की बिमारी
हिंο (वि०) 1 घुमाव फिराववाला 2 चक्करदार 3 उलझनवाला 4 अत्यंत कठिन एवं जटिल (जैसे- अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियाँ बहुत ही पेचीली हैं)
पेज-अं० (पु० ) पुस्तक, पत्रिका, कापी आदि के पृष्ठ का एक ओर का भाग, वरक, पन्ना (जैसे अपनी किताब का दसवाँ पेज पढ़ो )
पेट - ( पु० ) 1 शरीर के अंग का वह ऊपरी एवं मध्य भाग जो छाती के नीचे और पेडू के ऊपर रहता है 2 शरीर के अंग का वह भीतरी भाग जिसमें भोजन पचता है, अमाशय, उदर 3 गर्भाशय 4 अंतकरण, मन (जैसे- औरत के पेट में बात नहीं पचती) 5 किसी खोखली वस्तु का भीतरी भाग । चोट्टी (स्त्री०) वह स्त्री जो गर्भिणी होते हुए भी गर्भमय न जान पड़े;
दर्द
+ फ़ा० (पु०) उदर पीड़ा;
पूजा
+ सं० (स्त्री०)