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बहरियाना
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बो० नगर की सीमा के बाहर का भाग
बहाव-(पु०) 1 प्रवाह 2 धारा (जैसे-नदी का बहाव) 3 गति बहरियाना-I (स० क्रि०) बो० 1 बाहर करना 2 अलग करना, | (जैसे-हवा का बहाव)
जुदा करना 11 (अ० क्रि०) 1 बाहर होना 2 अलग होना | बहिः-सं० (क्रि० वि०) बाहर। ~स्थ (वि०) बाहर का बहरी-(स्त्री०) बाज़ जैसा एक शिकारी पक्षी
बहिन-(सी०) = बहन बहरूप-(पु०) 1 बैलों का व्यवसाय करनेवाला व्यक्ति 2 बैलों बहिनापा-(पु०) = बहनापा का पेशा करनेवाली एक जाति
बहिया-(स्त्री०) नदी की बाढ़ बहल-(स्त्री०) बैलगाड़ी, बहली। खाना + फ्रा० (पु०) बहिरः-सं० (वि०) = बहि। रंग I (वि०) बाहरी, बाहर गाड़ीखाना
का II (पु०) 1 बाहरी अंग (जैसे-अंतरंग एवं बहिरंग) बहलना-(अ० क्रि.) मनोरंजन होना (जैसे-मन- | 2 औपचारिक कृत्य 3 ऊपर का काम, ऊपरी काम; ~गत बहलना)
(वि.) 1 बाहर निकला हुआ 2 बाहरवाला, बाहर का बहलवान-(पु.) बहल हाँकनेवाला
3 अलग, जुदा; ~गमन (पु०) बाहर जाना; ~गमन द्वार बहलाना-(स० क्रि०) 1दिल खुश करना, मनोरंजन करना (पु०) बाहर जाने का दरवाज़ा; ~गामी (वि०) बाहर
2 भुलावा देना, बहकाना (जैसे-बच्चे को बहलाना) जानेवाला; मत् (पु०) बाह्य जगत्; द्वारी (वि०) घर बहलाव-(पु०) मन को बहलना
के बाहर का; ~भारतीय (वि.) बाहर रहनेवाला भारतीय; बहलावा-पु०) बहकावा
~भूत (वि०) 1 बाहर हुआ 2 बाहर का, नाहरी 3 अलग, बहली-(स्त्री) सवारी बैलगाड़ी
पृथक्; ~भूमि (स्त्री०) बाहर की भूमि; ~मनस्क (वि०) बहस-अ० (स्त्री) 1 बातचीत. तर्क-वितर्क 2 सवाल-जवाब मनका दूसरी तरफ़ लगा हुआ; ~मुख, ~मुखी (वि०) (जैसे अदालत में बहस करना) 3 लड़ाई-झगड़ा (जैसे-मुखों 1 बाहर की ओर मुँह किया हआ 2 विमुख 3 विपरीत; से बहस मत करो)। -मुबाहिसा (पु०) वाद-विवाद, यात्रा (स्त्री०) विदेश यात्रा; ~रति (स्त्री०) बाहरी अंगों शालार्थ
के साथ कामवासना (जैसे-चंबन, स्पर्श, आलिंगन, कुच बहसा-बहसी-अ० . हि: (स्त्री०) वाद विवाद
मर्दन रेखा (स्त्री०) आकार, रूप बतानेवाली रेखा; बहा-(पु०) नहर
-लंब (वि०) अधिक कोणवाला II (पु०) अधिक बहाउ-बो (पु.) . बहाव
कोण त्रिभुज; ~बाणिज्य (पु०) विदेश से होनेवाला व्यापार; बहाऊ-(वि.) 1 बहाए जाने योग्य 2 बहानेवाला
ल्वासी (वि०) बाहर रहनेवाला; व्यसन (पु०) बहादुर-फा० (वि०) वीर, शूर
लंपटता; ~व्यसनी (वि०) लंपट, व्यभिचारी बहादुराना-I फ़ा (वि.) वीरों का, वीरों जैसा | बहिला-बो० (वि०) बच्चा न देनेवाली (गाय, भैंस आदि || क्रि० वि.) वीरतापूर्वक
पशु) बहादुरी-फा (वो.। वीरता. शृरता
बहिश-सं० (वि०) = बहिः बहाना-1 (स० क्रि) : धारा रूप में चलाना (जैसे-जल | बहिश्वर-[सं० (वि०) 1 बाहरी 2 बाहर जानेवाला II (पु०) बहाना. दूध बहाना) 2 ढालना ( जैसे-आँस बहाना) 3 बहने | भेदिया के लिए धारा में डालना । जैसे नाले में कूड़ा बहाना) 4 बर्बाद बहिश्त-फा० (पु०) - बिहिश्त करना । जैसे व्यर्थ के सामा- में पैसा बहाना) 5 बहुत ही | बहिव-सं० (वि०) = बहिः । करण (पु०) 1 बाहर करना गया बीता कर देना । जैसे इसकी काली करतूतों ने घर बहा 2 अलग करना; कार (पु०) 1 बाहर निकालना 2 दूर दिया)
करना 3 त्याग (जैसे-सामाजिक बहिष्कार); ~कृत (वि०) बहाना-II फ़ा० (पु०) अवास्तविक बात, मिथ्या बात बहिष्कार किया गया (जैस-पेट में दर्द का बहाना करना)
बही-(स्त्री०) हिसाब-किताब लिखने की पुस्तक। खाता बहानेबाजी-फा० (स्त्री.) बहाना करना
(पु०) हिसाब की किताबें बहार-फा० (स्त्री) 1 बसंत ऋतु (जैसे-फूलों की बहार) /बहीर-(स्त्री०) 1 सेना के साथ चलनेवाली भीड़ 2 सैनिक 2 आनंद. प्रफुल्लता 3 खिलती हुई जवानी, उभरता यौवन | सामग्री 4 शोभा, सुंदरता (जैसे-संगीत की बहार)
महीरा-(पु०) - बहेड़ा बरना-(स० क्रि०) . बुहारना
बहु-सं० (वि०) अधिक, अमेक। उत्पादन (प०) बहाल-फा० . अ. (वि०) 1 पूर्व स्थिति को प्राप्त अधिक उपज; उद्देश्यीय (बि०) अनेक उद्देश्यवाली; (जैसे-हड़ताली कर्मचारियों को बहाल करना) 2 ज्यों का त्यों करण (पु०) बहुत बना देना; ~कालव्यापी (वि०) (जैसे-अदालत ने फैसला बहाल रखा) 3 प्रफुल्लित एवं अधिक समय तक व्याप्त रहनेवाला; ~कालीन (वि०) लंबे प्रसन्न (जैसे-प्रभु दर्शन से तबीयत का बहाल रहना) समय का (जैसे-बहु कालीन योजना); कुटुंबी (वि०) 4 भला-चंगा, स्वस्थ (जैसे-बहाल रहना)
बड़ा परिवारवाला ~कोशिकी (वि०) अनेक कोशोंवाला; बाली-1ो (स्त्री०) धोखे में रखना 2 धोखे की बात, ~क्षम (वि०) बहुत सहनेवाला, अत्यंत सहनशील; झाँस्म-पट्टी 3 बहाना
~क्षीरा बहुत दूध देनेवाली (गाय); ~खंडी, खंडीय बहाली-II फ्रा० । अ० (स्त्री०) 1 बाल करना 2 पूर्व स्थिति | (वि०) अनेक खंडांवाला; गुण (वि०) 1 अनेक लामा 3 प्रसन्नता 4 आरोग्य, तंदुरुस्ती
सूतोवाला 2 अनेक गुणों से संपन्न; गुना + हिं० (पु०)
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