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बाहमी
बाहमी-फ़ा० (वि०) आपस का, आपसी बाहर - ( क्रि० वि०) 1 सीमा के पार (जैसे-मकान के बाहर, चहारदीवारी के बाहर ) 2 अलग 3 दूर (जैसे-बाहर जाकर बैठो)। भीतर ( क्रि० वि०) बाहर और अंदर (जैसे- बाहर-भीतर आना-जाना); ~वाला (वि०) बाहर (जैसे- बाहरवाला मकान )
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बाहरला बो० (वि०) बाहरवाला
बाहरी - (वि०) 1 बाहर की ओर का 2 पराया और भिन्न (जैसे- बाहरी आदमी) 3 दिखाऊ (जैसे- बाहरी ठाट-बाट) अलग एवं भिन्न (जैसे- बाहरी सभ्यता, बाहरी काव्य एक दर्शन)
बाहाँ बाँही - (स्त्री०) बाहुयुद्ध बाहाँ-जोरी- ( क्रि० वि०) हाथ से हाथ मिलाकर बाहा - I बो० ( पु० ) रस्सी बाहा - II बो० (पु० ) 1 नहर 2 कोल्हू का छेद बाहिज - I ( क्रि० वि० ) ऊपर से II (वि०) बाहरी, बाह्य बाहु-सं० (स्त्री०) भुजा, बाँह । पाश (पु० ) भुज पाश; - प्रलंब (वि०) लंबी बाँहवाला, आजानुबाहु बंधन (पु० ) = बाहुपाश; ~बल (पु० ) 1 भुजबल 2 पराक्रम, वीरता; मूल (पु०) कंधे और बाँह का जोड़; युद्ध (पु० ) कुश्ती ; ~ विस्फोट (पु० ) ताल ठोंकना; ~ व्यायाम (पु० ) दंड, कसरत
बाहुरूप्य-सं० (पु०) बहुरूपता
बाहुल्य-सं० ( पु० ) अधिकता, ज्यादती, बहुतायत बाहुश्रुत्य -सं० (पु०) बहुश्रुत होने का भाव
बाह्य-सं० (वि०) 1 बाहरी 2 गैर, बेगाना 3 बहिर्गत, बहिष्कृत 4 ऊपरी, दिखाऊ । जगत् (पु०) दृश्य जगत्; नाम (पु०) पता, ठिकाना; नामिक (वि०) पतावाला; टी (स्त्री०) नाटक का परदा, यवनिका वासी I ( वि० ) बस्ती के बाहर रहनेवाला II ( पु० ) चांडाल बाह्यतः सं० ( क्रि० वि०) बाहर से, बाहरी तौर पर बाह्यांघल सं० (५०) बस्ती के बाहर की ज़गह बाह्यांतर - I सं० (वि०) बाहर और अंदर दोनों का II ( क्रि० वि०) बाहर और अंदर दोनों ओर
बायरण, बाह्यचार-सं० (पु०) ढकोसला बायडंबर-सं० (पु०) बाहर का दिखावा, बाहरी ढोंग बाहयधाम - सं० (५०) धनुस्तंभ रोग, धनुषटंकार बाह्यवरण-सं० (पु०) बाहरी खोल
बाह्यद्रिय सं० (स्त्री०) आँख, नाक, कान, त्वचा एवं जीभ ये पाँच इंद्रिय
बिंग बो० (पु० )
व्यंग्य
बिंजन बो० (पु० ) = व्यंजन
बिंद-बो० (पु०) 1 बूँद 2 भ्रूमध्य 3 बिंदी
बिंदा - (पु० ) 1 बड़ी बिंदी 2 बिंदी के आकार बिंदिया - (स्त्री०) बिंदी
बिंदी (स्त्री०) 1 माथे पर लगाया जानेवाला गोल टीका 2 सुन्ना, सिफर 3 टिकुली
बिंदु-सं० (पु०) 1 बूँद (जैसे- जल-बिंदु, हिम-बिंदु) 2 पदार्थ का बहुत सूक्ष्म कण 3 सिफर, शून्य 4 अत्यंत सूक्ष्म गोलाकार निशान 5 जया० ग० गोलाकार वह सूक्ष्म अंकन जो अविभाज्य
=
बिखेरना
हो (जैसे-बिंदु की परिभाषा ) 6 अनुस्वार सूचक बिंदी 7 दंत क्षत 8 भौंहों एवं ललाट के मध्य का भाग। ~चित्र (पु० ) एक तरह का चित्तीदार हिरन, फल ( पु० ) मोती; रेखा (स्त्री०) बिंदुओं के योग से बनी रेखा; खासर (पु० ) स्त्री के गर्भाधान का दिन
बिंदुकित-सं० (वि०) बिंदु लगा हुआ
बिंधना - (अ० क्रि०) 1 बींधा जाना, छेदा जाना 2 उलझना, फँसा
बिधिया - ( पु० ) मोती में छेद करनेवाला कारीगर बिंब - सं० (पु० ) 1 पारदर्शक पदार्थ में दिखाई देनेवाली आकृति की झलक 2 परछाँही 3 प्रतिमूर्ति 4 गोलाकार चिह्न, मंडल, 5 झलक 6 साहि० शब्द लक्षणा, व्यंजना शक्ति से निकलनेवाला अर्थ (जैसे-बिंब-प्रधान काव्य ) । ग्रहण (पु० ) भाषा विज्ञान या मनोविज्ञान की एक मानसिक प्रक्रिया; प्रतिबिंब भाव (पु० ) प्रतिबिंब रूप में जान पड़ने की
अवस्था
बिंबक - सं० (५०) चंद्रमा और सूर्य का मंडल बिंबा, बिंबाधर - सं० (पु०) बिंबाफल के समान लाल होंठ बिंबित - सं० (वि०) प्रतिबिंब पड़ा हुआ
बिंबु - सं० ( पु० ) सुपारी का पेड़
बिकना - (अ० क्रि०) 1 मूल्य देकर दिया जाना, बिक्री होना 2 दास होना
बिकवाना - (स० क्रि०) बेचने का काम कराना
बिकवाल-बो० (पु०) बेचनेवाला, बिक्रेता विकसना - (अ० क्रि०) 1 विकसित होना, खिलना 2 अत्यधिक प्रसन्न होना
बिकसाना- (स० क्रि०) विकसित करना
बिकाऊ - (वि०) बिक्री के योग्य
=
बिकाना-I बो० (अ० क्रि०) = बिकना II (स० क्रि० ) बिकवाना
बिकारी - I (स्त्री०) मन, सेर, रुपए आदि के चिह्न, टेढ़ी पाई II (वि०) 1 विकारयुक्त, विकृत 2 विकार उत्पन्न करनेवाला विक्रमाजीत - (पु० ) = विक्रमादित्य
विक्रय - (पु० ) = विक्रय । ~ भंडार ( पु० ) = विक्रय भंडार बिक्री - (स्त्री०) 1 बिकने का भाव 2 बेचने का भाव 3 वस्तुओं
बिकने पर प्राप्त धन । ~एजेंट + अं० (पु०) बेचनेवाला दलाल; कर + सं० ( पु० ) वस्तुओं की बिक्री पर लगनेवाला राजकीय कर, सेल्स टैक्स पत्र + सं० (पु० ) क्रय पत्र; प्रतिनिधि + सं० ( पु० )
=
बिक्री एजेंट; + सं० (वि०)
=
+
~ भंडार (पु० ) = विक्रय भंडार; योग्य बिकाऊ; ~ व्यवस्था सं० (स्त्री०) बेचने का प्रबंध; संगठन + सं० (५०) बेचने के लिए बनाया वर्ग बिकू - (वि०) = बिकाऊ बिख - (पु०) विष, ज़हर बिखरना - (अ० क्रि०) (जैसे- परिवार-बिखरना) बिखराना - (स० क्रि० ) = बिखेरना
1 फैल जाना 2 दूर-दूर होना
बिखराव - ( पु० ) 1 बिखरे होने की अवस्था 2 आपस की फूट बिखेरना - (स० क्रि०) 1 फेंकना (जैसे-बीज बिखेरना) 2 फैलाकर रखना (जैसे-पुस्तकें बिखेरना)