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फ़ज़ीहत
अ०
फ़ज़ीहत, अ० फ़ज़ीहती+ फ़ा० (स्त्री०) 1 अत्यधिक दुर्दशा 2 घृणित तकरार (जैसे-फ़ज़ीहत पैदा करना) फ़ज़ूल - I अ० (वि०) निरर्थक (जैसे- फ़ज़ूल की बातें मत करो) II अ० व्यर्थ, बे फ़ायदा (जैसे-फ़जूल का काम ) । खर्च + फ़ा० I ( वि०) अधिक एवं व्यर्थ का खर्च करनेवाला, अपव्ययी II ( पु० ) व्यर्थ का व्यय, अपव्यय; -ख़र्ची फ़ा० (स्त्री०) व्यर्थ खर्च करना, अपव्यय फट - (स्त्री०) 1 फटने की क्रिया 2 वस्तु के फटने से उत्पन्न शब्द, मशीन आदि के चलने से उत्पन्न होनेवाला शब्द । ~से अति शीघ्र, तत्काल
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फटक - I (स्त्री०) बो० फटकने की क्रिया
फटक - II ( पु० ) बो० स्फटिक (अ०) फट से, तुरंत फटकन - (स्त्री०) फटकने से निकला हुआ सारहीन पदार्थ, रद्दी अंश
फटकना - I (स० क्रि०) 1 फट फट शब्द करना 2 कपड़े आदि को फाड़ना 3 पटकना 4 सूप में अनाज लेकर उछालना । ~पछोरना (स० क्रि०) 1 सूप द्वारा अन्न साफ़ करना 2 देखभाल कर दोष या त्रुटि का पता लगाना फटकना - II ( अ० क्रि०) 1 उपस्थित होना (जैसे- उसे दरवाजे
पर फटकने न देना 2 फटफटाना फटकवाना-(स० क्रि०) फटकने का काम अन्य से कराना फटका - (पु०) 1 फटफटाने की क्रिया 2 रूई आदि धुनने के धुनकी 3 फाटक
फटकाना - (स० क्रि०) 1 फटकवाना 2 अलग करना फटकार - ( स्त्री०) 1 फटकारने की क्रिया 2 झिड़की, डाँट, दुतकार (जैसे-फटकार खाना)
फटकारना- (स० क्रि०) 1 क्रोधपूर्वक कड़ी बातें कहना 2 छितराना 3 पटकना, पछारना (जैसे चादर फटकारना) 4 झटकारना
फटकी - (स्त्री०) चिड़िया रखने का झाबा
फटन- (स्त्री०) 1 फटने का भाव 2 दरार या रेखाकार चिह्न फटना - ( अ० क्रि०) 1 विभक्त हो जाना 2 दरार पड़ जाना 3 अलग हो जाना, विकृत हो जाना (जैसे-दूध फटना) 4 पीड़ा होना (जैसे- सिर फटना ) 5 उचट जाना (जैसे-चित फटना ) । फट पड़ना 1 सहसा आ पड़ना 2 अधिकता होना फट फट - (स्त्री०) फट फट शब्द (जैसे-चप्पल की फट-फट) फटफटाना - I (स० क्रि०) फट फट शब्द उत्पन्न करना II (अ० क्रि०) मारा-मारा फिरना फटफटिया - (स्त्री०) मोटर साइकिल
फटहा - बो० (वि०) फटा हुआ
फटा - (वि०) जो फट गया हो (जैसे-फटा वस्त्र ) । पुराना (वि०) जीर्ण शीर्ण
फतिंगा
फट्टा - I ( पु० ) 1 छोटा तख्ता 2 बाँस का पतला खंड फट्टा - II ( पु० ) टाट (जैसे-फट्टा उलटना ) । उलटना दिवाला निकालना
फटाका - (पु० ) फट की तरह होनेवाला ज़ोर का शब्द फटाव - (पु० ) फटी जगह, दरार फटिक - (पु० ) 1 स्फटिक 2 संगमरमर (जैसे-फटिक शिला) फटिका - (स्त्री०) जौ आदि के खमीर से बनी शराब फटीचर - (वि०) 1 फटे-पुराने कपड़े पहननेवाला 2 अत्यंत तुच्छ
फटेहाल -हिं० + अ० ( क्रि० वि०) दुर्दशाग्रस्त रूप में फटैला - (वि०) फटनेवाला
फड़ - I (स्त्री०) = फट
फड़ - II ( पु० ) 1 दुकानदार का वह कपड़ा जिसे वह ज़मीन पर बिछाकर अपनी विक्रय सामग्री सजाता है 2 बिछावना, बिछौना 3 जूआ खेलने का स्थान । फ़ा० जुआरी; बाज़ी फ़ा० (स्त्री०) जूआ खेलना फ़ड़ - III (पु० ) 1 गाड़ी का हरसा 2 तोप रखने की गाड़ी,
बाज़
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चरख
फड़क - (स्त्री०) फड़कने की क्रिया फड़कन - I (स्त्री०) 1 फड़कने की क्रिया, फड़फडाहट
2 धड़कन II (वि०) भड़कनेवाला (जैसे-फड़कन बैल) फड़कना - (अ० क्रि०) 1 इधर-उधर हिलना 2 उभरना-दबना 3 फड़फड़ाना
= फट
फड़काना - (स० क्रि०) 1 फड़कने की क्रिया में किसी को लगाना 2 भड़काना 3 हिलाना-डुलाना फड़फड़ - (स्त्री०) फड़फड़ाना - I (अ० क्रि०) 1 फड़फड़ शब्द होना 2 चंचल होना II (स० क्रि०) फड़फड़ ध्वनि उत्पन्न करना (जैसे-पंख फड़फड़ाना)
फड़वाना - (स० क्रि०) फाड़ने का काम किसी अन्य व्यक्ति से
कराना
फड़िया - (पु० ) 1 फुटकर अन्न बेचनेवाला बनिया 2 फड़बाज़ फड़ी - (स्त्री० ) ईंट-पत्थरों का परिमाण स्थिर करने के लिए लगाया गया ढेर फडुई - (स्त्री०) फरही फड़ोलना - (स० क्रि०) बो० उलटना-पलटना, नीचे-ऊपर
=
करना
फण-सं० (पु० ) साँप का सिर (जैसे-फण उठाना) । धर (पु० ) साँप
फणाकृति सं० साँप के फन के आकार का फणिकन्या -सं० (स्त्री०) नागकन्या
फणिजिह्वा-सं० (स्त्री०) 1 महाशतावरी 2 कंघी नाम का पौधा फणिपति-सं० (पु०) वासुकि
फणिमुक्ता-सं० (स्त्री०) साँप की मणि
फ़तवा - अ० (पु० ) शास्त्रीय लिखित आदेश (जैसे-फ़तवा देना)
फ़तह - अ० (स्त्री०) 1 विजय, जीत 2 सफलता, कामयाबी (जैसे - फ़तह की खुशी)। नसीब (वि०) 1 विजयी 2 सफल नामा + फ़ा० (पु० ) जीत की खुशी में की गई रचना, विजयगान; निशान + फ़ा० (पु० ) जीत का झंडा, विजय पताका; पेच + हिं० (पु० ) 1 पगड़ी बाँधने का ढंग 2 स्त्रियों के बाल गूंथने का ढंग 3 एक तरह का हुक्के का नैचा; मंद + फ़ा० (वि०) 1 विजयी 2 सफल; मंदी + फ़ा० (स्त्री०) सफलता; पाब फ़ा० (वि०) 1 सफल 2 जिसने विजय हासिल की हो; ~याबी + फ़्रा (स्त्री०) 1 कामयाबी 2 विजय प्राप्ति:
फतिंगा - ( पु० ) 1 आग की लपट के चारों तरफ़ घूमनेवाला पाँवोंवाला छोटा कीड़ा 2 पाँवोंवाला छोटा कीड़ा
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