________________
बड़कुइयाँ
बड़कुइयाँ - (स्त्री०) कच्चा कूआँ बड़नक्का - (वि०) बड़ी नाकवाला बड़प्पन - ( पु० ) श्रेष्ठता, महानता
बड़बड़ाना - (अ० क्रि०) 1 धीरे-धीरे बोलना 2 बक-बक करना बड़बड़िया- (वि०) बकवाद करनेवाला
बना
बड़राना - (अ० क्रि० ) बड़वा - (स्त्री०) घोड़ी
=
बड़वानल-सं० ( पु० ) समुद्र के अंदर की अग्नि बड़वारी- (स्त्री०) 1 बड़प्पन 2 प्रशंसा, बड़ाई
बड़हार-(पु०) ब्याह के बाद कन्या पक्ष की ओर से बरातियों की होनेवाली ज्योनार
बड़होंटा - (वि०) बडे होंटवाला
बड़ा - I ( वि०) 1 डील-डौलवाला 2 उम्र में अधिक 3 पद, प्रतिष्ठा, अधिकार आदि में अधिक 4 कठिन 5 विस्तार परिणामवाला 6 बहुत ज्यादा
बड़ा - II ( पु० ) मसाला घोलकर उर्द की पीठी से बनाया गया एक पकवान (जैसे- दही-बड़ा) बड़ाई - (स्त्री०) 1 बड़ा होना बड़ापन 2 प्रशंसा, तारीफ़ ३ श्रेष्ठता 4 मान-मर्यादा. महिमा ।
और छोटा होना (जैसे-चार वर्ष की बड़ाई - छुटाई)
बड़ापन - (पु० ) = बड़प्पन
बड़ी - (स्त्री०) कुम्हड़ौरी
बढ़इन - ( स्त्री०) बढई की स्त्री
छुटाई (स्त्री०) बड़ा
बढ़ई - ( पु० ) 1 लकड़ी का काम करनेवाली एक हिंदू जाति फ़ा० (स्त्री०) बढ़ई का
2 इस जाति का व्यक्ति । गिरी
575
काम
बढ़कर - ( क्रि० वि०) तुलना में अधिक बढ़ती - (स्त्री०) अधिकता वृद्धि
बढ़ना - (अ० क्रि०) 1 अधिक होना 2 धन-धान्य आदि की वृद्धि होना 3 आगे जाना 4 दूसरे से आगे निकल जाना 5 लाभ होना (जैसे व्यापार में सो रुपए बढ़ना) 6 महँगा होना (जैसे- बाजार भाव बढ़ गया) 7 उन्नति करना (जैसे-नौकरी में आगे बढ़ना) बढ़ाई - (स्त्री०) बढ़ा-चढ़ाकर - ( क्रि० वि०) अतिशयोक्ति पूर्वक
- बढ़ाव
बढ़ाना - (स० क्रि०) 1 आकार, परिमाण आदि में वृद्धि करना 2. ऊपर उठाना 3 मान-मर्यादा आदि की वृद्धि करना 4 तरक्की देना, उन्नति कराना 5 महँगा करना 6 आगे करना 7 आगे निकालना (जैसे- घोड़ा बढ़ाना) 8 सराहना, बढ़ावा देना (जैसे- उसे आपने ही बढ़ाया है) । चढ़ाना (स० क्रि० ) अतिशयोक्तिपूर्ण रूप में कहना
बढ़ा-बढ़ी - (स्त्री०) 1 मर्यादा आदि का उल्लंघन 2 होड़, प्रतिद्वंद्विता
बढ़ाव - ( पु० ) 1 बढ़ने का भाव 2 फैलाव, विस्तार 3 बढ़ती.
बाढ
बढ़ावा - (पु० ) 1 प्रोत्साहन 2 हौसला बढ़ानेवाली बात 3 उत्तेजन
बढ़िया - (वि०) बहुत अच्छा, उम्दा बढेल- (स्त्री०) भेड़
बढेला - (पु०) जंगली सूअर
बथान
बढ़या - I (वि०) 1 बढ़ानेवाला 2 उन्नति करनेवाला II ( वि०) उन्नतिशील
बढ़ोतरी - (स्त्री०) 1 उत्तरोत्तर होनेवाली वृद्धि, बढ़ती 2 उन्नति, तरक्की 3 व्यापार में होनेवाला लाभ बणिक-सं० (पु० ) 1 रोज़गारी, व्यवसायी, व्यापारी 2 सौदागर । ~ सभा (स्त्री०) व्यापारियों की सभा बणिम्वृत्ति-सं० (स्त्री०) वणिक का पेशा, व्यापार बणिज् - सं० (पु० ) वणिक् बत, बतक- फ्रा० (स्त्री०) = बतख़
बत- (स्त्री०) 'बात' का संक्षिप्त रूप। ~ कहा (वि०) बात कहनेवाला; कही (स्त्री०) बातचीत; चल (वि०) बकवादी छुट (वि०) जो मुँह में आए कह देनेवाला; ~धर (वि०) बात पकड़नेवाला; बढ़ाव (पु०) बात का बढ़ जाना; ~बाती (स्त्री०) बे सिर पैर की बात, बकवाद; ~रस (पु०) बात में मिलनेवाला आनंद; रसिया (वि०) बात में रस लेनेवाला
=
बतक्कड़ - (वि०) बहुत बात करनेवाला
बतख - फ़ा० (स्त्री०) हंस की जाति का एक जल पक्षी (जैसे- बतख का अंडा )
बतलाना, बताना - I (स० क्रि०) 1 कहना, बयान करना 2 जताना, समझाना 3 सूचित करना, प्रकट करना 4 ख़बर लेना, मरम्मत करना
बताना - II ( पु० ) फटी-पुरानी पगड़ी
बताना - III ( पु० ) हाथ का कड़ा बतारीख - फ़ा + अ० ( क्रि० वि०) अमुक तिथि को बताशा - (पु० ) बतास - (स्त्री० ) 1 हवा, वात के प्रभाव से उत्पन्न रोग 2 हवा, वायु
बतासा
बतास - फेनी - (स्त्री०) टिकिया के आकार की एक मिठाई बतासा - ( पु० ) खालिस शक्कर की बनी एक तरह की मिठाई बतिया-बो० (स्त्री०) छोटा, कच्चा एवं ताज़ा हरा फल बतियाना-(अ० क्रि०) बो० 1 बात करना 2 पेड़ में फल लगना
बतीसा - ( पु० ) बतीसी - ( पु० )
बत्तीसा - बत्तीसी
बतोला - ( पु० ) 1 छल भरी बात 2 धोखा, झाँसा बतौर -फ़ा० अ० ( क्रि० वि०) 1 किसी तरह 2 के समान बत्तक - फ़ा० (पु० ) = बतख बत्तर- (वि०) बदतर
बत्ती - (स्त्री०) 1 रूई आदि से बनाई गई पूनी 2 बुना हुआ निवाड़ जैसा फीता 3 कपड़े की ऐंठी कड़ी धज्जी (जैसे- घाव में बत्ती करना) 4 दीपक, चिराग़ 5 रोशनी, प्रकाश 6 पलीता, फलीता (जैसे-आग लगाने की बत्ती) 7 अगरबत्ती 8 मोमबत्ती । दान + फ़ा० (पु०) बत्ती रखने का पात्र बत्तीस - I (वि०) तीस से दो अधिक II (पु० ) 32 की संख्या बत्तीसा - ( पु० ) बत्तीस मसालेवाला एक तरह का लड्ड बत्तीसी - (स्त्री०) 1 बत्तीस चीज़ों का समूह 2 मनुष्य के मुँह में बत्तीस दाँतों का समूह (जैसे-बत्तीसी तोड़ना )
S
बथान - I बो० (पु० ) पशुओं के बाँधे जाने की जगह, पशुशाला II (स्त्री०) दर्द