________________
फ़तीलसोज़
557
फ़र-फ़र
फ़तीलसोज़-अ० + फ़ा० (पु०) 1 धातु की चौमुखी दीअट छाला 3 पानी का बुलबुला। दिल के फफोले फोड़ना रोष 2 दीअट
प्रकट करना फ़तीला-अ० (पु०) 1 दीये की बत्ती 2 बत्ती 3 ज़रदोजी का फबकना-(अ० क्रि०) = फफदना
काम करनेवालों की वह तीली जिसपर कारीगर तार को लपेटते फबती-(स्त्री०) व्यंग्यात्मक एवं हास्यपूर्ण बात। ~उड़ाना, हैं ३ बंदूक में दी जानेवाली बत्ती
~कसना चुटकी लेना फ़तूर-अ० (पु०) 1 दोष, विकार 2 उत्पात, उपद्रव 3 बाधा, | फबन-(स्त्री०) 1 फबने का भाव 2 शोभा, सौंदर्य विघ्न (जैसे-फ़तूर डालना)
फबना-(अ० क्रि०) 1 शोभा देना, सजना 2 भला मालूम होना फ़तूरिया-अ० + हिं० (वि०) 1 उपद्रवी 2 शरारती फबाना-(स० क्रि०) 1 सुंदर लगने के लिए उपयुक्त स्थान पर फ़तूह-अ० (स्त्री०) 1 विजय 2 लूट में मिली संपत्ति रखना 2 सुंदर बनाना फ़तूही-I अ० + फ़ा० (स्त्री०) बंडी II (स्त्री०) लूट-पाट में | फबीला- जो फब रहा हो, फबता हुआ प्राप्त किया गया धन
फ़र-I अ० (पु०) देवदारु फ़तेह-अ० (स्त्री०) = फ़तह
फ़र-II अ० (पु०) लोमवाला चमड़ा फदकना-(अ० क्रि०) फद-फद शब्द होना, खद-बद करना फ़रऊन-अ० (पु०) 1 मिस्त्र के प्राचीन राजाओं की उपाधि (जैसे-दाल फदकना)
2 अत्यंत अत्याचारी, अभिमानी तथा उदंड व्यक्ति फदका-बो० (पु०) गुड़ का वह भाग जो बहुत अधिक गाढ़ा न | फरक-अ० (पु०) 1 अलगाव, पार्थक्य 2 विषमता 3 अंतर
4 फासला 5 भेद-भाव, दाव (जैसे-फ़रक करना. फरक फद-फद-(स्त्री०) गाढ़े पानी में होनेवाला शब्द
रखना) फदफदाना-(अ० क्रि०) 1 फद-फद शब्द होना 2 गरमी से | फ़रकना-अ० + हिं० बो० 1 फड़कना 2 अलग होना, दूर होना शरीर में दाने निकल आना 3 फदकना
फरका-(पु०) 1 बँडेर पर रखा जानेवाला छप्पर 2 दरवाज़े पर फन-I (पु०) = फण। ~मारना आवेश में विशेष प्रयत्न लगाया जानेवाला टट्टर करना
फरकिल्ला -(पु०) गाड़ी में हरसे से बाहर पटरी में लगाया फ़न-II अ० (पु०) 1 गुण 2 कला 3 कौशल 4 विद्या। जानेवाला छटा जिसके सहारे ऊपर का ढाँचा बनाया जाता है हरफ़न मौला अत्यंत कुशल व्यक्ति
फरकी-बो० (स्त्री०) लासायुक्त लकड़ी फनकना-(अ० क्रि०) 1 फन-फन शब्द करना (जैसे-साँप का फरचा-बो० (वि०) 1 जो जूठा न हो 2 साफ़ 3 शुद्ध फनकना) 2 तेज़ चलने से हवा से वस्त्र का फनफन शब्द फरचाई-बो० (स्त्री०) 1 शुद्धता 2 सफ़ाई करना
फरचाना-(स० क्रि०) बो० 1 साफ़ करना 2 शुद्ध करना फनकार-(स्त्री०) फन-फन होनेवाला शब्द
फ़रज़ंद-फ़ा० (पु०) पुत्र, बेटा । फनगना-(अ० क्रि०) 1 अंकुर युक्त होना 2 उन्नति करना फ़रज़ंदी-फा० (स्त्री०) पुत्र भाव, पितापुत्र का संबंध। ~में फनना-(अ० क्रि०) बो० 1 फंदा बनना 2.फंदा लगना 3 कार्य लेना बेटा बनाना आरंभ होना
फ़रज़ानगी-फ़ा० (स्त्री०) बुद्धिमानी फन-फन-(स्त्री०) = फनकार
फ़रज़ाना-फा० (वि०) बुद्धिमान फनफनाना-(अ० क्रि०) 1 फन-फन शब्द करना (जैसे-साँप | फ़रजाम-फा० 1 अंत, समाप्ति 2 परिणाम, फल का फनफनाना) 2 तेज़ी से इधर-उधर हिलना
फ़रज़ी-I फ़ा० (पु०) 1 शतरंज का मोहरा जिसे रानी कहते हैं फ़ना-[अ० (स्त्री०) 1 लीन होना 2 पूर्ण विनाश, बरबादी II 2 वज़ीर कहे जानेवाला शतरंज का मोहरा II (वि०)
(वि०) नष्ट, बरबाद। फ़िल्ला (वि०) ईश्वर में लीन 1 नकली 2 माना हुआ 3 काल्पनिक। ~बंद (पु०) 1 पैदल फनी-(स्त्री०) 1कपड़ा बुनने का औज़ार 2 पच्चर
के ज़ोर पर पड़नेवाली वजीर की शह 2 वजीर के ज़ोर पर बैठा फपकना-(अ० क्रि०) बढ़ना, पुष्ट होना
हुआ मोहरा फप्फस-(वि०) अत्यधिक मोटा एवं भद्दे शरीरवाला फ़रतूत-फा० (वि०) अत्यधिक वृद्ध, बहुत बूढ़ा फफकना-(अ० क्रि०) रुक रुककर फफ-फफ ध्वनि में रोना फ़रद-I अ० (स्त्री०) 1हिसाब-किताब लिखा जानेवाला फफदना-(अ० क्रि०) बो० इधर-उधर फैलना (जैसे-घाव रजिस्टर 2 सूची, तालिका II (पु०) 1 अकेला आदमी 2 एक फफदना)
साथ काम में आनेवाली वस्तुओं में से प्रत्येक III (वि०) फफसा-I (पु०) फेफड़ा II (वि०) 1 फूला हुआ और पोला 1 अकेला 2 बेजोड़ 2 स्वाद रहित, फीका
फ़रदा-फ़ा० (पु०) आनेवाला दिन, कल फफूंद-(स्त्री०) भुकड़ी। नाशक + सं० (पु०) फफूंद को | फरफंद-(पु०) 1 दाँव-पेंच, छल-कपट 2 झूठा आचरण नष्ट करनेवाली दवा आदि; विज्ञान + सं० (पु०) भुकड़ी ___3 नखरा, चोचला लगने के कारणों, निरोधक आदि पर विचार करने | फरफंदी-(वि०) 1 फरफंद करनेवाला, चालबाज़ 2 नखरेबाज़, की विद्या
नखरीला फफूंदी-(स्त्री०) भुकड़ी
फ़र-फ़र-I (पु०) वस्तु, पदार्थ, पक्षी आदि के उड़ने, हिलने, फफोला-(पु०) 1 जलने से त्वचा पर पड़नेवाला छाला फड़कने से उत्पन्न होनेवाला फर-फर शब्द II (क्रि० वि०) (जैसे-फफोला पड़ना) 2 शारीरिक विकार के कारण होनेवाला । फर-फर शब्द करते हुए (जैसे-फ़र-फ़र उड़ाना)