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पुस्तकाकार
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पूजा
रखनेवाला; ~भांडार (पु०) पुस्तकालय; ~माला (स्त्री०) प्रणाली जिसमें धनिक वर्ग उत्पादन साधनों पर अधिकार कर एक ही प्रकार की पुस्तक श्रेणी; लेखक (पु०) किताब श्रमिकों का शोषण करता है, कैपिटलिज्म; ~वादी + सं० लिखनेवाला; विक्रय (पु०) किताब बेचना; -विक्री (वि०) 1 पूँजीवाद सिद्धांत को माननेवाला 2 पूँजीवाद संबंधी; (स्त्री०) पुस्तक बेचने की क्रिया; विक्रेता (पु०) पुस्तक ~वादी-ज़मींदार + सं० + फ़ा० (पु०) पूँजी जमा करने के बेचनेवाला; ~संपादक (पु०) पुस्तक को संपादित कर पक्ष में रहनेवाला ज़मींदार; ~विनियोग + सं० (पु०) पूँजी प्रकाशन के योग्य बनानेवाला व्यक्ति
लगाना; ~विनियोजक + सं० (वि०) पूँजी लगानेवाला; पुस्तकाकार-सं० (वि०) पुस्तक के आकार का (जैसे-उनके -विनियोजन + सं० (पु०) पूँजी लगाना; ~शाही + निबंध पुस्तकाकार रूप में छप गये)
फ़ा० (स्त्री०) पूँजीपतित्व; ~संचय + सं० (पु०) धन एकत्र पुस्तकागार-सं० (पु०) = पुस्तकालय
करना, धन जुटाना पुस्तकाध्यक्ष-सं० (पु०) पुस्तकपाल, लाइब्रेरियन पूआ-(पु०) पूरी की तरह का मीठा पकवान पुस्तकालय सं० (पु०) वह भवन जहाँ अध्ययन हेतु पुस्तकों | पूग-सं० (पु०) 1सुपारी का पेड़ एवं फल 2 कटहल 3 शहतूत
का संग्रह किया गया हो (जैसे-सार्वजनिक पुस्तकालय में दस | का पेड़ हजार पुस्तकें हैं)। -विज्ञान (पु०) वह भवन जहाँ विज्ञान | पूगना-(अ० क्रि०) 1 पूरा होना 2 चौसर आदि के खेल में संबंधी किताबों का संग्रह किया गण हो
गोट, पासे आदि का नियत मार्ग से होते हए घर में पहँचना पुस्तकालयाध्यक्ष-सं० (पु०) पुस्तकालय का प्रधान | पूगी-I (पु०) सुपारी का पेड़ II (स्त्री०) सुपारी अधिकारी
पूछ-(स्त्री०) 1 पूछने की क्रिया, जिज्ञासा 2 चाह, तलब । पुस्तकास्तरण-सं० (पु०) 1 पुस्तक की बेठन 2 पुस्तक पर ~गाछ (स्त्री०) बोल, ~ताछ (स्त्री०), ~पाछ (स्त्री०) चढ़ाया जानेवाला कागज
बो० पक्की जानकारी हेतु प्रश्न पूछना, वास्तविकता का पता पुस्तकी-सं० (स्त्री०) पुस्तिका
लगाने के लिए बार-बार किसी से पूछना, प्रश्न करना पुस्तकीय-सं० (वि०) 1 पुस्तक संबंधी, पुस्तक से प्राप्त | (जैसे-पुलिस ने मुज़रिम से पूछ-ताछ किया) 2 अनुसंधान होनेवाला (जैसे-पुस्तकीय ज्ञान)
आदि के लिए जिज्ञासा प्रकट करना पुस्तिका-सं० (स्त्री०) छोटी पुस्तक। ~कार (वि०) छोटी | पूछना-(स० क्रि०) 1 जिज्ञासा करना (जैसे-कुशल समाचार पुस्तक की तरह का
पूछना) 2 प्रश्न करना (जैसे-परीक्षा में अनेक तरह की बातें पुहना-1 (अ० क्रि०) गूंथा जाना, पोहा जाना II (स० क्रि०) | पूछना) 3 हाल-चाल, खोज-खबर लेना (जैसे-मरीज़ को चार - पोहना
दिनों से कोई पूछने भी नहीं आया) 4 उचित ध्यान देना पुहुप-(पु०) फूल, पुष्प
(जैसे-इस जमाने में कौन किसको पूछेगा) 5 कदर करना, पुहमी-(स्त्री०) 1 पृथ्वी 2 भूमि
आँकना (जैसे-अब पैसों के आगे योग्यता को कौन पूछता है) पूँगी-(स्त्री०) सुपारी
6 जवाब-तलब करना 7 टोकना (जैसे-सीधे ऊपर चढ़ जाना पूँछ-(स्त्री०) पुच्छ, लांगल. दुम (जैसे-घोड़े की पूँछ, कुत्ते की | कोई कुछ नहीं पूछेगा) पंछ)। दार । फ़ा (वि०) पूँछवाला (जैसे-पूँछदार | पूछा-पाछी, पूछा-ताछी-(स्त्री०) - पूछ-ताछ जानवर)। पकड़कर चलना 1 अनुयायी बनकर चलना पूजक-सं० (वि०) पूजा करनेवाला। 2 सहारा लेकर चलनाः हिलाना दीनता प्रकट करना | पूजन-सं० (पु०) 1 आराधना एवं वंदना 2 आदर, सम्मान पूँजी-(स्त्री) 1 जमा किया हुआ धन (जैसे-पूँजी का संचय) | पूजना-I (स० क्रि०) 1 पूजन करना 2 सेवा-सत्कार करना 2 आय देने हेतु व्यवसाय में लगाया धन (जैसे-औद्योगिक 3 प्रसत्र करने हेतु कुछ धन आदि देना (जैसे-रिश्वत देकर पंजी) 3 मूलधन 4 रुपया-पैसा, द्रव्य (जैसे-वित्तीय पूँजी) 5 पूजना) 4 खूब मारना-पीटना (जैसे-घबड़ाओ मत आज विषय की योग्यता, ज्ञान (जैसे-साहित्यिक पूँजी का योगदान)। तुम्हारी मजे में पूजा होगी)
करण । सं० (पु०) पूँजी बनाना; गत । सं० (पु०) पूजना-II (अ० क्रि०) 1 पूरा होना, भरना (जैसे-घाव पूजना) पूँजी संबधी; जीवी । सं० (पु०) पूँजी पर गुज़ारा | 2 पूर्ति होना (जैसे-कर्ज पूजना) 3 अवधि पूरा होना करनेवाला; दार । फ़ा० (प्०) धनवान व्यक्ति, धनी | (जैसे-किस्त पूजना) 4 बराबर होना, समतुल्य होना व्यक्ति; दारी । फा० (स्त्री०) पूँजीदार होने की अवस्था; पूजनीय-सं० (वि०) । पूजने योग्य, अर्चनीय, वंदनीय
-नियोजन । सं० (पु०) पूँजी लगाना: निर्गमन । सं० | 2 आदरणीय, सम्माननीय (पु०) पूँजी निकालना; निर्माण + सं० (पु०) पूँजी बनाना पूजमान-(वि०) पूजित होनेवाला, पूज्य -निवेश । सं० (पु०) पूँजी लगाना: पंथी (वि०) .. पूजयिता-सं० (वि०)/(पु.) पूजा करनेवाला पूँजीवादी, पति । सं० (३०) अत्यधिक धनी व्यक्ति; पूजा-सं० (स्त्री०) 1 अर्चना, पूजन 2 यथेष्ट आदर सत्कार,
~पतिक (वि०) पूँजीपति संबंधी; ~पति वर्ग । सं० आव-भगत 3 संतुष्ट करने हेत् किया जानेवाला कार्य (पु०), पति श्रेणी । सं० (स्त्री०) धनी व्यक्तियों का 4 रिश्वत, घुस (जैसे-अधिकारी को उसने सौ रुपये पूजा है) समूह, धनिक वर्ग: परस्त + फ़ा० (वि०) = पूँजीवादी; 5 दंडित करने का भाव। ~गृह (पु०), ~घर । हिं० परिचलन । सं० (पु०) पूंजी का चालू रहना; (पु०) 1 उपासना मंदिर 2 देवालय, मंदिर; - पाठ (पु०)
परिव्यय । सं० (१०) पूँजी की लागत; ~प्रधान • सं० भजन-कीर्तन, वंदना पाठ; ~पात्र (पु०) 1 वह जिसकी (वि०) - पूंजीवादी; वाद + सं० (१०) ऐसी आर्थिक | अर्चना की जाय 2 सम्मान किए जाने योग्य व्यक्ति, आदर का