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पीरी
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पुच्छल
पीरी-फा० (स्त्री०) 1 वृद्धावस्था 2 पीर होने की अवस्था पुंड-सं० (पु०) चंदन आदि का टीका, तिलक 3 शिष्य बनाने का पेशा 4 चमत्कारपूर्ण कार्य करने की शक्ति पुंडरीक-सं० (पु०) 1 सफ़ेद कमल, श्वेत कमल 2 कमल 5 विशेषाधिकार
पुंडरीकाक्ष-सं० (वि०) कमलवत् नेत्रोंवाला पील-फ़ा० (पु०) 1 हाथी, गज 2 शतरंज के खेल का हाथी का | पुंड-सं० (पु०) 1 लाल रंग का मोटा गना 2 सफ़ेद कमल
मोहरा। ~पाँव हिं० (पु०) (चि०) = फील पाँव पुलिंग-I सं० (पु०) 1 व्या० संज्ञा शब्दों में नरों का सूचक पीलपाया-फा० (पु.) 1 आश्रय हेतु लगाए जानेवाली टेक, शब्द 2 पुरुष लिंग 3 पुरुष का चिह्न || (वि०) पुरुष वाचक
थूनी 2 किलों आदि की दीवारों के नीचे बनी हुई मोटी दीवार | पुंवत-[ सं० (वि०) पुरुष जैसा || (अ०) पुरुष की तरह पीलवान-फ़ा० (पु०) - फीलवान
पुंश्चली-[ सं० (वि०) पर पुरुषों से गप्त संबंध रखनेवाली, पीला-I (वि०) 1 पीत (जैसे-पीला कपड़ा खरीदना) 2 रक्त व्यभिचारिणी II (स्त्री०) कुलटा, व्यभिचारिणी स्त्री की कमी के कारण हल्का सफ़ेद (जैसे-लंबी बीमारी से उसका पुंश्चलीय-सं० (पु०) व्यभिचारिणी की संतान शरीर पीला पड़ गया) 3 भय, लज्जा आदि के कारण जिसके पुंसत्व-सं० (पु०) 1 पुरुषत्व 2 पुरुष की काम शक्ति चेहरे का रंग उड़ गया हो (जैसे-दरोगा को देखते ही उनका पुंसवन-सं० (वि०) पुत्र उत्पन्न करनेवाला चेहरा पीला पड़ गया) 4 हल्दी के रंग का II (पु०) पील, | पुंस्त्व-सं० (पु०) = पुंसत्व रंग। ~पन (पु०) 1 पीला होने की अवस्था, पीतता, जर्दी | पुआल-(पु०) 1 इमारतों के काम में आनेवाली जंगली पेड की
2 रक्त अल्पता के कारण शरीर की होनेवाली रंगत पीली लकड़ी 2 पयाल पीलाई, पीलाहट-(स्त्री०) = पीलापन
पुकार- (स्त्री०) 1 ज़ोर से नाम लेकर संबोधित करने की क्रिया पीलिया-(पु०) चि० कमल रोग
2 उपस्थित होने के लिए ज़ोर से बुलाना (जैसे-राम सेवक की पीली- (स्त्री०) प्रभात के समय आकाश में दिखाई देनेवाली कचहरी में पुकार हो रही है) 3 आत्मरक्षा हेतु ज़ोर से चिल्लाना पीलापन युक्त लाली, प्रभात वेला की पीलापन लिए हुए (जैसे-आग लगने पर उसने चारों तरफ़ जोर से पुकार की) लालिमा। ~फटना पौ फटना, प्रभात होना
4 फरियाद 5 किया जानेवाला निवेदन (जैसे-भिखारी ने पीलू-(पु०) 1 दक्षिण भारत में होनेवाला काँटेदार वृक्ष जिसकी मकान-मालिक को देखते ही पुकार की) 6 देर तक
पत्तियाँ औषधि के काम आती हैं 2 पिल्लू नामक कीड़ा चलनेवाला ऊँचा स्वर (जैसे-शहनाई की पुकार सुनते ही ग्राम पीवर-I सं० 1 भरा-पूरा 2 स्थूल 3 पुष्ट II (पु०) कछुवा बालाएँ घरों से निकल पड़ी) III (वि०)/(स्त्री०) भरे-पूरे स्तनोंवाली
पुकारना-(स० क्रि०) 1 नाम लेकर बुलाना 2 आवाहन करना पीवरी-सं० (स्त्री०) 1 युवती स्त्री 2 गाय, गौ
(जैसे-भारत माता नवयुवकों को पुकारती है) 3 धुन लगाना, पीसना-I (स० क्रि०) 1 चूर्ण रूप में करना, बिल्कुल महीन रटना (जैसे-ईश्वर का नाम पुकारने से ही काम नहीं हो
(जैसे-चक्की में गेहूँ पीसना 2 कुचलना, दबाना (जैसे-दरोगा जाएगा) 4 चिल्लाकर माँगना (जैसे-भिखारी कभी से पुकारता ने चोर पैरों तले पीस-पीसकर मारा) 3 दबाते हुए रगड़ना
है) 5 चिल्लाना (जैसे-उसका पुकारना सुनकर सभी लोग (जैसे-क्रोध में दाँत पीसना) 4 कठोर परिश्रम करना उसकी तरफ़ दौड़ पड़े) (जैसे-कोल्हू के बैल की तरह पीसते जाना) II (१०) पीसने पुक्कस-1 सं० (वि०) अधम, नीच II (१०) निषाद पिता की क्रिया
एवं शूद्रा माता से उत्पन्न एक प्राचीन जाति पीहर-(पु०) विवाहिता के माता-पिता का घर, मैका, मायका | पुखराज-(पु०) वृहस्पति ग्रह का दोष दूर करनेवाला पीले रंग पुं०-सं० (पु०) 1 पुलिंग शब्द 2 व्या० पुलिंग
का एक रत्न पुंकेसर-सं० (पु०) स्त्री केसर से संयोग करनेवाला फूलों का | पुख्ता-फा० (वि०) 1 पक्का, मजबूत 2 जानकार, अनुभवी पुंसत्व युक्त केसर
(जैसे-वह पुख्ता इंसान है) 3 स्थिर एवं निश्चित किया हआ पुंख-सं० (पु०) बाण का पिछला भाग
4 पूरी उम्र का, प्रौढ़ पुंग-सं० (पु०) बहुत बड़ा ढेर
पुगाना-(स० क्रि०) 1 पहुँचाना 2 निश्चित सीमा तक पहुँचाना पुंगफल-(पु०) = पुंगीफल
(जैसे-गड्ढे में गोली पुगाना) 3 भरना (जैसे-महाजन का पुंगल-सं० (पु०) आत्मा
कर्जा पुगाना) पुंगव-I सं० (पु०) बैल, साँड II (वि०) उत्तम, श्रेष्ठ | पुचकार-(स्त्री०) पुचकारने की क्रिया, चुमकार पुंगीफल-(पु०) सुपारी
पुचकारना-(स० क्रि०) प्यार जतलाते हुए मुँह से पुच-पुच {छल्ला-(पु०) = पुछल्ला
शब्द करना पुंज-सं० (पु०) 1 ढेर 2 राशि, समूह
पुचकारी-(स्त्री०) = पुचकार पुंजन-सं० (पु०) राशि बनाने की क्रिया
पुचारा-(पु०) 1 पोतने का काम 2 गीले कपड़े से ज़मीन पुंजशः-सं० अ० ढेरों
रगड़कर पोंछने का काम 3 वह गीला कपड़ा जिससे पोताई पुंजि-सं० (स्त्री०) = पुंज
आदि का काम हो 4 पोतने का तरल पदार्थ, घोल 5 खुशामद पुंजित-सं० (वि०) 1 ढेर के रूप में लगाया हआ 2 संचित 6 उत्साह वर्धक वचन पुंजीभूत-सं० (वि०) जो राशि रूप में हो गया हो । पुछ-सं० (स्त्री०) 1 दुम, पूँछ 2 पिछला एवं प्रायः नुकीला पुंजोत्पादन-सं० (पु०) यंत्र आदि की सहायता से वस्तुओं को | भाग। पद (पु०) पिछला भाग अधिक मात्रा में तैयार करना
पुच्छल-(वि०) 1 जिसमें दुम हो, दुमदार 2 जिसमें पूँछ की