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पिछड़ा
के कारण पीछे रह जाना (जैसे-विषमताओं के परिणाम स्वरूप देश का पिछड़ना निश्चित है )
पिछड़ा- (वि०) 1 जो पीछे रह गया हो 2 जो उन्नति न कर सका हो
पिछलगा - I (वि०) 1 पीछे-पीछे लगा रहनेवाला 2 अनुगमन करनेवाला 3 आश्रित II ( पु० ) सेवक, दास पिछलगी - (स्त्री०) 1 पिछलगा होने की अवस्था 2 अनुगमन, अनुसरण
पिछलगुआ - (वि० ) = पिछलगा। पन (पु० ) अनुगामिता पिछलगू, पिछलग्गू - (वि०) पिछलगा पिछलत्ती - (स्त्री०) 1 पशुओं का पीछे पैर से आघात करने की क्रिया 2 पीछे पैर से किया गया आघात
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पिछलना- (अ० क्रि०) बो० 1 पीछे हटना 2 = फिसलना पिछला - (वि०) 1 पीछे का (जैसे-मकान का पिछला हिस्सा टूटा पड़ा है) 2 पहले होनेवाला (जैसे- अभी आपने पिछला हिसाब चुकता नहीं किया) 3 पूर्व काल में होनेवाला (जैसे-पिछले जमाने के लोगों ने हवाई जहाज़ नहीं देखा होगा ) 4 बीता हुआ (जैसे-सज्जन पिछली घटनाओं को भूल जाते हैं) । पहर 1 दोपहर का समय 2 आधी रात के बाद का समय: पिछली रात रात में आधी रात के बाद का और प्रभात के कुछ पहले का समय
पिछवाई - ( स्त्री०) मूर्तियों, सिंहासनों आदि के पीछे लटकाया जानेवाला बेल-बूटेदार परदा
पिछवाड़ा - (पु०) 1 घर का पृष्ठ भाग 2 घर के पीछेवाले भाग के पास की ज़मीन 3 घर के पीछे पास का मकान पिछवाड़े - ( क्रि० वि०) पीछे के भाग में पिछाड़ी - (स्त्री०) 1 पिछला भाग, पीछे का हिस्सा 2 घोड़े के पिछले दोनों पैर बाँधने की रस्सी
पिछलना- (स० क्रि०) 1 पीछे छोड़ देना 2 पीछे हटाना पिछौरा-बो० (पु० ) पुरुषों की चादर या दुपट्टा पिछौरी - ( स्त्री०) स्त्रियों की चादर या दुपट्टा
पिटंत - (स्त्री०) 1 पीटने की क्रिया 2 पीटे जाने की अवस्था 3 पड़नेवाली मार
पिटक -सं० (पु० ) 1 पिटारा 2 कोठार 3 फुंसी पिटका -सं० (स्त्री०) 1 पिटारी 2 छोटी फुंसी पिटना - I (अ० क्रि०) 1 पीटा जाना 2 हारना 3 गोटी, मोहरे आदि का मारा जाना 4 मार खाना (जैसे-शतरंज के खेल में वजीर से बादशाह का पिटना) II (पु० ) पीटनेवाला उपकरण (जैसे- छत का पिटना कहाँ रख दिया )
पिट-पिट - (स्त्री०) लगातार पीटने से उत्पन्न होनेवाला शब्द पिट-पिटाना - ( अ० क्रि०) 1 लाचार होकर यों ही रह जाना 2 छटपटाना
पिटवाना (स० क्रि०) पीटने का काम दूसरे से कराना पिटाई - (स्त्री०) 1 पीटने की क्रिया 2 पीटने की मज़दूरी
(जैसे- छत की पिटाई पचास रुपये हुई ) 3 पिंटत, मार पिटा - पिटाया - (वि०) 1 मार खाया हुआ 2 पीटा हुआ 3 बेकार पिटारा - (पु०) बाँस, बेंत आदि के नर्म छिलकों से बना हुआ
ढक्कनदार बड़ा पात्र
पिटारी- (स्त्री०) छोटा पिटारा । ~का खर्च 1 स्त्रियों को पानदान खर्च हेतु दिया जानेवाला धन 2 व्यभिचारणी को
पितृ
व्यभिचार कराने पर मिलनेवाला थोड़ा धन पिटीशनर अं० (पु० ) प्रार्थी, फ़रियादी पिट्टक-सं० (पु०) दाँतों की जड़ों में जमी मैल पिट्टस - ( स्त्री०) 1 दुःख से छाती पीटने की क्रिया 2 पिटंत पिट्टू - (वि०) 1 जो बराबर मार खाता हो 2 जो मार खाकर ही सीधे रास्ते पर आता हो
पिट्ठी - (स्त्री०) = पीठी
पिट्टू - ( पु० ) 1 पिछलगा, अनुयायी 2 लुक-छिपकर मदद करनेवाला 3 साथी (जैसे मेरा पिट्ठू कहाँ गया) पिठौरी - (स्त्री०) 1 पीठी की पकौड़ी 2 पीठी की बरी पिड़क-सं० (५०) छोटा फोड़ा पिड़की - (स्त्री०) पेंडुकी
पिढ़ई- बो० (स्त्री०) छोटा पीढ़ा पितर-सं० (पु० ) परलोकवासी पूर्वज पितराईंध, पितराई - (स्त्री०) पीतल के बर्तन में खट्टी वस्तु रखने तथा उसके विकार युक्त होने पर निकलनेवाली दुर्गंध पितरिहा - I (वि०) 1 पीतल संबंधी 2 पीतल का बना हुआ II (पु० ) पीतल का घड़ा पिता-सं० (पु० ) जनक, बाप। ~तुल्य (वि०) जो पिता के समान हो (जैसे- राजा ने सीता की पिता तुल्य देखभाल की थी)
पितामह - सं० (पु० ) पिता का पिता, दादा (स्त्री० पितामही) पितिया - (पु० ) बाप का भाई, चाचा (स्त्री० पितियानी ) । ~ ससुर (पु० ) चचिया ससुर सास (स्त्री०) चचिया
सास
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पितृ-सं० ( पु० ) 1 पिता 2 मृत पूर्वज उत्पन्न करने से होनेवाली ऋण मुक्ति; के उद्देश्य से किया जानेवाला तर्पण आदि कर्म कल्प (पु० ) श्राद्धादि कर्म; कानन (पु० ) श्मशान, मरघट; ~कुल (पु०) बाप, दादा आदि का कुल, परिवार, खानदान; ~कृत्य (पु० ) पितरों से संबंधित कर्म; गृह (पु० ) 1 पिता का घर 2 श्मशान घात (पु०) पिता की हत्या; ~घाती (पु०) पिता का हत्यारा; -तंत्र (पु०) पितृ प्रधान शासन व्यवस्था; तर्पण (पु०) पितरों के उद्देश्य से किया गया जलदान 2 गया नामक तीर्थ; ता (स्त्री०) पितृ भाव; ~ तिथि (स्त्री०) अमावस्या; तीर्थ (पु० ) गया तीर्थ; ~ दत्त (वि०) पितरों को तर्पण किया हुआ; दाय (पु० ) पिता का धन, पैतृक सम्पत्ति; दिन (पु० ) = पितृ तिथि; ~ देश (पु० ) पूर्वजों के रहने का देश; ~निष्ठ (वि०) 1 पिता पर आश्रित 2 पिता में विश्वास करनेवाला पक्ष (पु० ) 1 कृष्ण पक्ष 2 पितृ कुल; पति (पु०) यमराज; ~पद (पु० ) 1 पितरों का देश 2 पितर होने की स्थिति; पैतामह (वि०) बाप-दादों का प्रधान (वि०) जहाँ पिता मुखिया हो; प्रसू (स्त्री०) पिता को जन्म देनेवाली, दादी, प्राप्त (वि०) जो पिता से मिला हो; भक्ति (स्त्री०) पिता के प्रति होनेवाली श्रद्धा; भूमि (स्त्री०) मातृभूमि भोजन (पु० ) पितरों को अर्पित किया जानेवाला भोजन; यज्ञ (पु० ) पितृ तर्पण; ~याण (पु०) पितरों के चलने का मार्ग; ~लोक (पु०) पितरों का निवास स्थान; वत् (वि०) पिता के समान वन (पु० )
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ऋण (पु०) पुत्र कर्म (पु०) पितरों