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पितृक
=
श्मशान, मरघट वित्त (पु० ) पैतृक संपत्ति (स्त्री०) पितृ प्रधान राज्य; ~ हत्या (पु० ) पितृक - सं० (वि०) 1 पैतृक 2 पितरों पितृष्य-सं० (पु० ) 1 पिता
का
2 चाचा
कोष
पितृष्वसा - सं० (स्त्री०) बूआ, फूफी पित्त-सं० (पु० ) यकृत में बननेवाला तरल पदार्थ (पु० ) दे० पित्ताशय; ~ क्षोभ (पु० ) पित्त के बिगड़ने से उत्पन्न विकार; ज (वि०) पित्त से उत्पन्न; ज्वर (पु० ) चि० पित्त बिगड़ने से होनेवाला बुखार; --पथरी +हिं० (स्त्री०) पित्ताशय में पित्त की कंकड़ियाँ बनने का रोग; ~ प्रकृति (वि०) जिसमें वात और कफ की अपेक्षा पित्त की अधिकता हो; ~ उबलना बहुत क्रोध आना; उभरना पित्त का विकार उत्पन्न होना; गरम होना स्वभावतः क्रोधी होना; ~ डालना कै करना पित्तन्नसं० (वि०) पित्त को नाश करनेवाला
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- सत्ता
पितृघात
तुल्य आदरणीय व्यक्ति
पित्तल - I सं० (वि०) 1 जिसमें पित्त की बहुलता हो 2 जिससे पित्त का विकार पैदा हो II ( पु० ) 1 पीतल 2 भोजपत्र पित्ता - (पु० ) 1 पित्त एकत्र होने की थैली, पित्ताशय 2 शरीर में पाया जानेवाला पित्त। मार (वि०) क्रोध दबानेवाला; - उबलना अत्यधिक क्रोध उत्पन्न होना; ~ निकलना अत्यधिक परिश्रम, कष्ट आदि के कारण शरीर की दुर्दशा होना; ~मारना 1 मन में दूषित भाव उमड़ने न देना 2 मन की उमंग आदि को दबाकर रखना पित्तासरसं० ( पु० ) पित्त ज्वर पित्ताशय - सं० (पु० ) शरीर के अंदर यकृत के पीछे की ओर रहनेवाली थैली के आकार का वह अंग जिसमें पित्त एकत्र होता है, पित्त-कोष
=
1
पिन्हाना - (स० क्रि०) बो० = पहनाना पेपरमिंट - अं० (पु० ) पुदीने की जाति का पौधा जो प्रायः दवा के काम आता है 2 इस पौधे का सत्त पिपासा - सं० (स्त्री०) 1 प्यास, तृष्णा 2 इच्छा, लोभ पिपासाकुल-सं० (वि०) जो प्यास से व्याकुल हो पिपासित सं० (वि०) जिसे प्यास लगी हो, प्यासा पिपासु - सं० (वि०) 1 जो प्यासा हो 2 पीने का इच्छुक 3 जो उग्र कामना युक्त हो
पिपियाना - (अ० क्रि०) बो० पीप पैदा होना, मवाद भरना पिपीलक-सं० (पु०) चींटा पिपीलिका-सं० (स्त्री०) चींटी पिप्पल - सं० (५०) पीपल का पेड़ पिप्पलक-सं० (पु०) स्तनमुख, चूचुक पियक्कड़ - (पु० ) (शराब) पीनेवाला पियराना-बो० (अ० क्रि०) पीला पड़ना
=
पियरी - बो० (स्त्री०) 1 पीले रंग में रंगी हुई धोती 2 पीलापन पिया - (पु० ) पिय पियाज़ - फ़ा० (पु० ) पियादा फ़ा० (पु० ) पियानो - अं० ( पु० ) हारमोनियम की तरह का मेज़ के आकार का बड़ा अंग्रेज़ी बाजा। ~वादक + सं० (पु०) पियानों बजानेवाला; वादन +सं० पियानों बजाना; वादिक
= प्याज = प्यादा
सं० (स्त्री०) पियानो बजाने वाली स्त्री पियारा - (वि०) / बो० (पु०) = प्यारा पियाला - फ़ा० ( पु० ) = प्याला पिरकी-बो० (स्त्री०) फुंसी पिराक - (स्त्री०) गुझिया नामक पकवान
पित्र्यं - I सं० (वि०) पिता का II ( पु० ) 1 पिता की प्रकृति पिराना - ( अ० क्रि०) बो० 1 पीड़ा होना, दर्द करना 2 दुःख
2 बड़ा भाई 3 माघ मास
अनुभव करना 3 दुःख से दुःखी होना पिरामिड-अं० (स्त्री०) मिस्र के त्रिकोणाकार प्राचीन समाधि स्थल
पिरोना - (स० क्रि०) 1 धागा डालना (जैसे- सूई में धागा पिरोना) 2 एक साथ नत्थी करना (जैसे- माला पिरोना) पिलई - (स्त्री०) 1 शरीर के भीतर का तिल्ली नामक अंग 2 प्लीहा नामक रोग
पिलचना - (अ० क्रि०) 1 दो आदमियों का आपस में भिड़ना,
पित्ती - (स्त्री०) 1 रक्त में अति उष्णता होने से पित्त प्रकोप के कारण शरीर के अंगों में निकलनेवाले ददोरे 2 अंभौरी । ~ उछलना पित्ती की बिमारी होना
पित्रार्जित सं० (वि०) पिता की संपत्ति
पिद्दी - (स्त्री०) 1 बया की तरह एक सुंदर छोटी चिड़िया
2 अत्यंत तुच्छ जीव
पिधान सं० ( पु० ) 1 पर्दा 2 आच्छादन, आवरण 3 ढक्कन 4 तलवार का कोष, म्यान
पिन-अं० (स्त्री०) काग़ज़ नत्थी करने की धातु की पतली पिन, आलपीन
पिनकना - (अ० क्रि०) 1 अफीमची का पीनक लेना 2 निद्रा के कारण सिर का रह-रहकर झुक पड़ना पिनकी- - (पु० ) वह व्यक्ति जो अफीमचियों की तरह बैठे-बैठे सोता हो और रह-रहकर नीचे को सिर झुकता हो पिन- पिन- (स्त्री०) बच्चों के रह-रहकर रोने पर होनेवाला
अनुनासिक और अस्पष्ट शब्द
पिन- पिनहाँ- (वि०) पिन-पिन करनेवाला, जो हमेशा रोया करे
पिलपिलाना
पिनपिनाना - (अ० क्रि०) 1 रोते समय पिन-पिन स्वर निकालना 2 रुक-रुककर रोना
पिनाक - सं० (पु० ) शिव का धनुष पिनाकी-सं० (पु०) शिव, महादेव
पिन्नी - (स्त्री०) 1 आटे में चीनी, मसाले आदि को मिलाकर तैयार किया गया लड्डू 2 धागे आदि को लपेटकर बनाया गया गोलाकार पिंड
गुथना 2 काम में लीन रहना, तत्पर होना पिलना- (अ० क्रि०) 1 भिड़ जाना (जैसे-क्रोध में आकर दोनों पिल पड़े) 2 अंदर की ओर वेगपूर्वक धँसना (जैसे- दरवाज़ा खुलते ही लोग सिनेमाहाल में पिल पड़े) 3 पूरी शक्ति से कार्य में लगना
अत्यधिक कोमल, पिचपिचा
पिलपिला - (वि०)
(जैसे-पिलपिला आम फेंक दो)
पिलपिलाना - I (अ० क्रि०) पिलपिला होना II (स० क्रि०) चारों ओर से दबाकर पिलपिला बनाना