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पयोद
पयोद - सं० (पु०) बादल, मेघ पयोधर - सं० (पु० ) 1 स्तन 2 बादल 3 थन 4 नारियल 5 समुद्र पयोधि सं० ( पु० ) समुद्र
परंच -सं० (अ०) 1 परंतु 2 और भी 3 तो भी परंतप - सं० (पु० ) 1 योद्धा 2 तपस्वी
परंतु सं० (अ०) 1 लेकिन 2 इतना होने पर भी परंपर-सं० (पु० ) क्रमागत, सिलसिलेवार परंपरा सं० (स्त्री०) 1 चला आता हुआ क्रम, अटूट सिलसिला 2 प्रथा, प्रणाली 3 रीति-रिवाज । मुक्त (वि०) जो परंपरा के बंधन में न हो; वाद (पु० ) परंपरा से चले आ रहे सिद्धांत एवं मत ही ठीक हैं ऐसा विचार एवं कर्म; ~वादी I (वि०) 1 परंपरावाद संबंधी 2 परंपरावाद का II (पु० ) परंपरावाद का अनुयायी एवं समर्थक परंपरागत - सं० (वि०) 1 परंपरा से चला आता हुआ 2 परंपरा से प्राप्त होनेवाला (जैसे-दीपावली त्योहार परंपरागत राम कथा से संबंद्ध है) परंपरानुकूल, परंपरानुगत-सं० (वि०) जो अविछिन्न रूप से चला आता रहा हो, अनुक्रमागत परंपरित, परंपरीणसं० (वि०) पर- I (अ० ) परंतु पर- II (अ०) अधिकरण का चिह्न जिससे आधार एवं आधेय का संबंध सूचित होता है (जैसे-इस काग़ज़ पर अपना हस्ताक्षर कर दीजिए, आपको कुर्सी पर बैठना मना है, वह घर पर नहीं है, वह पानी भरने तालाब पर गई थी, शत्रु पर विजय प्राप्त करना आसान नहीं है, आपकी प्रार्थना पर मैंने उसे दंडमुक्त कर दिया, मैंने यह समाचार कल रेडियो पर सुना था, आपके आने पर ही मैं विद्यालय जाऊँगा, इतना समझाने पर भी उसने मेरी कही बातें न मानी, वैज्ञानिकों ने पोत-निर्माण पर भी कई पुस्तकें लिखी हैं)
परंपरागत
म
पर-सं० प्रत्यय
1=
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परखचा
निर्गुण ब्रह्म; ~ भाग (पु०) दूसरी ओर का भाग, दूसरा भाग; ~ भाग्योपजीवी (वि०) दूसरे की कमाई खाकर जीवन व्यतीत करनेवाला; भृत (वि०) अन्य के द्वारा पालित; ~मुख (वि०) 1 जिसका मुँह दूसरी ओर हो, विमुख 2 जो उपेक्षा कर रहा हो और ध्यान न देता हो; मुखापेक्षी (वि०) दूसरों से अपेक्षा करनेवाला; राज्य, राष्ट्र (पु० ) दूसरा देश; ~राष्ट्र-नीति (स्त्री०) दूसरे देश के नीति-नियम एवं सिद्धांत आदि; ~राष्ट्र मंत्रालय (पु० ) परराष्ट्र मंत्री का मंत्रालय; ~राष्ट्र मंत्री (पु०) विदेश मंत्री; -राष्ट्र विभाग (पु० ) = परराष्ट्र मंत्रालय; ~राष्ट्र सचिव (पु०) = परराष्ट्र मंत्री; ~राष्ट्रिक (पु० ) दूसरे देश का निवासी; ~ राष्ट्रीय (वि०) दूसरे राष्ट्र का, अन्य देश का; ~लोक (पु०) दूसरा लोक, स्वर्ग; लोक गत ( वि०) स्वर्गवासी; लोक गमन (पु० ) स्वर्ग जाना, मरना; ~लोक गामी (वि०) परलोक गत; ~लोक वास (पु० ) = परलोक गमन; ~लोक वासी (वि०) परलोकगत; ~ लोक विद्या (स्त्री०) मृत्यु के बाद आत्मा संबंधी ज्ञान; ~ वश (वि०) जो दूसरे के अधिकार में हो, पराधीन -वशता (स्त्री०) पराधीनता; ~वश्य (वि०) परवश; ~सर्ग (पु० ) व्या० शब्द के अंत में जुड़नेवाला प्रत्यय; साल + फ़ा० ( क्रि० वि०) 1 गत वर्ष, पिछले साल 2 आगामी वर्ष अगले वर्ष स्त्री (स्त्री०) दूसरे की स्त्री, दूसरे की पत्नी स्त्री गमन (पु० ) = पर पत्नी व्यभिचार; ~ हित (पु० ) दूसरे की भलाई, दूसरे का कल्याण; ~ हितकारी (वि०) दूसरों की भलाई करनेवाला; हित वाद (पु० ) दूसरों की भलाई करने का सिद्धांत पर - फ़ा० (पु०) डैना, पंखा । ~कटा + हिं० (वि०) जिसके पंख कट गए हों
परक-सं० प्रत्यय शब्द के अंत में लगकर अनेक अर्थ का बोधक एक प्रत्यय (जैसे-सौंदर्यपरक, अध्यात्मपरक) परकना - (अ० क्रि० ) = परचना परकाना - (स० क्रि० ) = परचाना
परकार - फ़ा० (पु०) वृत्त की परिधि बनाने, नापने आदि का दो भुजाओंवाला उपकरण
परकारना - फ़ा + हिं० (स० क्रि०) बो० परकार से वृत्त बनाना
पर- I सं० (अ०) 1 उपरांत, बाद 2 निरंतर, लगातार II (वि०) दूसरे का, पराया। ~काजी + हिं० (वि०) दूसरे का काम करनेवाला, परोपकारी काय प्रवेश ( पु० ) आत्मा को दूसरे शरीर में प्रवेश कराना; जीवी (पु०) दूसरे जीवों को आहार बनाकर जीवित रहनेवाला पौधा एवं प्राणी; ~तंत्र (वि०) जो दूसरे के वश में हो, पराधीन; दुःख (पु०) दूसरे का कष्ट देश (पु० ) दूसरा देश; देशी (वि०) जो अपने देश का न हो, दूसरे देश का धर्म - ग्रहण (पु०) दूसरा धर्म स्वीकार करना; ~ निंदा (स्त्री०) दूसरों की बुराई; ~ निर्भर (वि०) जो दूसरों पर निर्भर हो, जो स्वावलंबी न हो; ~ निर्भरता (स्त्री०) पर निर्भर होने का भाव; पक्ष (पु०) दूसरा पक्ष, दूसरा दल; ~ पक्ष ग्राही (पु० ) दूसरे का पक्ष लेनेवाला; ~ पत्नी व्यभिचार (पु० ) दूसरे की पत्नी के साथ अनैतिक संबंध स्थापित करना; पीड़क (पु०) दूसरों को कष्ट पहुँचानेवाला व्यक्ति; ~पीड़न (पु० ) दूसरे को पीड़ा देना -पीड़न रति (स्त्री०) दूसरे को पीड़ा देकर स्वयं सुख का अनुभव करना; पौत्र (पु० ) परपोता; प्रत्यय (पु० ) व्या० शब्द के अंत में लगकर विशेषता उत्पन्न करनेवाला एक प्रत्यय (जैसे- 'सरलता' में 'ता' पर प्रत्यय है); पुरुष (पु० ) अपने से भिन्न पुरुष, अजनबी, अंजान; ब्रह्म (पु० )
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परकाल - फ़ा० = परकार
परकाला - I (पु० ) 1 सीढ़ी, जीना 2 चौखट 3 दहलीज़ परकाला-II फ़ा० (पु० ) 1 शीशे का टुकड़ा 2 चिनगारी परकीकरण-सं० (पु० ) परकीय बनाने की क्रिया परकीय - सं० (वि०) 1 जिसका संबंध दूसरे से हो 2 दूसरे का,
पराया
परकीया -सं० (स्त्री०) अपने पति की उपेक्षा कर परपुरुष से प्रेम करनेवाली नायिका
परकोटा - (पु०) 1 गढ़ की रक्षा के लिए चारों ओर उठाई गई
ऊँची और बड़ी दीवार 2 ऊँची और बड़ी चहारदीवारी 3 बाँध परख - (स्त्री०) 1 परखने की क्रिया 2 गुण-दोष को निश्चय करने के लिए वस्तु की परीक्षा (जैसे व्यक्ति की आलोचना करने के पूर्व उसे परख लेना चाहिए) परखचा - (पु० ) टुकड़ा, खंड। परखचे उड़ाना छिन्न-भिन्न कर देना, धज्जियाँ उड़ाना