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परिवारण
परिवारण-सं० ( पु० ) 1 ढकना 2 आवरण, आच्छादन परिवारित-सं० (वि०) घेरा हुआ, आवेष्टित परिवारी - I सं० ( पु० ) परिवार के लोग II (वि०) पारिवारिक परिवार्षिक - सं० (वि०) जो पूरे वर्ष भर चलता रहे (जैसे- परिवार्षिक नाला कभी सूखता नहीं है) परिवास - सं० (पु० ) 1 ठहरना, टिकना 2 घर, मकान 3 सुगंध, सुवास
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परिवाह सं० ( पु० ) 1 पानी का उमड़कर चारों तरफ़ बहना 2 जल निकासी का मार्ग
परिवाही -सं० (वि०) छलककर बहनेवाला परिविद्ध-सं० (वि०) चारों ओर से बिधा हुआ परिविष्ट-सं० (वि०) 1 घेरा हुआ 2 घिरा हुआ परिवीक्षण-सं० ( पु० ) 1 अच्छी तरह देखना 2 चारों तरफ़ ध्यानपूर्वक देखना
परिवीत - सं० (वि०) 1 लपेटा हुआ 2 छिपाया हुआ 3 ढका हुआ, आच्छादित
परिवृत - सं० (वि०) 1 घेरा हुआ 2 उलटा-पलटा हुआ परिवृत्ति - सं० (स्त्री० ) 1 घेरा, वेष्टन 2 घुमाव, चक्कर 3 अंत, समाप्ति 4 विनिमय परिवृद्ध - सं० (वि०) चारों ओर से बढ़ा हुआ परिवृद्धि - सं० (स्त्री०) परिवृद्ध होने की अवस्था परिवेद - सं० ( पु० ) 1 पूर्ण ज्ञान 2 अनेक विषयों का ज्ञान परिवेदन -सं० ( पु० ) 1 बड़े भाई से पूर्व छोटे भाई का विवाह 2 विवाह, शादी 3 व्यापक ज्ञान 4 सर्वत्र विद्यमानता 5 कष्ट, विपत्ति
परिवेदना-संघ (स्त्री०) 1 विवेक शक्ति 2 चतुराई परिवेधन -सं० (पु० ) छेद करना
परिवेश सं० ( पु० ) 1 वेष्टन, परिधि 2 सूर्य, चंद्रमा के चारों तरफ़ दिखाई देनेवाला घेरा 3 प्रकाश पिंडों के चारों तरफ़ कुछ दूरी तक दिखाई पड़नेवाला मंडलाकार प्रकाश 4 महान् पुरुषों, देवी-देवताओं के चित्रों में उनके मुख मंडल के चारों तरफ़ दिखलाया जानेवाला प्रकाश का घेरा, प्रभा मंडल परिवेष-सं० (पु० ) भोजन परोसना, भोजन परसना परिवेषण-सं० (पु० ) भोजन परोसने का काम परिवेष्टक-सं० (वि०) भोजन परोसनेवाला
परिवेष्टन - सं० ( पु० ) 1 चारों ओर से घेरना 2 छिपानेवाली वस्तु, आच्छादन
परिवेष्टित सं० (वि०) 1 आच्छादित, ढका हुआ 2 घेरा 3 घिरा हुआ
परिव्यक्त-सं० (वि०) अति स्पष्ट परिव्यय - सं० ( पु० ) 1 खर्च लागत 2 पारिश्रमिक 3 शुल्क परिव्याप्त-सं० (वि०) अच्छी तरह से समाया हुआ परिव्याप्ति-सं० (स्त्री०) समाने की अवस्था परिव्रज्या - सं० (स्त्री०) 1 भ्रमण 2 तपस्या 3 भिक्षा माँगकर जीवन निर्वाह करने का नियम
हुआ
परिव्राज, परिव्राजक -सं० (पु० ) 1 संन्यासी 2 परिव्रज्या व्रत ग्रहण करके भिक्षा माँगकर जीवन निर्वाह करनेवाला संन्यासी परिशयन - सं० (पु० ) बहुत अधिक सोना परिशिष्ट - I सं० (वि०) छूटा हुआ, बाकी बचा हुआ, अवशिष्ट II (पु० ) 1 पुस्तकों के अंत में दी जानेवाली पूरक
परिसंख्या
बातें 2 दे० अनुसूची परिशीलन-सं० (पु०) गंभीर अध्ययन; ~कर्ता (वि०) गंभीर अध्ययन करनेवाला परिशीलित-सं० (वि०) जिसका परिशीलन किया गया हो
परिशुद्ध - सं० (वि०) 1 बिल्कुल शुद्ध, खरा 2 बिल्कुल ठीक परिशुद्धि - सं० (स्त्री०) पूर्ण शुद्धि, सम्यक् शुद्धि परिशून्य - I सं० (वि०) जो बिल्कुल शून्य हो II (पु०) वह पदार्थ जिसमें से वायु निकाल दी गई हो
परिशेष - I सं० (वि०) जो अब भी शेष हो II (पु० ) बचा हुआ तत्व
परिशोध-सं० (पु० ) अच्छी तरह शुद्ध करना परिशोधन -सं० ( पु० ) पूर्णतः शुद्ध करने की क्रिया परिशोधित - सं० (वि० ) शुद्ध किया हुआ (जैसे-ग्रंथ का नवाँ संस्करण परिशोधित हो चुका है)
परिश्रम - सं० ( पु० ) मेहनत (जैसे खेती करने में बहुत परिश्रम करना पड़ता है) । ~आधिक्य (पु०) परिश्रम की अधिकता; ~शील (वि०) परिश्रम करने के स्वभाववाला परिश्रमी -सं० (वि०) मेहनती
परिश्रय-सं० (पु० ) 1 परिषद, सभा 2 आश्रय 3 शरण स्थल परिश्रांत-सं० (वि०) थका-माँदा परिश्रांति-सं० (स्त्री०) अत्यधिक थकावट परिश्रुत-सं० (वि०) भली भाँति सुनी हुई परिश्लेष-सं० (पु०) आलिंगन
परिषद - सं० (स्त्री०) 1 सभा 2 वैदिक युग में राजा द्वारा बुलाई जानेवाली विद्वानों की सभा 3 सलाह देनेवाले सदस्यों की सभा (जैसे- कल से विधान परिषद का अधिवेशन आरंभ होगा) परिषद - सं० ( पु० ) 1 जुलूस में चलनेवाले अनुचर 2 दरवारी
3 सदस्य, सभासद
परिषद्य - सं० (पु० ) परिषद का सदस्य परिषिक्त सं० (वि०) 1 अच्छी तरह से सींचा गया 2 छिड़काव किया हुआ
परिष्कर-सं० (पु०) सजावट, सज्जा परिष्करण - सं० ( पु० ) साफ़ एवं सुंदर बनाने की क्रिया परिष्करणी-सं० (स्त्री०) यंत्रों की सहायता से तेल, धातुओं आदि को शुद्ध करने का कारखाना
परिष्कार - सं० ( पु० ) 1 अच्छी तरह से साफ़ करने की क्रिया, पूर्णतः स्वच्छ करना 2 सुरुचिपूर्ण, सुंदर एवं स्वच्छ बनाना 3 स्वच्छता, निर्मलता परिष्कृत-सं० (वि०) 1 साफ़ किया हुआ 2 सुधारा हुआ (जैसे- सबको सरल एवं परिष्कृत भाषा लिखनी चाहिए ) परिष्कृति-सं० (स्त्री०) परिष्कृत होने की अवस्था परिष्क्रिया-सं० (स्त्री०) परिष्कार परिष्टवन-सं० . ( पु० ) प्रशंसा, स्तुति परिष्ठल-सं० (पु०) आस-पास की ज़मीन परिष्वंग-सं० (पुल) परिरंभ, आलिंगन परिसंख्या -सं० (स्त्री०) 1 गणना, गिनती 2 अर्थालंकार जहाँ वस्तु का एक स्थान से निषेध करके अन्य स्थान में स्थापन हो 3 ऐसा विधान जहाँ विहित वस्तु से भिन्न सभी वस्तुओं को अमान्य कर दिया जाए