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पशव्य
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पशव्य - I सं० (वि०) 1 पशुओं का 2 पशुओं की तरह का II (पु० ) पशुओं का झुंड
पशु - सं० ( पु० ) 1 जानवर, चौपाया (जैसे- शेर खूंख्वार एवं निर्भीक पशु है) 2 जंतु, प्राणी (जैसे- सभी पशु मांसाहारी नहीं होते) । ~ उत्पादन (पु० ) पशुओं की उत्पत्ति करना; कर्म (पु०), ~क्रिया (स्त्री०) 1 पशुओं का होनेवाला बलिदान 2 मैथुन ~चर (पु० ) पशुओं के चरने हेतु सुरक्षित भूमि; ~ चारण (पु० ) पशु चराना; ~ चिकित्सक (पु० ) पशुओं का इलाज करनेवाला, पशु डाक्टर; चिकित्सा (स्त्री०) पशुओं के रोगों एवं उनके निदान का कार्य एवं पद्धति; ~ चिकित्सालय (पु० ) पशुओं का दवाखाना; जगत् (पु० ) जीव-जंतु जन्य (वि०) पशु से उत्पन्न; जीवी (वि०) 1 पशु का मांस खाकर जीनेवाला 2 पशु पालन करके उनसे प्राप्त वस्तुओं से जीविका चलानेवाला; ~ता (स्त्री०) 1 पशु होने की अवस्था 2 पशुओं का सा स्वभाव; ता-मय (वि०) = पशव्य; ~तुल्य (वि०) जो पशु के समान आचरण करे ~धन (पु०) वो पालतू पशु जो आर्थिक उत्पादन एवं सुरक्षा दृष्टि से उपयोगी हैं; ~ धर्म (पु० ) पशुवत आचरण; ~पति (पु०) महादेव, पाल, पालक I (वि०) पशुओं को पालनेवाला II ( पु० ) ग्वाला, अहीर; ~पालन (पु० ) पशु पालने की क्रिया; पालन- फ़ार्म + अं० (पु० ) पालतू पशुओं के रहने का स्थान; बल (पु० ) पशु शक्ति भाव (पु० ) पशुता, जानवरपन; ~रति (स्त्री० ) 1 शुद्ध काम वासना की तृप्ति हेतु पशु के समान की जानेवाली रात 2 पशु वर्ग के किसी प्राणी के साथ मनुष्य द्वारा की गई रति; राज (पु० ) पशुओं के स्वामी, सिंह, शेर, ~वध (पु० ) पशु-हत्या; विक्रेता (पु० ) पशु बेचनेवाला; ~ विशेषज्ञ (पु०) पशुओं का अच्छा जानकार; ~वृत्ति (स्त्री०) पशुवत् आचरण; शाला (स्त्री०) पशुओं के रहने की जगह, पशु गृह; ~संहार ( पु० ) पशु वध; ~ सुधार (पु० ) पशुओं की नस्ल का सुधार; हृदय (वि०) पशु के से हृदयवाला, स्वार्थी और निर्दय पशुत्व-सं० (पु० ) = पशुता पशुवत्-सं० (वि०) पशु के स्वभाववाला, पशु तुल्य पश्च-सं० (वि०) पिछला (जैसे-सामयिक पत्र का पश्च अंक
गलत छपा था ) 2 बाद का, परवर्ती 3 पश्चिम का, पश्चिमी । ~गमन (पु० ) 1 पीछे की ओर चलना 2 अवनति होना, पतनोन्मुख होना; गामी (वि०) 1 पीछे हटनेवाला 2 अवनति दर्शन (पु० ) पीछे मुड़कर देखना; प्रभाव (पु० ) समय बीतने पर दिखाई देनेवाला प्रभाव; लेख (पु० ) पत्र लिखने के बाद लिखा जानेवाला कोई अंश, लेखांश
पश्चात् - I सं० अ० पीछे से, बाद में, उपरांत (जैसे-मेरे पश्चात् आपको दौड़ना पड़ेगा ) II (पु० ) अंत, समाप्ति पश्चाताप सं० (प्०) पछतावा, दुःख पश्चातापी-सं० (वि०) पश्चाताप करनेवाला पश्चाद्वर्ती सं० (वि०) 1 पीछे रहनेवाला 2 अनुसरण करनेवाला
पश्चार्द्ध-सं० (पु० ) 1 पीछेवाला आधा भाग 2 पश्चिमी भाग पश्चिम - I सं० (वि०) अंतिम, पिछला II (पु०) सूर्य के
पसारना
यूरोपीय सागर ( पु० )
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अस्त होने की दिशा, प्रतीची, पश्चिम * अं० + सं० (वि०) पश्चिम यूरोप का एटलांटिक या अतलांतक महासागर पश्चिमांचल-सं० (पु०) अस्ताचल पश्चिमा सं० (स्त्री० ) पश्चिम दिशा पश्चिमात्य -सं० (वि०) पाश्चात्य, पश्चिमी पश्चिमी, पश्चिमीय सं० (वि०) 1 पश्चिम दिशा का 2 पश्चिम देशों में रहनेवाला 3 पछवाँ (जैसे- सागर से चलनेवाली पश्चिमी हवाएँ गर्म होती हैं) पश्चिमोत्तर-सं० (वि०) पश्चिम एवं उत्तर दिशाओं के मध्य स्थित। ~ सीमा- प्रदेश (पु० ) पाकिस्तान में पश्चिम उत्तर की सीमा में पड़नेवाला प्रांत
पश्तो - ( स्त्री०) एक प्राचीन आर्यभाषा जो भारत की पश्चिमोत्तर से लेकर अफगानिस्तान, तक बोली जाती है पश्म-फ़ा० (पु० ) = पशम पश्मीना - फ़ा० (पु० ) = पशमीना
पश्यंती-सं० (स्त्री०) विशेष प्रकार की ध्वनि पश्यतोहर - I सं० (वि०) देखते-देखते चतुरता से कोई वस्तु चुरा लेनेवाला II (पु० ) स्वर्णकार, सुनार पसंगा-बो० (पु० ).
पासंग
पसंद - फ़ा० (वि०) 1 रुचिकर लगनेवाली 2 रुचि के अनुकूल (जैसे-यह कपड़ा मेरी पसंद का है) 3 वरण की हुई, चुनी हुई (जैसे- दर्शनशास्त्र मेरे पसंद का विषय है ) पसंदगी - फ़ा० (स्त्री०) पसंद आने का भाव पसंदीदा - फ़ा० (वि०) पसंद आनेवाला, पसंद किया हुआ पस - I फ़ा० अ० 1 अंत में, बाद में 2 पुनः, फिर 3 अतः, इसलिए 4 बेशक, निःसंदेह
पस - II अं० ( पु० ) जख़्म से निकलनेवाला लसीला तरल पदार्थ, मवाद पस-ग़ैबत-फ़ा० अ० ( क्रि० वि०) अनुपस्थिति में पसनी - बो० (स्त्री०) बच्चे को पहले-पहल अन्न चटाना,
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अन्नप्राशन
पस-माँदा - फ़ा० (वि०) बचा हुआ, शेष पसर-I (पु० ) 1 आधी अंजलि 2 अंजलि में भरी हुई वस्तु पसर - II ( पु० ) 1 पशुओं के चरने की भूमि, चरागाह 2 चढ़ाई,
आक्रमण
पसरना - (अ० क्रि०) 1 लेटना 2 फैलना
पसरहट्टा - (पु० ) पँसरहट्टा
पसराना - (स० क्रि०) 1 फैलवाना 2 पसरने में प्रवृत्त करना पसली - (स्त्री०) स्तनपायी जीवों की छाती के दोनों ओर की गोलाकार हड्डियों में से प्रत्येक । फड़क उठना, ~फड़कना मन में उत्साह पैदा होना, जी में उमंग होना; पसलियाँ ढीली करना, पसलियाँ तोड़ना बुरी तरह पीटना पसा - ( पु० ) पसर I
पसाना - I (स० क्रि०) 1 पके हुए चावल से माड़ निकालना
2 जलीय अंश निकालना II (अ० क्रि०) प्रसन्न होना पसार - (पु० ) 1 पसरने की क्रिया 2 फैलाव, विस्तार पसारना - (स० क्रि०) 1 फैलाना (जैसे- भिखारी ने राजा के सामने झोली पसार दी) 2 आगे बढ़ाना (जैसे-प्रसाद के लिए हाथ पसारना ) 3 विस्तृत करना । अपने पैर पसारना
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