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काश्त
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किताब
अंगूर
काश्त-फ़ा० (स्त्री०) 1 खेती-बाड़ी, कृषि 2 किसी की जोत की | किंचित्-I सं० (वि०) थोड़ा, कुछ, क्षणिक II (क्रि० वि०) ज़मीन । ~कार (पु०) खेतिहर; ~कारी I (स्त्री०) अल्प मात्रा में, बहुत कम 1 खेती, किसानी 2 ऐसी भूमि जिसपर काश्तकार का अधिकार किंजल, किंजल्क-I सं० (वि०) 1 कमल के केसर के रंग हो II (वि०) 1 काश्तकार संबंधी (जैसे-काश्तकारी का, हल्का पीला II (पु०) 1 कमल का पराग, कमल का अधिकार) 2 खेती बाड़ी संबंधी
केसर 2 नागकेसर काश्मीरा-(पु०) 1 एक प्रकार का ऊनी वस्त्र 2 एक प्रकार का | किंडरगार्डन-(स्त्री०) बच्चों को खिलौने आदि द्वारा शिक्षा देने
की प्रणाली, बालबाड़ी, बालोद्यान, काश्मीरी-(वि०) 1 कश्मीर का 2 कश्मीर में उत्पन्न होनेवाला किंतु-सं० (अ०) 1 परंतु, लेकिन 2 बल्कि काषाय-I +सं० (वि०) 1 हरड़, बहेड़े आदि के रंग में रंगा किंभूत-सं० (वि०) 1 किस तरह का 2 अद्भुत 3 भद्दा हुआ 2 गरूंआ II (पु०) गेरूंआ वस्त्र
किंवदंती-सं० (स्त्री०) 1 अफ़वाह 2 लोकापवाद काष्ठ-सं० (पु०) 1 काठ, लकड़ी 2 ईधन । ~ उद्योग (पु०) किंवा-सं० (अ०) या, या तो, अथवा लकड़ी का व्यापार; नक्षक (पु०) बढ़ई; -भित्ति कि-फा० (भोजक), यों अर्थात् (स्त्री०) लकड़ी की दीवार
किक-अं० (स्त्री०) पैर से मारना, ठोकर मारना (जैसे-फुटबाल काष्ठवत्-सं० (वि०) 1 काठ जैसा 2 कड़ा 3 जड़
को किक करना) काष्ठा-सं० (स्त्री०) 1 रास्ता, मार्ग 2 सीमा 3 दिशा 4 उत्कर्ष । किकियाना-(अ० क्रि०) चिल्लाना 5ऊँचाई
किच-किच-(स्त्री०) 1 झगड़ा, विवाद 2 अशांति 3 उलझने काष्ठागार-सं० (पु०) काठ का घर
सी स्थिति काष्ठीय-सं० (वि०) 1 लकड़ी का बना हुआ 2 काठ संबंधी । किचकिचाना-(अ० क्रि०) क्रोध में दाँत पीसना (जैसे-काष्ठीय व्यापार)
(जैसे-किचकिचाना अच्छा नहीं लगता) काष्ठोत्कीर्ण-सं० (वि०) लकड़ी पर खुदा हुआ किचकिचाहट-(स्त्री०) 1 किचकिचाने का भाव कास-सं० (पु०) खाँसी
2 खिजलाहट, 3 झुंझलाहट कासनी-फा० (स्त्री०) 1 लगभग दो हाथ की ऊँचाईवाला एक किचकिची-(स्त्री०) = किचकिचाहट हरा पौधा जिसका बीज दवा के काम आता है 2 कासनी के | किचड़ाना-I (अ० क्रि०) कीचड़युक्त होना (जैसे-आँख फूल-सा हल्का नीला रंग
किचड़ाना) II (स० क्रि०) कीचड़ से युक्त करना कासमिक-अं० (वि०) = कास्मिक
किचर-पिचर-(वि०) गिचपिच (गचपच) कासा-फ़ा० (पु०) = 1 कटोरा 2 कचकोल
किट-अं० (स्त्री०) 1 उपकरण 2 सारा सामान । -बैग (पु०) कासार-सं० (पु०) 1 छोटा तालाब 2 ताल
झोला कासिद-अ० (वि०) संदेशा ले जानेवाला, पत्रवाहक किट-किट-(स्त्री०) = किचकिच कास्केट-अं० (पु०) डिब्बा
किटकिटाना-(अ० क्रि०) किचकिचाना कास्ट-अं० (स्त्री०) नाटक चलचित्र आदि के पात्र किटकिना-(पु०) 1 ठेकेदार की ओर से दूसरों को दिया कास्ट आयरन-अं० (पु०) ढलवाँ लोहा
जानेवाला ठेका 2 सोनारों का ठप्पा। ~दार + फ़ा० (पु०) कास्टिक-अं० (पु०) त्वचा आदि को जला देनेवाला एक ठेकेदार से ठेका लेनेवाला; बाज़ + फ़ा० (पु०) चतुराई से तेज़ाब
काम चलानेवाला कास्मिक-अं० (वि०) ब्रह्मांड संबंधी
किट्ट-सं० (पु०) 1 धातु का मैल, कीट 2 तरल पदार्थ के नीचे कास्मेटिक-I अं०.(वि०) प्रसाधक II (पु.) अंगराग, बैठनेवाला मैल, गाद प्रसाधन
किड़कना-(अ० क्रि०) चुपके से चल देना, खिसक जाना कास्मेटिक्स-अं० (पु०) प्रसाधन सामग्री
किडनी-अं० (पु०) गुर्दा, वृक्क काहिल-अ० (वि०) सुस्त, आलसी
किण्व-सं० (पु०) खमीर काहिली-अ० + फ़ा० (स्त्री०) सुस्ती, ढिलाई
किण्वन-सं० (पु०) खमीर उठाना काही-I फ़ा० (वि०) घास के रंग का II (पु०) घास का रंग, कितना-I (वि०) 1किस मात्रा का (जैसे-कितना रुपया हरा रंग
चाहिए, कितना अनाज लोगे) 2 किस दरज़े का II (अ०) काहे-(क्रि० वि०) किसलिए, क्यों
1 किस मात्रा में 2 कहाँ तक किंकणी-सं० (स्त्री०) करधनी
कितव-सं० (पु०) 1 जुआरी 2 छलिया 3 धूर्त 4 पागल, किंकर-सं० (पु०) 1 गुलाम, दास 2 सेवक, नौकर । बावला 5 दुष्ट किंकर्तव्य-सं० (वि०) क्या किया जाए। -विमूढ़ (वि०) | किता-अ० (पु०) 1 सिलाई में होनेवाली काट-छाँट, टुकड़ा
जो यह न समझ सके कि अब क्या करना चाहिए, भौंचक्का, | 2 काटने की क्रिया 3 बनावट आदि का तरीका 4 ज़मीन का दुविधा भरी स्थिति
भाग (जैसे-दस किता मकान)। किंकिणी-सं० (स्त्री०) 1 छोटी घंटी 2 करधनी
किताब-अ० (स्त्री०) 1 पुस्तक 2 पोथी 3 बही (जैसे-हिसाब किंगिरी-(स्त्री०) सारंगी की तरह एक छोटा बाजा की किताब)। खाना + फ़ा०, ~घर + हिं० (पु०) किंचन-सं० (पु०) थोड़ी वस्तु
पुस्तकालय; ~फ़रोश + फ़ा० (पु०) पुस्तक विक्रेता