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चारु
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जारु - I सं० (वि०) सुंदर (जैसे-चारु कपोल, चारु चंद्र की चंचल किरणें ) II ( पु०) कुंकुम, केसर। ता (स्त्री०) सुंदरता; दर्शन (वि०) देखने में सुंदर; फला (स्त्री०) अंगूर की लता, द्राक्षा लता; ~वर्धना (स्त्री०) सुंदर स्त्री; ~ शीला (वि०) उत्तम शील-स्वभाववाली; हासी (वि०) 1 मनोहर हँसीवाला, सुंदर मुस्कानवाला 2 जो हँसने में सुंदर लगे
चार्चिक्य-सं० (पु० ) अंगराग
चार्ज - अं० (पु० ) 1 कार्य भार 2 देख-रेख 3 अभियोग 4 सेवा का पारिश्रमिक, परिव्यय (जैसे-ईंट की ढुलाई का कितना चार्ज होगा ) 5 यकायक किया गया हमला, आक्रमण (जैसे- पुलिस को भीड़ पर लाठी चार्ज करना पड़ा। शीट (पु० )
अभियोग पत्र
चार्जर-अं० ( पु० ) 1 कार्य भार सँभालनेवाला 2 अभियोग लगानेवाला
चार्ट -अं० (पु० ) नक्शा
चार्टर -अं० (पु० ) अधिकार-पत्र
चार्म -सं० (वि०) 1 चर्म संबंधी 2 चमड़े का बना हुआ चार्य सं० (वि०) दूतकर्म
चार्वाक -सं० (पु० ) 1 एक प्रसिद्ध अनीश्वरवादी विद्वान्, बार्हस्पत्य 2 चार्वाक दर्शन 3 एक नास्तिक मत
चाल - 1 (स्त्री०) 1 गति (जैसे- रेलगाड़ी की चाल बहुत तेज़ है) 2 स्थान परिवर्तन के साथ आगे बढ़ने की क्रिया 3 चलने का ढंग 4 चलने की सायत 5 आचरण, चलन (जैसे- मुझे यह चाल पसंद नहीं है) 6 रीति-रिवाज (जैसे-पुराने चाल-चलन को अपनाना मूर्खता है) 7 ढंग, प्रकार 8 छल, धोखे की बात (जैसे-चाल में आना) 9 मुहरे आदि चलना (जैसे-हाथी की चाल) 10 आहट 11 दाँव 12 ग़रीब बस्ती (जैसे-बम्बई में) ।
चलन (पु० ) 1 नैतिक आचरण, चरित्र 2 आचरण एवं व्यवहार का ढंग ; ~ ढाल (स्त्री०) 1 तौर-तरीका, रंग-ढंग 2 गति-विधि: बाज़ + फ़ा० (वि०) कपट-भरी चालें चलनेवाला, कपटी बाज़ी + फ़ा० धोखेबाज़ी; ~ मिलना चलने की ध्वनि सुनाई पड़ना (जैसे मकान के पीछे कुछ लोगों की चाल मिल रही है)
चाल - II (०) छप्पर, छाजन 2 छत, पाटन चालक - I सं० (वि०) 1 चलानेवाला 2 बिजली की धारा को आगे बढ़ानेवाला II (पु० ) इंजन, यंत्र आदि को गतिमान करनेवाला व्यक्ति । चक्र (पु०) गति देनेवाला चक्का; ~ता (स्त्री०) चालक होने की सामर्थ्य या अवस्था; ~ मंडल (पु० ) चलानेवालों का समूह चालन-संघ (पु० ) 1 चलाने की क्रिया, परिचालन, चलने की क्रिया, गति
चालनी-सं० (स्त्री०) छलनी
चाला - ( पु० ) 1 चलने की क्रिया. रवानगी 2 प्रस्थान का मुहूर्त चालाक - फ़ार (वि) 1 होशियार 2 चालबाज़ चालाकी-फ़ा० (स्त्री०) 1 चतुराई, दक्षता, 2 चालबाज़ी । ~ खेलना धूर्ततापूर्ण चाल चलना, कपट भरा आचरण
करना
चालान - ( पु० ) चालानदार - (पु० )
- चलान
= चलानदार
चालिया - (पु० ) चालबाज़, धूर्त
चालिस - (वि०)
चालीस
चाली - (वि०)
= चालबाज़
चालीस - I (वि०) 1 तीस से दस अधिक II चालीस की संख्या, 40
चालीसा - (पु० ) 1 चालीस वस्तुओं का समूह 2 चालीस पदों का समूह (जैसे- हनुमान चालीसा) 3 चालीस दिनों का समय 4 मृत्यु के चालीसवें दिन होनेवाला, चालीसवाँ चालू- (वि०) 1 जो चलता 2 चलन में होनेवाला, प्रचलित (जैसे- चालू सिक्का, चालू प्रथा) 3 जो अभी जारी हो (जैसे- चालू खाता) 4 जो प्रयोग हो रहा हो (जैसे- यह कार अभी चालू हालत में है) 5 चालाक (जैसे वह चालू लड़का है)
~निकालना
=
चिंगारी
चाव - ( पु० ) 1 शौक 2 इच्छा 3 उत्साह । 1 अभिलाषा पूरी होना 2 शौक पूरा होना चावड़ी - ( स्त्री०) पड़ाव
चावल - (पु० ) 1 धान के बीजों के दाने 2 तंडुल 3 पकाया हुआ चावल, भात 4 रत्ती का आठवाँ भाग ~भर 1 बहुत कम 2 रत्ती के आठवें भाग के बराबर चाशनी -फ़ा० (स्त्री०) 1 शीरा (जैसे-गुड़ की चाशनी)
2 चस्का (जैसे- उसे भी शराब की चाशनी मिल गई) 3 चखकर देखने की वस्तु, खाने की वस्तु का नमूना चाष-सं० (पु० ) नीलकंठ पक्षी
चास- (स्त्री०) 1 जोताई 2 जोता हुआ खेत चासना - (स० क्रि०) (खेत) जोतना चासा - ( पु० ) चाह - (स्त्री०)
1 किसान, खेतिहर 2 हलवाहा 1 लालसा, इच्छा 2 अनुराग,
3 आवश्यकता, ज़रूरत
चाहक - (वि०) 1 चाहनेवाला 2 प्रेम करनेवाला चाहत - (स्त्री०) चाह, प्रेम
प्रेम
चाहना - I (स० क्रि०) 1 इच्छा करना 2 प्रेम करना 3 पसंद करना 4 माँगना (जैसे- मैं आपसे कुछ रुपये चाहता हूँ) II (स्त्री०) चाहने की अवस्था
चाहा - (पु०) एक जल पक्षी जिसका सारा शरीर फूलदार और पीठ सुनहरी होती है।
चाहिए - अ० 1 आवश्यकता 2 उचित (जैसे- हमें गंदी जगह नहीं जाना चहिए)
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चाही - I फ़ा० (वि०) कूएँ के पानी से सींचा जानेवाला (जैसे चाही खेत) II (स्त्री०) चहेती
चाहे अ० 1 यदि जी चाहे, यदि मन में आवे 2 जो इच्छा हो (जैसे-चाहे कपड़ा खरीदो चाहे जूता ) 3 जो कुछ हो सकता हो वह सब (जैसे चाहे वज्रपात हो लेकिन तुम्हें आना है) I ~अनचाहे ( क्रि० वि०) 1 अनिच्छापूर्वक 2 जैसे-तैसे चिं- (पु० ) दे० चीयाँ चिउँटा - (पु० ) दे० च्यूँटा चिंऊँटी - ( स्त्री०) = दे० च्यूँटी
चिंगट - सं... चिंगड़ - (पु० ) झींगा मछली
चिंगना - बो० ( पु० ) 1 मुरगी का छोटा बच्चा, चूजा 2 छोटा
बच्चा
चिंगारी - (स्त्री०)
चिनगारी