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ज़ाया
ज़ाया- अ० (वि०) नष्ट, बर्बाद
जायु - I सं० (पु० ) औषध, दवा II (वि०) जीतनेवाला, जेता, III (पु० ) वैद्य
जार - सं० ( पु० ) 1 परस्त्री से प्रेम करनेवाला 2 उपपति, यार । ~कर्म (पु० ) व्यभिचार, छिनाला; ज (पु०) उपपति के संयोग से उत्पन्न संतान जात (वि०) स्त्री के उपपति से उत्पन्न; ~ भरा (स्त्री०) यार से संबंध रखनेवाली स्त्री ज़ार रू० (पु०) रूस के पुराने बादशाहों की उपाधि । ~कालीन सं० (वि०) ज़ार के समय (1917 से पहले)
का
जारक-सं० (वि०) 1 जलानेवाला 2 नष्ट करनेवाला 3 पाचक ज़ार ज़ार - फ्रा० (वि०) बहुत ज्यादा (जैसे-ज़ार-ज़ार रोना ) जारण-सं० (पु० ) जलाने की क्रिया
ज़ारडम रू० अं० ( पु० ) तानाशाही
जारणी-सं० (स्त्री०) सफ़ेद जीरा
ज़ारन - (पु० ) 1 जलाने की क्रिया 2 ईंधन, जलावन जारना - (स० क्रि० ) = जलाना ज़ार-बेज़ार - फा० (वि०) कम-ज्यादा जारिणी -सं० (स्त्री०) पर-पुरुष 'से प्रेम करनेवाली स्त्री, पुंश्चली जारी - I ( वि०) 1 जिसका प्रचलन हो 2 प्रवाहित (जैसे-गले से खून जारी है) 3 जो इस समय लागू हो (जैसे- अध्यादेश जारी होना) II (स्त्री०) परस्त्री गमन, जार-कर्म जारी - अ० ( पु० ) मुहर्रम में ताजियों के सामने गाया जानेवाला गीत
जारोब - फ़ा० (स्त्री०) झाडू, बुहारी । कश (पु० ) झाडू लगानेवाला व्यक्ति
जार्जेंट अं० (पु०) एक तरह का कृत्रिम रेशमी कपड़ा जाल - सं० (पु० ) 1 सूत, सन आदि की जालीदार बुनी हुई चींज़ 2 कोई जालीदार रचना (जैसे-मकड़ी का जाल) 3 झरोखा 4 वस्तुओं को परस्पर काटती हुई जालदार रचना (जैसे-रेल लाइनों का जाल बिछाना) 5 आपस में गुथी एवं फैली हुई चीज़ों का विस्तार 6 इंद्रजाल 7 धोखा (जैसे- जाल में फँसना ) ~ कारक (पु०) मकड़ा; कीट (पु० ) 1 मकड़ी
2 मकड़ी के जाल में फँसा हुआ कोड़ा; जीवी (पु० ) मछुआ, धीवर; दार फ़ा० (वि०) 1 जालीदार 2 जिस पर जरदोजी आदि के तारों का जाल बुना हुआ हो (जैसे- जालदार साड़ी); पोत (पु० ) मछलियाँ फँसाने के लिए जालवाला जहाज़ - प्राया (स्त्री०) जिरह-बख़्तर
कवच
जाल - अ० (पु० ) 1 धोखा देने के लिए किसी चीज़ की की गई नकल 2 दस्तखत की नकल। फ़रेब + फ़ा० धोखाधड़ी; ~साज़ + फ़ा० (पु०) जाल करनेवाला, ठग; ~साज़ी + फ़ा० (स्त्री०) 1 जाल करना 2 ठगने, फँसाने की युक्ति 3 नकली दस्तावेज़ बनाना
जालक-सं० (पु० ) 1 जाल 2 झरोखा
जाल-जंजाल - (पु०) झंझट जाल-बंद - हिं० + फ़ा० (पु० ) ऐसी कालीन जिसपर कढ़ी हुई लताएँ एवं बेल-बूटे बने हों जो एक-दूसरे को जाल रूप में काटते हों
जाला - I (पु० ) 1 मकड़ी द्वारा बनाया गया जाल 2 घास, भूसा
जाहिली
आदि बाँधने का जाल 3 आँखों की पुतली पर पड़नेवाली झिल्ली (जैसे- आँखों में जाला पड़ना) II दीवार में बना छोटा रोशनदान, झंझरी
जालाक्ष सं० (पु०) झरोखा, गवाक्ष जालिक-सं० (पु०) 1 रस्सियों आदि का जाल बनानेवाला व्यक्ति 2 बहेलिया 3 बाज़ीगर, इंद्रजालिक 4 मछुआरा 5 ठग, मकड़ा
जालिका -सं० (स्त्री०) 1 जाली 2 पाश, फंदा 3 कवच, जिरह बख्तर 4 मकड़ी 5 केला 6 लोहा
जालिनी -सं० (स्त्री०) 1 कद्दू, तरोई आदि फल 2 परवल की
लता
ज़ालिम - अ० (वि०) 1 अत्याचारी 2 क्रूर ज़ालिमाना-अ० + फ़ा० (वि०) अत्याचारपूर्ण जालिया - [ अ० + हिं० (पु०) जालसाज़ी करनेवाला व्यक्ति,
जालसाज़
जालिया - II बो० (पु०) जाल में मछलियाँ आदि फँसाकर अपनी जीविका चलानेवाला व्यक्ति
जाली - I (स्त्री०) 1 छेद, कटाव (जैसे- साड़ी में चूहे ने जाली कर दी है) 2 जालीदार रचना (जैसे सीमेंट की जाली, लोहे की जाली) 3 कच्चे आम आदि के अंदर के तंतुजाल 4 घास भूसा रखने की डोरी की बनी जालीदार रचना । दार + फ़ा० (वि०) जिसमें जाली बनी हो
जाली - IIअ० (वि०) झूठा एवं नकली (जैसे- जाली सिक्का, जाली हस्ताक्षर ), फर्जी
जाल्प-सं० (वि०) 1 नीच 2 मूर्ख
जाल्मक-सं० (वि०) 1 घृणित 2 नीच
जावक - I (पु० ) 1 अलता 2 मेंहदी II (वि०) जानेवाला जावर - बो० (पु० ) 1 ऊख के रस में पकाई हुई खीर 2 कद्दू के
टुकड़ों के साथ पकाया हुआ चावल
जावित्री - (स्त्री०) जायफल के ऊपर का सुगंधित छिलका जासूस - अ० (पु० ) गुप्तचर, भेदिया जासूसी - I अ० (स्त्री०) 1 जासूस होने की अवस्था, भेदियापन 2 जासूस का काम II (वि०) जासूस संबंधी (जैसे- जासूसी उपन्यास) जाह - फ़ा० (पु० ) 1 पद, पदवी 2 वैभव 3 गौरव, मर्यादा जाहक सं० (पु० ) 1 गिरगिट 2 जोंक 3 घोंघा 4 बिस्तर, बिछौना
ज़ाहिद - अ० (पु० ) संसारिक प्रपंचों आदि से दूर रहकर भगवत् भजन करनेवाला व्यक्ति
+
ज़ाहिर अ० (वि०) 1 जो स्पष्ट रूप से सबके सामने हो 2 प्रकट, ज्ञात, विदित। दार फ़ा० (वि०) प्रकट करनेवाला; दारी + फ़ा० (स्त्री०) दिखावा शिष्टाचार; परस्त + फ़ा० (वि०) दुनियादार; परस्ती (स्त्री०) दुनियादारी
ज़ाहिरा - I अ० ( क्रि० वि०) ऊपर से देखने पर II (वि०) बाहर से दिखाई देनेवाला
ज़ाहिरी-अ० + फ़ा० (वि०) 1 जो प्रकट हो 2 दिखौआ, बनावटी
जाहिल - अ० (वि० ) 1 निरा अशिक्षित और मूर्ख 2 उजड्ड जाहिली-अ० + फ़ा० (स्त्री०) मूर्खता