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पड़वा
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पता
पड़वा-I (स्त्री०) प्रत्येक पक्ष की प्रथम तिथि, परिवा . पणी-सं० (पु०) व्यापारी, दूकानदार पड़वा-II (पु०) भैंस का नर बच्चा
पण्य-1 सं० (वि०) = पणितव्य || (पु०) 1 माल, सौदा पड़ाका-(पु०) = पटाका
2 व्यापार 3 बाज़ार 4 दूकान। ~क्षेत्र (पु०) = पण्य भूमि; पड़ाना-(स० क्रि०) = पड़वाना
-चिह्न (पु०) दे० वाणिज्य चिह्नः जीवी (वि०) पड़ाब-(पु०) 1 ठहरने की जगह, ठिकाना 2 मार्ग में कहीं 1 व्यापार आदि से अपना जीवन चलानेवाला 2 जूआ आदि से
ठहरना (जैसे-रात को धर्मशाला में पड़ाव डालना) प्राप्त धन से जीवन गुज़ारनेवाला; ~पति (पु०) 1 बहुत बड़ा पड़िया-(स्त्री०) भैंस का मादा बच्चा
व्यापारी 2 बहुत बड़ा साहूकार, सेठ; ~भूमि (स्त्री०) पडियाना-I (अ क्रि०) भैंस का भैंसे से संयोग होना, भैंसाना । 1 व्यापार करने का स्थान 2 मंडी, हाट 3 गोदाम; ~वस्तु II (स० क्रि०) भैंस का भैंसे से संयोग कराना
(स्त्री०) ख़रीद एवं बिक्री का माल, पण्य द्रव्य, शाला पड़ोस-(पु०) निवास स्थान के बगल का घर
(स्त्री०) = पण्य वीथि पड़ोसिन-(स्त्री०) पड़ोस में रहनेवाली स्त्री
पण्याजीव सं० (पु०) व्यापारी, रोज़गारी पड़ोसी-(पु०) पड़ोस में रहनेवाला व्यक्ति, हमसाया, प्रतिवेशी पतंग-[सं० (पु०) 1 पतिंगा. शलभ 2 सूर्य (जैसे-रघुवर बाल पढ़त-(स्त्री०) 1 पढ़ने की क्रिया 2 पढ़ा हुआ पाठ
पतंग) पढ़त-(स्त्री०) पठन, वाचन (जैसे-विधेयक की तीसरी पढ़त) पतंग-II सं० (स्त्री० ) कनकौआ, गुड्डी (जैसे-पतंग उड़ाना भी पढ़ना-(स० क्रि०) 1 उच्चारण आदि का ज्ञान प्राप्त करना मनोरंजन का साधन है)। छुरी -हिं० (वि०) बो० (जैसे-अंग्रेजी पढ़ना, उर्दू की पुस्तक पढ़ना) 2 उच्च स्वर में चुगलखोर; ~बाज़ + फ़ा० (पु०) पतंग उड़ाने का शौकीन; बोलते जाना, उच्चारण करना (जैसे-दस्तावेज़ पढ़ना ज़रूरी हो बाज़ी +फ़ा० (स्त्री०) पतंग उड़ाने की क्रिया। -काटना गया है) 3 अभ्यास के रूप में रटना, याद करना पतंग लड़ाकर दूसरे की पतंग की डोर काट देना; बढ़ाना (जैसे-गिनती-पहाड़ा पढ़ लेना) 4 विधिवत् अध्ययन करना पतंग को ऊँचाई तक पहुँचाना (जैसे-पाँचवी घंटी के बाद दर्शन शास्त्र पढ़ना है) 5 अध्ययन पतंगा-(पु०) 1 फतिंगा 2 दीये का फूल 3 चिनगारी एवं मनन करना (जैसे-ग्रंथकार ने अनके महाकाव्यों को पढ़ना पतंचिका-सं० (स्त्री०) धनुष की प्रत्यंचा उचित समझा)। ललिखना (पु०) पढ़ना और लिखना, | पत-I (स्त्री०) प्रतिष्ठा, आबरू, इज्ज़त II (पु०) 1 पति शिक्षा प्राप्त करना
2 स्वामी। -उतारना अपमान करना; रखना इज़्ज़त पढ़नेवाला-(वि०) 1 अध्ययन करनेवाला 2 उच्चारण बचाना; ~पानी (पु०) सम्मान, इज़्ज़त करनेवाला
पतझड़-(स्त्री०) 1 शिशिर ऋतु जिसमें पेड़ की पत्तियाँ झड़ पढ़वाई-(स्त्री०) पढ़वाने का पारिश्रमिक
जाती हैं (जैसे-यह पतझड़ का समय है) 2 पत्तों का झड़ना पढ़वाना-(स० क्रि०) 1 पढ़ने का काम किसी अन्य व्यक्ति से पतत्रि-सं० (पु०) पक्षी, चिड़िया करवाना 2 किसी को पढ़ाने में प्रवृत्त करना
पतन-1 सं० (पु०) 1 गिरने की क्रिया 2 निंदनीय आचरण करने पढ़वैया-(वि०) 1 पढ़नेवाला 2 पढ़ानेवाला
में प्रवृत्त होना 3 प्रभुता एवं महत्ता का नष्ट होने की स्थिति में पढ़ाई-(स्त्री०) 1 पढ़ने की क्रिया 2 पढ़ाने की क्रिया 3 पढ़ाने | आना 4 च्युत होना || (वि०) गिरनेवाला। --शील (वि०) का पारिश्रमिक। -लिखाई (स्त्री०) शिक्षा
जिसका पतन हो रहा हो पढ़ाकू-(वि०) पढ़नेवाला
पतनीय-सं० (वि०) पतन की ओर अग्रसर पढ़ाना-(स० क्रि०) 1 शिक्षा देना, शिक्षित बनाना (जैसे- पतनोन्मुख-सं० (वि०) जो पतन की ओर उन्मुख हो, पतन की
अध्यापक का कार्य बालकों को उत्तम ढंग से पढ़ाना है) | ओर जानेवाला 2 उच्चारण करना सिखाना (जैसे-तोते को राम-राम पढ़ाना) | पतला-(वि०) 1 जिसका फैलाव कम हो 2 जो मोटा न हो पढ़ा-लिखा-(वि०) शिक्षित (जैसे-पढ़ा-लिखा आदमी) 3 जिसका शरीर हृष्ट-पुष्ट न हो, कृश, क्षीण 3 तल के विचार पढ़या-(वि०) पढ़नेवाला
से जो महीन हो (जैसे-पतला काग़ज़) 4 जिसकी चौड़ाई बहुत पण-सं० (पु०) 1 पासों से खेला जानेवाला खेल 2 जूआ, छूत कम हो, सँकरा (जैसे-पतली गली, पतली नदी) 5 जो 3 बाज़ी, शर्त 4 प्रतिज्ञा 5 इकरार 6 पारिश्रमिकं 7 वेतन 8 मूल्य अत्यधिक तरल हो (जैसे-पतला दूध, पतली चाय) 6 जिसमें १ शुल्क 10 व्यापार, रोज़गार 11 माल, सौदा। -क्रिया मोटाई ज़रा भी न हो (जैसे-पतला सूत)। ~पन (पु०) (स्त्री०) बाज़ी लगाने का कार्य; बंध (पु०) बाज़ी बदना, पतला होने का भाव; ~पड़ना कमज़ोर होना, क्षीण हो जाना शर्त लगाना
पतलून-अं० (पु०) अंग्रेज़ी ढंग का पायजामा पणन-सं० (पु०) 1 क्रय करना, मोल लेना, 2 विक्रय 3 शर्त | पतलो-(स्त्री०) 1 सरपत की पताई 2 सरपत, सरकंडा
लगाने की क्रिया 4 व्यापार आदि करने की क्रिया पतवर-(वि०) 1 पंक्ति क्रम से 2 बराबर-बराबर पणव-सं० (पु०) 1 छोटा ढोल 2 नगाड़ा
पतवा-(पु०) ऊँची मचान पणाया-सं० (स्त्री) 1 क्रय-विक्रय का व्यवहार, पतवार-(स्त्री०) 1 नाव में पीछे की ओर लगी तिकोनी लकड़ी,
2 व्यापार-विनिमय 3 बाज़ार 4 व्यापार से होनेवाला लाभ कर्ण 2 पार उतारने का साधन पणि-सं० (स्त्री०) बाज़ार, हाट
पता-(पु०) 1 किसी काम, वस्तु, जगह आदि का परिचायक पणित-सं० (वि०) 1 जिसका क्रय-विक्रय हो चुका हो 2 बाज़ी (जैसे-मकान का पता बताने का कष्ट करें) 2 पत्र आदि के लगाई हुई, शर्त लगी हुई
ऊपर लिखा गया विवरणातक के द्वारा पत्र उचित