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पक्षपातित्व
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पचासा
पक्षपातित्व-सं० (पु०) = पक्षपात
मिलना; बाँधना उत्तराधिकारी बनाना पक्षांत-सं० (पु०) 1 अमावस्या 2 पूर्णिमा
पगना-(अ० क्रि०) 1शरबत आदि के रस में भिगोना. मीठे पक्षांतर-सं० (पु०) दूसरा पक्ष
रस से ओत-प्रोत होना 2 प्रेम में पूर्णतः डूबना, मग्न होना पक्षाघात-सं० (पु०) लकवा, फ़ालिज
(जैसे-एक दूसरे के प्रेम में पगना) पक्षिशाला-सं० (स्त्री०) चिड़ियाघर
पगनी-(स्त्री०) 1 जूता 2 खड़ाऊँ पक्षी-I सं० (वि०) 1 पक्ष लेनेवाला, तरफ़दार 2 पक्षपात पगला-बो० (वि०) = पागल करनेवाला II (पु०) चिड़िया। -पालक (वि०) चिड़िया पगहा-(पु०) पशुओं के गले में बाँधी जानेवाली रस्सी, पघा पालनेवाला; ~पालन (पु०) चिड़ियों के पालने का पेशा; | पगाना-(स० क्रि०) 1 पागने का काम किसी अन्य व्यक्ति से
विज्ञान (पु०) वह विज्ञान जिसमें पक्षियों के प्रकारों, कराना 2 किसी को किसी काम में प्रवृत्त करना जातियों, रहन-सहन के ढंगों, उनकी प्रकृति आदि का विवेचन | पगार-I पु० (स्त्री०) वेतन (जैसे-उसे 100 रुपये पगार मिलती होता है; ~शाला (स्त्री०) पक्षियों के रहने का स्थान, चिड़ियाघर; ~शास्त्र (पु०) = पक्षी विज्ञान; ~शास्त्री पगार-II (पु०) 1 गारा 2 कीचड़ (पु०) पक्षी विज्ञान का ज्ञाता
पगोड़ा-पु० (पु०) बौद्ध मंदिर पक्षीय सं० (वि०) 1 पक्ष संबंधी 2 पक्ष का (जैसे-वाम पघा-(पु०) = पगहा पक्षीय, कुरु पक्षीय)
पच-(वि०) = पाँच। गुना (वि०) जो पाँच का गुणा करने पक्ष्म-सं० (पु०) 1 आँख की बरौनी 2 फूल का केसर 3 फूल से प्राप्त हो (जैसे-चार का पचगुना बीस होगा); ~मेल की पंखुड़ी
(वि०) = पँच मेल; ~रंगा (वि०) - पँच रंगा; ~लड़ी पख-(स्त्री०) 1 अडंगा 2 झंझट, बखेड़ा 3 व्यर्थ का दोष ढूंढ़ना (स्त्री०) पाँच लड़ियों की माला (जैसे-पंख निकालना, पंख लगाना)
पचकना-(अ0 क्रि०) = पिचकना पखड़ी-(स्त्री०) = पंखड़ी
पचड़ा-(पु०) 1 व्यर्थ की झंझट 2 ओझा लोगों द्वारा गाया पखवाड़ा-बो० (पु०), पखवारा (पु०) 1 चांद्र मास का कोई जानेवाला गीत पक्ष 2 पूरे 15 दिनों का समय
पचन-I सं० (वि०) पकानेवाला II (प.) 1 भोजन आदि पखाना-(पु०) 1 कथा, उपाख्यान 2 कहावत, लोकोक्ति पकाने की क्रिया 2 जठराग्नि ~संस्थान (३०) शरीर के वो पखारना-(स० क्रि०) धोकर साफ़ करना
भीतरी अंग जो भोजन पचाते हैं। पखाल-(स्त्री०) 1 मशक 2 धौंकनी। ~पेटिया (वि०) | पचना-(अ0 क्रि०) 1 भोजन का जठराग्नि की सहायता से रस
1 मशक के समान पेटवाला 2 बहुत खानेवाला, पेटू आदि में परिणित होना 2 दूसरे का धन अधिकार में आना पखाली-I (वि०) मशक संबंधी II (पु०) भिश्ती (जैसे-हराम की कमाई सबको नहीं पचती) 3 पता न लग पखावज-(स्त्री०) मृदंग के आकार का छोटा बाजा पाना (जैसे-औरतों के पेट में बात कभी नहीं पचती) 4 समाप्त पखावजी-1 (वि०) पखावज से संबंध रखनेवाला II (पु०) होना 5 अधिक परिश्रम से क्षीण होना 6 परेशान होना 7 खप पखावज बजानेवाला व्यक्ति
जाना, समा जाना (जैसे-उसे प्रतिदिन पाँच किलो दूध पच पखिया-(वि०) 1 व्यर्थ का दोष निकालनेवाला 2 व्यर्थ का जाता है)। पच-पचकर अत्यधिक परिश्रम करके; पच झगड़ा करनेवाला, झगड़ालू
मरना, पच हारना शिथिल हो जाना, थक जाना, हार जाना पखुवा-(पु०) मनुष्य के शरीर में कंधे और बाँह के जोड़ के | पचनीय-सं० (वि०) पचने योग्य पास का भाग, भुज-मूल के पास का भाग (जैसे-पखवे से पचपचा-(वि०) 1 अधपका 2 जिसका पानी अभी सूखा न हो लगाकर बैठना)
(जैसे-पचपचा पदार्थ) पखौटा-(पु०) डैना, पर
पचपन-I (वि०) पाँच कम साठ || (प्०) 55 की संख्या पग-(पु०) 1 पैर, पाँव 2 चलने में एक पैर से दसरे पैर तक की | पचहत्तर-1 (वि०) जो सत्तर से पाँच अधिक हो II (पू०) दूरी, फाल 3 पैर आगे बढ़ाने की क्रिया, डग (जैसे-लंबे-लंबे ___75 की संख्या पग धरना)। चाप (स्त्री०) चलने में पैर के तलुवे से पचहरा-(वि०) 1 पाँच परतोंवाला 2 पाँच गुना निकलनेवाली ध्वनि; चिह्न + सं० (पु०) चलने से जमीन | पचानवे-(वि०) - पंचानवे पर बने पैर के तलुवों के निशान; टुंडी (स्त्री०) पतला | पचाना-(स० क्रि०) 1खाई गई वस्तु को पक्वाशय की रास्ता, सँकरा मार्ग; ~ध्वनि + सं० (स्त्री०) पदचाप, आहट; जठराग्नि से रस आदि में परिणित करना 2 माल हज़म करना,
उठाना शुरू करना; ~पसारना लेट जाना; फूंककर हड़प लेना 3 कठोर परिश्रम कराके शरीर, मस्तिष्क आदि की धरना सावधान होकर चलना, सतर्क रहते हुए आगे बढ़ना क्षति करना 4 समाप्त कर देना 5 समा लेना पगड़ी-(स्त्री०) 1 साफा, पाग 2 प्रतिष्ठा, मान-मर्यादा 3 अवैध पचाव-(पु०) पचने-पचाने की क्रिया, पाचन रूप से पेशगी दिया जानेवाला धन (जैसे-दुकान पगड़ी पचास-I (वि०) चालीस से दस अधिक || (पु०) 50 की 1000 रुपए है)। ~अटकना झगड़ा लगना; ~उछलना संख्या अपमान होना; उछालना अपमान करना, मान-प्रतिष्ठा का | पचासा-(पु०) 1 एक वर्ग की पचास वस्तुओं का समूह मखौल उड़ाना; उतारना 1 अपमानित करना, बेइज़्ज़त 2 पचास रुपये (जैसे-सैर में पचासा खर्च हो गए) 3 पचास करना 2 दुर्दशा ग्रस्त करना; बँधना यश प्राप्त होना, सम्मान भरी का बटखरा