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त्योरस
स्पोरस - ( पु० ) 1 बीता हुआ तीसरा वर्ष 2 आगे आनेवाला तीसरा साल
त्योरी - ( स्त्री०) 1 भौंह 2 माथे का बल 3 विशिष्ट दृष्टि, तेवर । चढ़ना, बदलना क्रोध से माथे पर बल पड़ना; चढ़ाना भौहें चढ़ाना में बल पड़ना त्योरी चढ़ना त्योहार - (पु० ) 1 वह दिन, तिथि जिसमें धार्मिक उत्सव मनाया जाता है (जैसे-ईद का त्योहार, होली का त्योहार ) 2 पर्व-दिन त्योहारी - ( स्त्री०) त्योहार के उपलक्ष्य में बाँटा जानेवाला धन
आदि त्यौं - (वि०) त्यौनार - ( पु० ) ढंग, तरीका
त्यों
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त्यौर - I बो० ( पु० )
त्यौर - Il (पु०) (बो)
त्यौनार
त्यौराना - (अ० क्रि०) सिर में चक्कर आना
=
=
त्योरी
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त्यौरी - (स्त्री०) त्यौहार - (पु० ) त्रपा - I सं० (स्त्री०) 1 कीर्ति, यश 2 लज्जा, शर्म 3 व्यभिचारिणी स्त्री, कुलटा, पुंश्चली II (वि०) 1 कीर्तिमान् 2 लज्जित, शर्मिंदा । ~रंडा (स्त्री०) 1 छिनाल स्त्री 2 वेश्या, रंडी
त्योरी त्योहार
त्रपित सं० (वि०) 1 लज्जित 2 नम्र, विनयी त्रपिष्ठ-सं० (वि०) परितृप्त त्रपुष - सं० ( पु० ) राँगा
त्रय-सं० (वि०) 1 तीन 2 तीसरा 3 तीन अंगों, अंशों, इकाइयोंवाला । ताप (पु० ) आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक दुःख
त्रयी-सं० (स्त्री०) 1 तीन विभिन्न इकाइयों का योग (जैसे- वेदत्रयी, लोकत्रयी, देवत्रयी) 2 वह स्त्री जिसका पति एवं बच्चा जीवित हों । धर्म (पु०) वैदिक धर्म त्रयोदश-सं० (वि०) तेरह
त्रयोदशी - सं० (स्त्री०) तेरहवीं तिथि, तेरस ऋष्टा - सं० ( पु० ) बढ़ई
त्रस - I सं० (वि०) चलानेवाला, चलनशील II (पु० ) 1 वन, जंगल 2 चलने-फिरनेवाले समस्त जीव। रेणु (स्त्री०) धूल का वह कण जो प्रकाश किरणों में उड़ता एवं चमकता सा दिखाई पड़ता है
त्रसन -सं० (पु०) 1 भयभीत होना या करना 2 चिंता 3 व्याकुलता
त्रसाना - (स० क्रि०) भयभीत करना
त्रसित - सं० (वि०) 1 डरा हुआ 2 पीड़ित त्रसुर-सं० (वि०) 1 भयभीत 2 डरपोक त्रस्त - सं० (वि०) 1 भयभीत 2 आक्रांत त्राटक-सं० (पु० ) हठयोग में किसी बिंदु पर ध्यान जमाना त्राण-सं० (पु० ) 1 रक्षा, बचाव 2 आश्रय, शरण 3 सहायता, मदद 4 रक्षा का साधन
त्राणक-सं० (वि०) बचानेवाला
त्रात - सं० (वि०) 1 संकट से बचाया हुआ 2 आश्रय दिया हुआ श्राव्य-सं० (वि०) जिसकी रक्षा करना उचित हो श्राता-सं० (वि०) 1 रक्षा करनेवाला 2 शरण देनेवाला त्रापुष-सं० (वि०) राँगे का
त्रायक-सं० (वि०) रक्षा करनेवाला त्रायमाण-सं० (वि०) रक्षा करता हुआ त्रास - सं० (स्त्री०) 1 अनिष्ट का डर या भय, ख़ौफ़ 2 कष्ट तकलीफ़
त्रासक - सं० (वि०) 1 डरानेवाला 2 नाशक 3 दूर करनेवाला त्रासद - सं० (वि०) दुःखद
त्रासदी-सं० + हिं० (स्त्री०) दुःखांत रचना
त्रासन - सं० (पु० ) डराने का काम
त्रासित - सं० (वि०) 1 डराया धमकाया हुआ 2 कष्ट पहुँचाया
हुआ
त्राहि-सं० (अ०) रक्षा करो, बचाओ (जैसे- त्राहि-त्राहि पुकारना)
त्रिंश-सं० (वि०) तीसवाँ
त्रिशंत्-सं० (वि०) तीस
त्रिशांश-सं० (पु० ) तीसवाँ भाग
त्रि-सं० (वि०) तीन (जैसे-त्रिदेव, त्रिकाल ) । ~कंटक (पु०) 1 त्रिशूल 2 गोखरू 3 तिधारा, थूहर कटु, कटुक (पु०) तीन कड़वी वस्तुओं का वर्ग; सोंठ, पीपर एवं मिर्च ~कर्मा (पु०) तीन कार्य (वेदाध्ययन, यज्ञ और दान) करनेवाला ब्राह्मण; ~ कांड I ( वि०) जिसमें तीन कांड हो II (पु० ) 1 अमरकोश 2 निरुक्त; कांडी (वि०) तीन कांडोंवाला; ~ काल (पु० ) 1 भूत, वर्तमान एवं भविष्य ये तीनों काल 2 प्रातः, मध्याहून और शाम ये तीन समय; ~कालज्ञ (पु० ) त्रिकाल को जाननेवाला; दर्शिता (स्त्री०) त्रिकालदर्शी होने की शक्ति दर्शी (पु० ) त्रिकालज्ञ; ~कुटा (पु० ) = त्रिकुट; ~कुटी (स्त्री०) भौंहों के मध्य के ऊपर का स्थान जहाँ त्रिकुट चक्र की स्थिति मानी जाती है; कूट (पु० ) 1 वह पर्वत जिसपर लंका की स्थापना मानी गई है 2 तीन श्रृंगोंवाला पर्वत 3 क्षीरोद समुद्र में स्थित एक कल्पित पर्वत; कोण I (वि०) तीन कोणोंवाला II (पु० ) 1 तीन कोणोंवाली वस्तु 2 ज्या० ग० वह आकृति जिसमें तीन कोण हों (जैसे- त्रिभुज 4); कोण-घंटा + हिं० ( पु० ) लोहे के छड़ का बना हुआ तिकोना बाजा; ~ भवन (पु०) जन्मकुंडली में लग्न से पाँचवाँ और नौवाँ स्थान; कोण मिति (स्त्री०) गणित शास्त्र की वह शाखा जिसमें त्रिभुजों के कोण, भुजा, वर्ग आदि का मान ज्ञात किया जाता है, ज्यामिति, रेखागणित; कोणाकार, कोणात्मक (वि०) तीन कोणों वाला; कोणीयन (पु० ) = त्रिभुजीकरण; क्षार (पु० ) जौखार, सज्जी और सुहागा, खंडी + हिं०, खंडीय (वि०) तीन खंडोंवाला, तीन टुकड़ोंवाला, गण (पु० ) = त्रिवर्ग; गर्ता (स्त्री०) व्यभिचारिणी, पुंश्चली; गुट + हिं० (पु० ) तीन का समूह; ~गुण I (पु०) सत्व, रज और तम II (वि०) 1 जिसमें तीनों गुण हों 2 तिगुना ~गुणात्मक (वि०) जो तीनों गुणों युक्त हो; गुणित (वि०) तिगुना किया हुआ; गुणी I (स्त्री० ) = त्रिगुणात्मक II (स्त्री०) बेल का पेड़ गूढ़ (पु०) स्त्री वेष में पुरुष का नाच; ~घट (पु०) स्थूल सूक्ष्म और कारण रूप तीन शरीर; चक्षु (पु० ) शिव चरणी
से
+
हिं० (वि०) तीन चरणवाला; जगत् (पु० ) = त्रिलोक; जीवा (स्त्री०) तीन राशियों ( 90 अंशों) तक फैले
हुए
~