________________
दीक्षा 395
दीया (जैसे-दीक्षांत समारोह) II (वि०) दीक्षा के अंत में | दीनानाथ-सं० (पु०) 1 दुखियों का सहायक 2 परमात्मा, होनेवाला। ~भाषण (पु०) उपाधि वितरण के समय विद्वान
द्वारा स्नातकों को संबोधित कर दिया गया भाषण दीनार-सं० (पु०) 1 सोने का सिक्का 2 एक निष्क की तौल दीक्षा-सं० (स्त्री०) 1 उपनयन संस्कार 2 यज्ञ करना 3 पवित्र | दीप-सं० (पु०) दीया। कलिका, कूपी (स्त्री०) दीपक मंत्रोपदेश। गुरु (पु०) स्नातकों को उपाधि देने का | की बत्ती; ~गृह (पु०) दीया घर; तेल + हिं० (पु०) समारोह, मंत्रोपदेश देनेवाला गुरु; ~प्राप्त (वि०) मंत्रोपदेश दीये का तेल, ~दान (पु०) देवता के समक्ष दीपक जलाना; प्राप्त करनेवाला, जिसने मंत्रोपदेश प्राप्त किया हो।
दानी + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) पूजा सामग्री घी, बत्ती आदि दीक्षित-[सं० (वि०) जिसने दीक्षा ग्रहण किया हो II (पु०) रखने की डिबिया; ~माला (स्त्री०) 1 जलते दीपों की पंक्ति ब्राह्मणों की उपजाति
2 आरती हेतु जलायी गई बत्तियों की पंक्ति; ~मालिका दीखना-(अ० क्रि०) दिखाई देना, देखने में आना (स्त्री०) 1 दीपावली का त्योहार 2 दीपावली; शिखा दीगर-फा० (वि०) अन्य, दूसरा
(स्त्री०) 1 दीपक की लौ 2 दीपाग्नि; ~स्तंभ (पु०) दीघी-(स्त्री०) 1 बड़ा तालाब 2 बावली
1 दीयट, दीवट, लाइट हाउस 2 दीपाधार दीठ-(स्त्री०) 1 दृष्टि, निगाह 2 आँख, नेत्र 3 देखने की शक्ति | दीपक-[सं० (वि०) 1 प्रकाश करनेवाला 2 यश फैलानेवाला 4 अनुग्रह, कृपा 5 अनिष्टकारक दृष्टि 6 परख, पहचान (जैसे-कुल दीपक) II (१०) 1 दीया, चिराग़ 2 साहि० एक 7 देखभाल, निगरानी। बंद (पु०), बंदी (स्त्री०) नज़र | अलंकार जहाँ उपमेय एवं उपमान का एक ही धर्म कहा जाए। बंद; ~खा जाना बुरी दृष्टि लगना; जलाना कुदृष्टि का वृक्ष (पु.) बड़ा दीवट, झाड़; सुत (पु०) काजल प्रभाव दूर करना; पर चढ़ना नज़र पर चढ़ना; -फिरना | दीपन-1 सं० (पु०) 1 जलाना 2 प्रज्वलित करना 3 आलोकित 1 दृष्टि का दूसरी ओर प्रवृत्त होना 2 कृपा न होना; बचाना करना 4 उत्तेजित करना II (वि०) प्रज्वलित करनेवाला देखा-देखी से बचना; बाँधना नज़र बाँधना; बिछाना दीपनीय-सं० (वि०) दीप्य 1 बहुत सम्मान करना, आवभगत करना 2 आशापूर्ण दृष्टि से दीपाधार-सं० (पु०) दीयट, चिरागदान प्रतीक्षा करना; ~मारना आँख से संकेत करना; ~मारी दीपाराधन-सं० (पु०) दीपक द्वारा पूजन, आरती जाना आँखों का प्रकाश खत्म होना; ~में समाना सदा ध्यान दीपालंकार-सं० (पु०) एक अर्थालंकार जहाँ उपमेय और रहना; ~लगना कुदृष्टि पड़ना; ~लगाना ध्यानपूर्वक देखना उपमान का एक ही धर्म कहा जाए दीठवंत-सं० (वि०) 1 देखनेवाला 2 दिव्य दृष्टिवाला दीपावली-सं० (स्त्री०) 1 दीवाली 2 दीपों की कतार दीद-फ़ा० (स्त्री०) देखा हुआ
दीपिका-I सं० (स्त्री०) 1 छोटा दीया 2 चाँदनी II (वि०) दीदबान-फा० (पु०) 1 बंदूक की मक्खी 2 निगरानी करनेवाला __ 1 (समासांत में) अर्थ बतानेवाली 2 प्रकाश करनेवाली व्यक्ति 3 भेदिया
दीपित-सं० (वि०) 1 जलाया हुआ 2 प्रज्वलित, प्रकाशित दीदा-फ़ा० (वि०) 1 आँख, नेत्र 2 आँख का डेला 3 दृष्टि, 3 चमकता हुआ 4 उत्तेजित 5 दीपों से युक्त नज़र। -फटी हिं० (स्त्री०) निर्लज्ज स्त्री, बेहया औरत। | दीपोत्सव-सं० (पू.) 1 दीवाली 2 दीप जलाकर मनाया
लगना काम में मन लगना; दीदे का पानी ढल जाना | जानेवाला उत्सव बेशर्म हो जाना, बेहया हो जाना; दीदे निकालना आँखे दीप्त-सं० (वि०) । जलता हुआ 2 प्रज्वलित 3 प्रकाशित। नीली-पीली करना, अत्यंत क्रुद्ध होकर देखना; दीदे फाड़कर | वर्ण (वि.) दमकते हए वर्णवाला देखना, ध्यान पूर्वक देखना
दीप्तांग-सं० (वि०) चमकते शरीरवाला दीदार--फ़ा० (पु०) 1 दर्शन, साक्षात्कार 2 छवि, सौंदर्य। । दीप्ति-सं० (स्त्री०) 1 प्रकाश, उजाला, रोशनी 2 आभा, चमक
परस्त (वि०) 1 दर्शन प्रिय 2 सौंदर्य प्रिय; ~बाज़ी 3 शोभा, छवि। ~प्रसरण (प्०) प्रकाश का फैलना (स्त्री०) नज़र लड़ाना, नज़र मिलाना
दीप्तिमान-सं० (वि०) । प्रभायुक्त 2 कांतिमान्, शोभन दीदारू-फ़ा० + हिं० (वि०) दर्शनीय
दीप्य-सं० (वि०) 1 प्रज्वलित करने योग्य 2 जिसे जलाया जा दीदी-सं० (स्त्री०) बड़ी बहन, अग्रजा, जीजी
सके 3 उजाला करने योग्य 4 भूख बढानेवाला दीन-सं० (वि०) 1 दयनीय दशावाला 2 ग़रीब, दरिद्र 3 दुःखी दीप्यमान्-सं० (वि०) चमकता हुआ एवं संतप्त 4 उदास, खित्र। ता (स्त्री०) 1 दयनीय दीमक-फा० (स्त्री०) सफेद चींटी (जैसे-काग़ज़ में दीमक लग अवस्था 2 दरिद्रता, गरीबी 3 उदासीनता, खिन्नता; दयाल | गए)। ~का खाया हआ खराब किया हुआ (वि०) दीनों पर दया करनेवाला II (पु०) ईश्वर; बंधु || दीया-(पु०) 1 तेल-घी के योग जलनेवाली वनी का आधार (१०) परमात्मा || (वि०) दीनों पर करुणा करनेवाला 2 छोटी कटोरी के आकार का बर्तन जिसमें बत्ती जलायी जा दीन-अ० (पु०) धर्म, मज़हव। -इलाही (पु०) मुगल सके 3 कटोरी के आकार का मिट्टी का छोटा पात्र। बत्ती सम्राट अकबर द्वारा चलाया गया धर्म: दार + फा० (स्त्री०); सलाई (स्त्री) 1 मसाला लगी लकड़ी की (वि०) धार्मिक, दारी । फ़ा० (स्त्री०) धार्मिकता; छोटी सींक 2 इन सीकों को रखने की छोटी डिब्बी : जलने
दुनिया (स्त्री०) लोक-परलोक (जैसे-दीन-दनिया का का समय संध्याकाल, शाम का समय: ठंडा करना दीपक लाभ उठाना): दुनिया दोनों से जाना कहीं का न बुझा देना; ठंडा होना चिराग़ ब्झना; -दिखाना सामने होना
रोशनी करना; बत्ती का समय सायंकाल, शाम का समय, दीनत्व-सं० (पु०) - दीनता
लेकर ढूँढ़ना बहुत परिश्रम से खोजना