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चैत्रक
मख
(वि०) 1 चित्रा नक्षत्र संबंधी 2 चित्रा नक्षत्र का । (पु०) मदन संबंधी चैत मास का उत्सव ~सखा (पु० ) कामदेव
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चैत्रक -सं० (पु०) चैत का महीना
चैत्रावली - सं० (स्त्री०) 1 चैत्र मास की पूर्णिमा 2 चैत्र शुक्ला त्रयोदशी
चैन - (पु० ) 1 आराम 2 मानसिक शांति 3 आनंद एवं सुखभोग ~ उड़ाना मौज करना, सुख पूर्वक रहना । की बंसी बजाना मौज मस्ती में दिन गुजारना, ऐश्वर्यपूर्ण, सुखभरी जिंदगी बिताना; पड़ना सुख-शांति मिलना; से कटना, से गुज़रना आनंद एवं ऐश्वर्य से जीवन बसर होना चैन-अं० (स्त्री०) - चेन चैनेल -अं० (पु० ) 1 मार्ग, सरणी 2 जल मार्ग, नाली चैल-सं० (पु० ) 1 कपड़ा, वस्त्र 2 पहनने का कपड़ा, पोशाक चैलक-सं० (पु० ) शूद्र पिता और क्षत्रिय माता से उत्पन्न
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बालक
चैला - (पु० ) लकड़ी का बड़ा टुकड़ा चैलिक-सं० (पु० ) कपड़े का टुकड़ा चैली - (स्त्री०) 1 लकड़ी के पतले-पतले टुकड़े 2 गर्मी के कारण नाक से निकलनेवाला जमे हुए खून का थक्का चैलेंज-अं० (पु०) ललकार
चैस - अं० (पु० ) शतरंज का खेल
चोंक - (स्त्री०) दाँत गड़ाते हुए चुंबन के समय गाल पर पड़ा निशान, चुंबन का निशान
चोंकना - (स० क्रि०) 1 स्तन से दूध पीना 2 पानी पीना चोंका - (पु०) बो० चूसने की क्रिया। पीना बच्चों का माँ
स्तनपान करना
चोंगा - (पु० ) 1 बाँस की खोखली नली जिसका एक सिरा बंद होता है 2 काग़ज़ धातु आदि की बनी नली जिसका एक भाग बंद रहता है
चोंच - (स्त्री०) पक्षियों के मुँह का अगला नुकीला भाग, टोंट। ~बंद करना मुँह बंद करना, चुप रहना; दो-दो चोंच होना कहा-सुनी होना
चों-चों- (स्त्री०) = चूँ
चोंटना - (स० क्रि०) चुटकी से तोड़ना (जैसे- चने का साग चोंटना)
चोंड़ा - I (पु०) कच्चा कुआँ II ( पु० ) 1 स्त्रियों के सिर के बाल, झोंटा 2 सिर । चोंडे पर चढ़कर किसी की परवाह न करते हुए चोथ - (पु० ) गाय, बैल आदि के द्वारा एक बार में गिराए गए गोबर की मात्रा
चोंथना - (स० क्रि०) 1 नोच-बकोटकर निकालना 2 ज़बरदस्ती ले लेना
चोंधर - (वि०) 1 बहुत छोटी आँखोंवाला 2 मूर्ख चोआ - (पु० ) 1 चुआकर गिराई हुई चीज़ 2 बाट की कमी पूरी करने हेतु पलड़े पर रखा जानेवाला कंकड़ आदि 3 अनेक सुगंधित पदार्थों को पकाकर निकाला गया गंध द्रव्य 4 दे० चोटा
चोथ
चोकर - (पु० ) गेहूँ, जौ आदि के आटे को छानने पर उसका बचा हुआ छिलके का अंश जो दरदरा तथा मोटे कणों के रूप में रहता है
चोई - (स्त्री०) 1 मछली के शरीर के खुरंड जैसे गोल चमकदार टुकड़े 2 दाल आदि का छिलका
चोक्ष-सं० (वि०) 1 पवित्र, शुद्ध 2 चतुर, पक्ष 3 तेज, तीक्ष्ण 4 प्रशंसित
चोखना - (स० क्रि० ) थन से मुँह लगाकर दूध पीना चोखा - (वि०) उत्तम, अच्छा चोखाई - I
(स्त्री०)
1 चोखने - चोखाने की क्रिया 2 चोखने चोखाने का पारिश्रमिक II (स्त्री०) = चोखापन चोखाना - I (स० क्रि०) 1 बछड़ों आदि को थन पीने में प्रवृत्त
करना 2 स्तन पान कराना II (अ० क्रि०) 1 स्तन पान किया जाना 2 दूहा जाना III (स० क्रि०) धार चोखी करना, धार तेज करना
चोग़ा - तु० (पु० ) घुटनों तक का लंबा ढीला-ढाला पहनावा, लबादा
चोचला - ( पु० ) नाज़-नखरा, हाव-भाव 2 आडंबर । चोचले बघारना हाव भाव दिखलाना, नाज़-नखरा करना चोज - ( पु० ) 1 चमत्कारपूर्ण उक्ति 2 व्यंग्यपूर्ण हँसी की
बात
वोट- (स्त्री०) 1 घाव 2 आघात, प्रहार 3 क्लेश, दुःख (जैसे- दुर्वचन से चोट पहुँचना) 4 संताप (जैसे- पति की मृत्यु से उसे गहरी चोट पहुँची) 5 व्यंग्य, कटाक्ष 6 छल, कपट (जैसे - चोट पहुँचाने की नीयत से कार्य करना) । चपेट (स्त्री०) घाव, ठेस; ~उभरना चोट का पुनः सूज आना, दर्द करना; ~ करना 1 हमला करना, वार करना 2 डँसना, काटना (जैसे- साँप ने फन से चोट किया); ~खाना 1 घायल होना 2 आघात सहना; पर चोट करना 1 सदमे पर सदमे बैठना 2 हानि पर हानि होना; चोटें चलना दो आदमियों का एक दूसरे पर वार होना
चोटहा - (वि०) 1 जिस पर चोट के निशान हो 2 चोट करनेवाला
चोटा - (पु० ) गुड़ का पसेव, शीरा पोटा (वि०) खुशामद से भरा हुआ, चिकनी-चुपड़ी (बात-चीत) चोटियाना - (स० क्रि०) 1 चोट पहुँचाना 2 चोटी पकड़ना 3 चोटी गूँथना
चोटी - (स्त्री०) 1 स्त्री के सिर के गूँथे हुए बाल, वेणी (जैसे- कंघी चोटी करना) 2 चुंदी, शिखा (जैसे-चोटी रखना हिंदू अपनी शान मानता है) 3 चोटी बाँधने के काम में आनेवाला रंगीन डोरा 4 चोटी, जूड़े में खोंसनेवाला पान के आकार का गहना 5 पहाड़ आदि का सबसे ऊँचा भाग, शिखर दार + फ़ा० (वि०) 1 जिसमें चोटी लगी हो 2 चोटी रखनेवाला, चोटीवाला; ~वाला (पु०) वह व्यक्ति जिसने चुंदी रखी हो; काटना गुलाम बनानो, वश में करना; ~करना सिर के बाल गूंथना; ~का औवल दरजे का, सर्वोत्कृष्ट दबाना, हाथ में होना अधिकार में आना; वश में आना; एड़ी चोटी का जोर लगाना जी-जान से परिश्रम करना
चोटीला - (वि०) चोटवाला
चोट्टा - (पु० ) छोटे दरजे का चोर (जैसे - चोट्टा कहीं का ) चोथ - (पु० ) चोंध
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