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चेतकी
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चेतकी-सं० (स्त्री०) 1.हड़, हरॆ 2 चमेली का पौधा । (पु०) सृष्टि का अंत, प्रलय। -बिगड़ना मरने से कुछ चेतन-I सं० (पु०) 1 आत्मा 2 जीव, प्राणी 3 आदमी पहले चेहरा बिगड़ जाना 4 परमात्मा II (वि०) जिसमें चेतना हो, जो ज्ञानमय हो, चेष्टित-सं० (वि०) जिसके लिए प्रयत्न हुआ हो सजीव। ~ता (स्त्री०) 1 चेतन होने की अवस्था 2 चैतन्य, | चेस-अं० (पु०) 1 शतरंज का खेल (जैसे-चेस खेलना) सज्ञानता 3 सजीवता
__ 2 लोहे का चौखट चेतनकी-(स्त्री०) हरीतकी, हड़
चेहरई-फा० + हिं० (वि०) हल्का गुलाबी रंग चेतना-सं० (स्त्री०) 1 ज्ञानमूलक मनोवृत्ति 2 बुद्धि, समझ | चेहरा-फा० (पु०) 1 मुखड़ा, बदन 2 शक्ल, आकृति 3 होश-हवास 4 स्मृति, याद। युक्त, ~वान् (वि०) (जैसे-पहले शीशे में चेहरा देखो) 3 काराज़, मिट्टी, धातु 1 बुद्धिवाला, समझवाला;
आदि का बना देवता, दानव, पशु आदि की आकृति का साँचा चेतना-(अ० क्रि०) 1 होश में आना 2 सावधान होना 4 वस्तु के सामने का भाग। ~मुहरा, ~मोहरा (पु०) 3 सोच-समझकर ध्यान देना। -शक्ति (स्त्री०) चैतन्यता; शक्ल-सूरत, मुख की आकृति; ~शाही (स्त्री०) ऐसा
~शील (वि०) = चेतनामय; ~शून्य (वि०) अचेतन सिक्का जिसपर बादशाह का चेहरा होता था; उतरना चेतनीय-सं० (वि०) 1 जो जानने योग्य हो 2 जो चेतन का 1 उदासी प्रकट होना 2 लज्जा, भय आदि के कारण चेहरा अधिकारी हो
कांतिहीन होना; -खिल उठना प्रसन्न होना; पीला हो चेताना-(स० क्रि०) 1 ध्यान दिलाना 2 सावधान करना जाना रोग आदि के कारण चेहरे पर पीलेपन की झलक आना; चेतावनी-(स्त्री०) 1 सावधान करने के लिए कही जानेवाली -बिगाड़ना इतना अधिक मारना कि पहचाना न जा सके; बात 2 ख़तरे की पूर्व सूचना 3 अधिकारिक एवं आदेशात्मक ~सफ़ेद हो जाना चेहरे पर से चमक खत्म हो जाना, तौर पर दी जानेवाली सूचना (जैसे-अधिकारी द्वारा दी गई। लालिमा गायब होना; चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना घबराहट से चेतावनी) 3 शिक्षा
चेहरे का रंग उड़ जाना। चेत्य-सं० (वि०) 1 जो चेतना का विषय हो 2 जो जानने योग्य | चेहलुम-फ़ा० (पु०) 1 मुहर्रम में ताज़िया दफ़न होने के दिन
चालीसवाँ दिन 2 मुहर्रम के बाद चालीसवें दिन होनेवाला चेन-अं० (स्त्री०) जंजीर, सिकड़ी (जैसे-गले की चेन कहाँ रख | काम-काज 3 मुत्यु के उपरांत होनेवाला चालीसवाँ दिन
9-9-(स्त्री०) ची चेन्ज-अं० (स्त्री०) 1 रेज़गारी 2 परिवर्तन
चैंपियन-अं० (पु०) खेलविजेता, सर्वजेता चेप-पुं० 1 लसीला पदार्थ 2 पक्षियों को फँसाने हेतु फैलाया चैंपियनशिप-अं० (स्त्री०) सर्व विजय, सर्व विजयी का पद जानेवाला लासा। ~दार + फ़ा० (वि०) जो चिपचिपा हो, चैंबर-अं० (पु०) = चेंबर लसीला
चैंसलर-अं० (पु०) = चांसलर चेपना-(स० क्रि०) 1 चेप लगाना 2 चेप लगाकर चिपकाना, चैक-अं० (पु०) चेक I सटाना
चैत-(पु०) फागुन के बादवाला महीना चेपी-(स्त्री०) चिप्पी
चैतन्य-[सं० (पु०) 1 चेतन में होने का भाव, चेतनता 2 चेतन चेयर-अं० (स्त्री०) कुर्सी। ~मैन (पु०) अध्यक्ष, सभापति आत्मा 3 प्राणियों में होनेवाला ज्ञान, प्रज्ञा 4 परमात्मा 5 प्रकृति चेयरमैनी-अं० + हिं० (स्त्री०) अध्यक्षता, सभापतित्व II (वि०) 1 सचेत 2 जो सोचने समझने की स्थिति में हो चेरा-(पु०) 1 चेला, शिष्य 2 नोकर, सेवक 3 गुलाम, दास | चैतन्यात्मक-सं० (वि०) चैतन्य संबंधी (स्त्री०) चेरी
चैतन्यावस्था-सं० (स्त्री०) चैतन्य होने का भाव चेरी-अं०(स्त्री०) गिलास (फल)
चैती-I (वि०) चैत महीने में होनेवाला II (स्त्री०) चैत माह में चेल-I सं० (पु०) कपड़ा, वस्त्र II (वि०) अधम होनेवाली फ़सल, रवी की फ़सल (जैसे-चैती फ़सल बो दी चेला-(पु०) 1 शिष्य 2 वह व्यक्ति जो गुरु मंत्र लेकर शिष्य | गई) बना हो 3 जिसने गुरु से शिक्षा पाई हो वह व्यक्ति। ~मूडना | चैत्त-I सं० (वि०) 1 चित्त संबंधी 2 चित्त का II (१०) बौद्ध शिष्य बनाना
दर्शन में विज्ञान स्कंध के अलावा शेष सभी स्कंध चेलान-सं० (पु०) तरबूज़ की लता
चैत्य-[सं० (पु०) 1 चिता संबंधी 2 चिता का II (पु.) चेलाल-(पु०) बो० चेलों का वर्ग
1 देवालय, मंदिर 2 यज्ञशाला 3 शवदाह के स्थान पर बना चेलिन, चेली (स्त्री०) गुरुदीक्षा. गुरु उपदेश प्राप्त करनेवाली | चबूतरा 4 घर, मकान 5 चिता 6 मठ। तरु (पु०)
1 पीपल का पेड़ 2 बरगद, पाल (पु०) चैत्य अधिकारी, चेले-चाटी-(पु०) अनुयायियों, चेलों आदि का समूह चैत्य रक्षक; ~मुख (पु०) कमंडल; -विहार (पु०) बौद्ध चेष्टक-I सं० (वि०) चेष्टा करनेवाला II (पु०) काम शास्त्र में मंदिर के साथ लगा आश्रम; वृक्ष (पु०) = चैत्य तरु; एक प्रकार का आसन, रतिबंध
~स्थान (पु०) 1 वह स्थान जहाँ बुद्ध देव की मूर्ति स्थापित चेष्टन-सं० (पु०) चेष्टा करने की क्रिया
की गई है 2 कोई पवित्र स्थान चेष्टा-सं० (स्त्री०) 1 कोशिश, प्रयत्न 2 मनोभाव सूचित | चैत्यक-सं० (पु०) पीपल, अश्वत्थ करनेवाली शारीरिक चंचलता अंगभंगिमा 3 मनोभाव प्रकट | चैत्र-I सं० (पु०) फागुन महीने के बाद एवं बैसाख माह के करनेवाली मुख की आकृति 4 हिलना-डोलना, गति। नाश | पहले का महीना, फागुन एवं बैसाख के बीच का महीना II
स्त्री