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जांगल
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जागीर
करनेवाला; ~~थकना 1 पौरुष का जवाब देना 2 शरीर
जा-I फ़ा० (वि०) उचित, मुनासिब II (स्त्री०) जगह, स्थान शिथिल होना
जाइंट-अं० (वि०) संयुक्त (जैसे-जाइंट सेक्रेटरी) जांगल-I सं० (पु०) 1 ऐसा ऊसर एवं निर्जन प्रदेश जहाँ जाइरोस्कोप-अं० (पु०) घूर्णाक्षदर्शी वनस्पतियाँ बहुत कम होती हैं 2 ऊसर एवं निर्जन तथा अल्प
जाई-1 (स्त्री०) 1कन्या, पुत्री. 2 चमेली ॥ वनस्पतिवाले क्षेत्र में रहनेवाले लोग, जीव-जंतु II (वि०)
___ = जाही 1 जंगल संबंधी 2 जो पालतू न हो, जंगली
जाएल-I बो० (वि०) जिसे दो बार जोता गया हो II (पु०) जांगलि, जांगलिक-[सं० (वि०) जो जंगल से संबंध रखता
दो बार जोता हुआ खेत हो, जंगली II (पु०) 1 सँपेरा, मदारी 2 विष वैद्य जाकट-अं० (स्त्री०) = जाकेट जाँगलू-(वि०) 1 असभ्य, उजड्ड 2 जंगली
जाकड़-(पु०) 1 नापसंद होने पर लौटा देने की शर्त पर लिया जांगुल-सं० (पु०) 1 विष, ज़हर 2 तोरई
जानेवाला सामान 2 पसंद-नापसंद की शर्त पर होनेवाला जांगुलि, जांगुलिक-सं० (पु०) सँपेरा
लेन-देन। बही (स्त्री०) ऐसी बही, रजिस्टर जिसमें जाकड़ जांगुली-सं० (स्त्री०) विष-विद्या
संबंधी वस्तुओं का विवरण रहता है जाँघ-(स्त्री०) घुटने एवं कमर के बीच का भाग। - उघाड़ना
जाकी-अं० (पु०) घुड़दौड़ का सवार स्वयं कलंक की बात करना; का कीड़ा अत्यंत तुच्छ एवं
जाकिट, जाकेट-अं० (स्त्री०) सदरी की तरह की आधुनिक हीन व्यक्ति; नंगी करना = जाँघ उघाड़ना
पोशाक जाँघा-बो० (पु०) 1 गड़ारी का धुरा 2 गड़ारी रखने का खंभा
जाग-I (स्त्री०) 1 जगह, स्थान 2 गृह, धर II (स्त्री०) जागने जांघिक-[सं० (वि०) 1 जाँघ संबंधी 2 बहुत तेज़ चलनेवाला
की क्रिया। ता (वि०) 1 जागा हआ 2 जो जाग रहा हो II (पु०) तेज़ चलनेवाला जीव
(जैसे-जागता हुआ आदमी) 3 सतर्क, सावधान (जैसे-जागते जाँघिया-(पु०) कमर में पहना जानेवाला एक प्रकार का सिला
रहो) 4 अस्तित्व, शक्ति एवं कला का परिचय देनेवाला हुआ छोटा पहनावा
(जैसे-जागती हुई कला, जागता हआ सैनिक, जागता समुद्र) जांघिल-(वि०) 1 बहुत तेज़ दौड़नेवाला 2 चलने में जिसका
जागतिक-सं० (वि०) 1 जगत्-संबंधी, जगत् का 2 संसार में पैर कुछ लचकता हो (पशु)
होनेवाला, सांसारिक जाँच-(स्त्री०) 1 जाँचने की क्रिया, परख (जैसे-सोने की जागना-(अ० क्रि०) 1सोकर उठना 2 निद्रा रहित होना 3
अंगूठी की जाँच करना) 2 परीक्षा (जैसे-अध्यापक गणित की सावधान होना (जैसे-आज रात भर जागना पड़ेगा) जाँच करेंगे) 3 छान-बीन, तहकीकात (जैसे-पुलिस अपराध
4 अस्तित्व, शक्ति आदि का स्पष्ट एवं प्रत्यक्ष प्रमाण दे सकने की जाँच कर रही है) 4 अनुसंधान (जैसे-मेडिकल जाँच, खून की अवस्था 5 अपना प्रभाव दिखलाना (जैसे-अंततः देवी को की जाँच करना)। ~आयोग + सं० (पु०) जाँच-पड़ताल
अन्याय के विरोध में जागना पड़ा) 6 उत्तेजित होना 7 विख्यात हेतु गठित कमीशन; ~कर्ता + सं० (पु०) जाँच करनेवाला
होना (जैसे-हज़ारों वर्षों से दुनियाँ में बुद्ध का नाम जाग रहा व्यक्ति; पड़ताल (स्त्री०) छान-बीन, तफतीश; ब्यरो + अं० (स्त्री०) जाँच आयोग
जागर, जागरण-सं० (पु०) 1 जागने की क्रिया 2 अंतःकरण जौचना-(स० क्रि०) 1 परखना (जैसे-सोने की शुद्धता
की वह अवस्था जिसमें सब वृत्तियाँ जाग्रत हों 3 उन्नति एवं जाँचना) 2 गुण-दोष का पता लगाना (जैसे-रक्त में उपयोगी
रक्षा हेतु सचेष्ट रहने की स्थिति कीटाणुओं को जाँचना) 3 सिद्धांत, बात की सत्यता का पता
जागरित-सं० (वि०) जागता हुआ, जाग्रत लगाना (जैसे-ओहम नियम को जाँचना) 4 सही-गलत देखना, जागरू-- बो० (पु०) 1 वह फसल जिसमें भूसा और कुछ अन (जैसे-गणित जाँचना) 5 योग्यता, क्षमता का पता लगाना
कण भी मिले हों 2 भूसा (जैसे-रोगी को जाँचना, सैनिकों को जाँचना) 6 अनुसंधान
जागरूक-I सं० (वि०) 1 सजग, जाग्रत 2 सतर्क एवं करना (जैसे-चुंबक के गुण-दोष जाँचना) 7 पूछ-ताछ करना
सावधान II (पु०) पहरेदार । ता (स्त्री०) 1 जागते रहने (जैसे-अपराधी को जाँचना) 8 याचना करना, माँगना ।
की अवस्था, जाग्रतावस्था 2 सतर्कता, सावधानी परखना जाँचना और समझना
(जैसे-क्रांतिकारी जागरूकता) जाँझ-बो० (पु०) तेज़ हवा के साथ होनेवाली वर्षा, तूफानी | जागरूप-(वि०) जो अति प्रत्यक्ष एवं स्पष्ट हो वर्षा
जागर्ति-सं० (स्त्री०) 1 जाग्रत होने की अवस्था, जागरण, जाँत-(पु०) जाँता
2 चेतना (जैसे-राजनैतिक एवं सामाजिक जागर्ति) जांतव-सं० (वि०) 1 जीव-जंतुओं से संबंधित 2 जीव-जंतुओं | जागर्या-सं० (स्त्री०) = जागरण से उत्पन्न होनेवाला
जागा-I (पु०) रात भर जागते रहने की क्रिया II (स्त्री०) = जाँता-(पु०) हाथ से चलाई जानेवाली बड़ी चक्की
जगह जॉनिसार-फा० + अ० (वि०) जान कुर्बान करनेवाला
जागीर-फा० (स्त्री०) पुरस्कार स्वरूप राजाओं-महाराजाओं द्वारा जांबाज़-फा० (वि०) अपनी जान पर खेल जानेवाला
दी गई जमीन। दार (पु०) जागीर का स्वामी; दारी जांबील-सं० (पु०) घुटने पर की गोल हड्डी
(स्त्री०) 1 जागीरदार होने का भाव 2 रईसी, धनाढ्य; जा-I सं० (स्त्री०) 1माता, माँ 2 देवरानी II (वि०)/(स्त्री०) |
प्रथा + सं० (स्त्री०) ऐसा रिवाज़ जिसमें छोटे नवाबों को उत्पन्न होनेवाली (जैसे-गिरिजा, जनकजा)
जागीर देकर उनसे सैनिक सेवा ली जाती थी