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कूप
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कृपा 4 इतराना II (स० क्रि०) फाँदना, लक। ~फाँदना | कृतक-सं० (वि०) 1 बनाया हुआ 2 कृत्रिम (अ० क्रि०) 1 उछलकर जाना 2 कूदकर किसी ऊँचाई या | कृतघ्न-सं० (वि०) किए हुए उपकार को न माननेवाला। ~ वस्तु को पार करना; किसी के बल कूदना किसी के सहारे ता (स्त्री०) कृतन होने की अवस्था बोलना
कृतांक-सं० (वि०) अंकित किया हुआ कूप-सं० (पु०) 1 कुआँ 2 गहरा गड्ढा। --मंडूक (पु०) कृतांजलि-सं० (वि०) अंजलि बाँधे हए 1 कूएँ का मेढक 2 संकुचित अनुभव और ज्ञानवाला, अल्पज्ञ; कृतांत-[ सं० (वि०) 1 समाप्त करनेवाला 2 अंत करनेवाला, मंडूकता कूपमंडूक होने की अवस्था; ~मंडूक यम II (पु०) 1 यमराज 2 मृत्यु व्यावहारिकता (स्त्री०) संकुचित एवं संकीर्ण व्यवहार की कृताकृत-सं० (वि०) 1 अधूरा 2 किया और न किया हुआ क्रिया;
कृतागम-सं० (वि०) -1 कृत हस्त 2 योग्य, कुशल कूपक-सं० (पु०) 1 छोटा कुआँ 2 चमड़े की कुप्पी कृतात्मा-सं० (वि०) 1शुद्ध आत्मावाला 2 पुण्य कर्म कूपन-अं० (पु०) 1 यात्रा टिकट 2 कोई नियंत्रित वस्तु प्राप्त __ करनेवाला
करने का पुरजा 3 मनीआर्डर का वह अंश जिस पर हाल-चाल | कृतापराध-सं० (वि०) अपराधी, दोषी लिखा जाता है, संदेश-स्थल
कृतार्थ-सं० (वि०) =कृत-कृत्य कूबड़-(पु०) किसी वस्तु का उभारदार टेढ़ापन (जैसे-ऊँट का | कृतावधि-सं० जिसकी अवधि निश्चित हो कूबड़)
कृतास्त्र-सं० (वि०) जो शस्त्र विद्या में निपुण हो, अस्त्र-सज्ज कूबत-अं० (स्त्री०) -कूवत
कृति-सं० (स्त्री०) 1 किया हुआ कार्य 2 रचना 3 प्रशंसनीय कूर-(वि०) 1निर्दय 2 दुष्ट 3 पापी
काम। -कार (पु०) 1 रचनाकार 2 लेखक; लेखक कूरा-(पु०) 1 ढेर, राशि 2 अंश, भाग
(पु०) रचनाकार; ~स्वाम्य (पु०) रचना का स्वामित्व, कूर्च-(पु०), कूर्चिका -सं० (स्त्री०) 1कूँची 2 कुंजी स्वात्वाधिकार कूर्दन-सं० (पु०) खेलना-कूदना
कृती-[ सं० (वि०) 1कुशल, दक्ष 2 पुण्यात्मा II (पु०) कूर्म-सं० (पु०) कच्छप, कछुआ
1 ऐसा व्यक्ति जिसने स्तुत्य कर्म किया हो 2 रचनाकार कूर्मी-सं० (स्त्री०) कछुई (मादा कुछुआ)
कृते-सं० (अ०) के वास्ते कूल-सं० (पु०) तट, किनारा। वती (स्त्री०) नदी कृत्त-सं० (वि०) 1 विभक्त 2 अभिलक्षित कूल्हा-(पु०) 1 धड़ तथा जाँघ का जोड़ 2 कमर के दोनों ओर | कृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 मृगचर्म 2 चर्म 3 भोजपत्र 4 कृत्तिका
की हड्डी (जैसे-कूल्हे का जोड़) कूवत-अ० (स्त्री०) 1 शक्ति, ताक़त 2 सामर्थ्य
कृत्तिका-सं० (स्त्री०) सत्ताइस नक्षत्रों में से तीसरा नक्षत्र कृतक-सं० (पु०) काटने के दाँत
कृत्प्रत्यय-सं० (पु०) वह प्रत्यय जो क्रिया के साथ लगे कुंतन-सं० (पु०) 1 काटना 2 कुतरना
(जैसे- कृ से कृत क्रिया, कृति) कृकाट-सं० (पु०) कँधे और गले का जोड़
कृत्य-I सं० (वि०) कर्तव्य II (पु०) 1 कर्म 2 धार्मिक कर्म कृकाटिका-सं० (स्त्री०) गले और कंधे का जोड़ कृत्यवाह-सं० (पु०) कार्यभार संभालनेवाला कृच्छ -[ सं० (वि०)1 कष्टमय 2 कठिन 3 कष्टसाध्य कृत्या-सं० (स्त्री०) 1 दुष्ट स्त्री 2 जादू-टोना, अभिचार
4 कष्टकर 5 दुष्ट II (पु०) 1 कष्ट 2 दुःख 3 कठिनाई ___ 3 जादूगरनी 4 सर्वनाश करनेवाली कोई चीज़ 5 कर्कशा स्त्री 4 प्रायश्चित 5 पाप
6 काम। -कृत्य (पु०) कर्तव्याकर्तव्य कृत-I सं० (वि०) 1 किया हुआ 2 बनाया हुआ, निर्मित | कृत्रिम-सं० (वि०) 1 बनावटी (जैसे-कृत्रिम ग्रह, कृत्रिम II (पु०) 1 काम 2 उपकार 3 सतयुग 4 कर्मफल । __हँसी) 2 नकली (जैसे-कृत्रिम सोना, कृत्रिम रत्न)। ~ता ~कर्मा, कार्य (वि०) 1 जो अपना कार्य कर चुका हो (स्त्री०) कृत्रिम अवस्था 2 सफल मनोरथ; ~काम (वि०) जिसकी कामना पूरी हो कृत्स-सं० (पु०) 1 जल 2 समुदाय 3 पाप गई हो; ~काल (वि०) निर्धारित समय तक कार्य | कृत्सन-सं० I (वि०) पूर्ण II (पु०) 1 जल, 2 पेट करनेवाला; ~कृत्य (वि०) 1 कृतार्थ 2 संतुष्ट तथा प्रसन्न; | कृदंत-सं० (पु०) धातु में कृत प्रत्यय लगाने से बननेवाला -चेता (वि०) कृतज्ञ; ज्ञ (वि०) उपकार माननेवाला, __ शब्द (जैसे-कृत, कृति, कृत्य या पूर्वकालिक कृदंत जाकर, एहसानमंद; ~ज्ञता (स्त्री०) कृतज्ञ होने का भाव; भूत कृदंत गया, वर्तमान कृदंत जाता)
निश्चय (वि०) निश्चय करनेवाला; ~पर्व (पु.) कृपण-सं० (वि०) 1 सूम, कंजूस 2 लोभी, लालची। ~ता कृतयुग, सतयुग; -पूर्व (वि०) पहले किया हुआ; | (स्त्री०) 1 कंजूसी 2 लालच प्रतिज्ञ (वि०) वचनबद्ध, ~मुख (वि०) विद्वान, पंडित; | कृपया-सं० (क्रि० वि०) कृपापूर्वक
युग ((पु०) सतयुग; विद्य (वि०) विद्वान्; वृद्धि कृपा-सं० (स्त्री०) अनुग्रह, दया (जैसे-कृपा करके)। (वि०) जो बढ़ गया हो, बढ़ा हआ; ~वेदी (वि०) =कृतज्ञ; ~कटाक्ष (पु०) कृपा भाव; ~कांक्षी (पु०) कृपा
~वेश (वि०) वस्त्र पहना हुआ; ~संकल्प (वि०) जिसने चाहनेवाला व्यक्ति (जैसे- आपका कृपाकांक्षी); दृष्टि पक्का निश्चय किया हो, दृढ़ निश्चयी; ~संज्ञ (वि०) (स्त्री०) = कृपा कटाक्ष; निधान (पु०) कृपालु, 1 जगा हुआ 2 होश में आया हुआ 3 तीव्र बुद्धिवाला; हस्त कृपासागर; पात्र (पु०), पात्री (स्त्री०) जो कृपा के (वि०) कुशल, दक्ष
योग्य हो; -पूर्वक (वि०) कृपया, कृपा करके
नक्षत्र
अवस्था