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चंद्रार्द्ध
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चकला
चंद्रार्द्ध-सं० (पु०) आधा चाँद
III (वि०) चक्र के आकार का, गोल चंद्रालोक-सं० (पु०) चंद्रमा का प्रकाश, चाँदनी
चकचकाना-(अ० क्रि०) 1 रसना 2 गीला होना, भीग जाना चंद्रालोकित-सं० (वि०) चाँदनी से प्रकाशित
चकचकी-(स्त्री०) करताल नाम का बाजा चंद्रावतारण-सं० (पु०) चाँद पर उतरना
चकचून-(वि०) 1 चूर किया हुआ, चकनाचूर 2 बारीक किया चंद्रिका-सं० (स्त्री०) 1 चंद्रमा का प्रकाश, चाँदनी 2 मोर पंख हुआ का चंद्राकार चिह्न। ल्पायी (पु०) चाँदनी का पान चकचौध-(स्त्री०) = चकाचौंध करनेवाला, चकोर
चकचोंधना-I (अ० क्रि०) चकाचौंध होना, चौधियाना चंद्रिकोत्सव-(पु०) शरद् पूर्णिमा का कौमुदी महोत्सव II (स० क्रि०) चकाचौंध उत्पन्न करना चंद्रोदय-सं० (पु०) 1 चंद्रमा का उदित होना 2 चँदोआ चकचोहना-(अ० क्रि०) प्रेम पूर्वक देखना चंपई-सं० + हिं० (वि०) चंपा के फूल के रंग का, पीला चकचौहाँ-(वि०) 1 नेत्रों को चौधियानेवाला 2 अत्यंत चंपक-सं० (पु.) 1 चंपा 2 चंपा की कली। ~माला (पु०) प्रकाशवान चंपा के फूलों की माला
चकड़वा-(पु०) = चकरबा चंपत-(वि०) 1 बिना कुछ बताए जो भाग गया हो 2 जो गायब चकत-(स्त्री०) दाँतों की पकड़। ~मारना दाँतों से मांस आदि कर दिया गया हो
नोचना चपना-I (अ० क्रि०) 1 झुकना, दबना 2 लज्जा आदि के चकता-(पु०) दे० चकत्ता कारण झुकना II (स० क्रि०) चाँपना
चकती-(स्त्री०) 1 धज्जी, थिगली 2 पट्टी (जैसे-परात में लगी चंपा-(पु०) 1 पीले रंग के फूलोंवाला तीव्र गंधयुक्त एक वृक्ष चकती उखड़ गई है)। आसमान में ~लगाना 1 असंभव 2 तीव्र गधयुक्त पीले रंग का फूल (जैसे-चंपा का फूल पीला काम करने का प्रयास करना 2 अपनी शक्ति एवं सामर्थ्य से होता है)। कली (स्त्री०) गले का हार जिसके दाने चंपा अधिक बढ़चढ़कर बातें करना की कली के आकार के होते हैं
चकत्ता-(पु०) 1 शरीर पर पड़ा गोल दारा, चमड़ी पर उभरा चंपू-सं० (पु०) गद्य एवं पद्य में लिखा गया नाटक (जैसे-चंपू हुआ धब्बा 2 शरीर पर गड़ाए हए दाँतों का निशान । काव्य)
~भरना, मारना दाँतों से काटकर मांस निकाल लेना चंबई-I (पु०) गहरा फ़िरोज़ी रंग || (वि०) फ़िरोज़ी रंग में चकनाचूर-(वि०) 1 चूर-चूर, टुकड़े-टुकड़े (जैसे-चकनाचूर रंगा हुआ
कर देनेवाली चोट) 2 थका-मांदा चंबल-I (स्त्री०) 1 विंध्य पर्वत से निकलकर यमुना में चकपक-I (वि०) चकित, भौंचक्का, हक्का-बक्का मिलनेवाली एक नदी 2 पानी की बाढ़
II (स्त्री०) चकित होने की अवस्था चंबल-II (पु०) तलुए, हथेली में होनेवाला चर्म रोग चकपकाना-(अ० क्रि०) अत्यंत चकित होना. चौंकना चंखेली-बो० (स्त्री०) = चमेली
चकबक-(वि०) = चकमक चैवर-(पु०) पशुओं की पूँछ के लंबे बालों का गुच्छा जिसे दस्ते चक्रमक-तु० (पु०) एक प्रकार का पत्थर जिसपर प्रहार करने के अगले भाग में लगाया जाता है और जो राजाओं आदि के से आग पैदा होती है ऊपर मक्खियाँ आदि उड़ाने के लिए डुलाया जाता है, पशुओं चकमा-(पु०) धोखा, भुलावा (जैसे-चकमा देकर भाग के पंछ के लंबे बालों का बना पँखा (जैसे-जैवर इलाना)।
जाना) द्वार (पु०) ●वर इलानेवाला सेवक
चक्रमाक-तु० (पु०) = चकमक चंवरी-(स्त्री०) = छोटा चैवर
चक्रमाकी-I तु० (वि०) जिसमें चकमक लगा हो II (स्त्री०) चंसुर-(पु०) 1 कटावदार पतले पत्तोंवाला साग का पौधा ऐसी बंदूक जो चकमक पत्थर के योग से गोली छोड़ती थी 2 कटावदार पतले पत्तोंवाला साग
चकरबा-(पु०) 1 असमंजस एवं विकट अवस्था 2 व्यर्थ का बहला-(पु०) = चैला
लड़ाई-झगड़ा चतरा-बो० (पु०) चबूतरा
चकर-मकर-हिं० + अ० (पु०) धोखेबाजी, कपट भरी बातें चट्ट-(पु०) = चौहट्ट
चकराना-(अ० क्रि०) 1 चकित होना 2 भ्रमित होना, भटकना चक-(पु०) 1 ज़मीन का बड़ा खंड 2 चकवा 3 चाक, पहिया __ 3 चक्कर में पड़ना 4 (सिर) चक्कर खाना 4 चक्र नामक अस्त्र 5 अधिकार, प्रभुत्व (जैसे-चक जमना, चकरानी-फा० + हिं० (स्त्री०) = चाकरानी, दासी चक बंधना)। -डोर (स्त्री०) 1 जुलाहों के करघे की डोरी चकरी-(स्त्री०) 1 चक्की 2 चक्की का पाट 3 चकई 2 लटू आदि नचाने की डोरी; फेरी (स्त्री०) परिक्रमा; (जैसे-चकरी नचाना)
दी (स्त्री०) 1 बड़े भू भाग को कई भागों में बाँटने की चकल-(पृ०) 1 पौधे को अन्य स्थान पर लगाने के लिए उसे क्रिया 2 छोटे-छोटे भू खंडों को बड़े चक का रूप देने की मिट्टी सहित उखाड़ना 2 उखाड़े गए पौधे में लगी हई मिट्टी की क्रिया; बंदी अधिकारी फ़ा० + सं० (पु०) वह अधिकारी, कर्मचारी जो चकबंदी करवाता है; जमना प्रभुत्व चकलई-(स्त्री०) विस्तार, फैलाव होना, रंग जमना; ~बैंधना वृद्धि होना
चकला-I (पु०) रोटी बेलने का पाटा, चौका 2 व्यभिचार से धकई-I (स्त्री०) मादा चकवा, मादा सुरखाब II डोरी जीविका चलानेवाली स्त्रियों की बस्ती, कसबीखाना II (वि०) लपेटकर नचाए जानेवाला घिरनी के आकार का एक खिलौना । अधिक विस्तारवाला, चौड़ा। - खाना + फा० (पु.)
पिंडी