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चरन
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चरित्र
चरन-(पु०) = चरण। बरदार + फ़ा० (पु०) 1 जूता | घरवाना-(स० क्रि०) चराने का काम किसी अन्य से कराना पहनानेवाला 2 जूता लेकर चलनेवाला
चरवाहा-(पु०) पशुओं को चराकर अपनी जीविका चरना-I (अ० क्रि०) 1 इधर-उधर फिरना (जैसे-घास खाने चलानेवाला के लिए पशुओं को मैदान में चरना पड़ता है) 2 विचरण करना | चरवाही-(स्त्री०) 1 पशु चराने का काम 2 पशु चराने की II (स० क्रि०) खाना (जैसे-घोड़ा खेत में घास चरता है) मज़दूरी चरपट-(पु०) 1 चपत, तमाचा 2 उचक्का
चरवैया-I (वि.) 1 चरनेवाला 2 चरानेवाला II (पु०) चरपरा-I (वि०) तीखे स्वादवाला, तेज़ मसालेदार II (वि०) चरवाहा तेज़, चुस्त
चरस-(स्त्री०) गाँजे के पेड़ से निकला हुआ गोंद जो गाँजे की चरपराना-I (अ० क्रि०) घाव में खुश्की के कारण तनाव से तरह ही पीया जाता है (जैसे-चरस पीना स्वास्थ्य के लिए पीड़ा होना II चरपरी वस्तु खाने से मुँह में जलन होना हानिकारक है)। ~गाँजा (पु०) = चरस और गाँजा चरपराहट-(स्त्री०) 1 चरपरा होने की अवस्था 2 जख्म आदि चरसा-(पु०) 1 चमड़े का मोट 2 ज़मीन की एक नाप जो की चरचराहट
2000 हाथ लंबी एवं इतनी ही चौड़ी होती है, गो चर्म चरब-फ़ा० (वि०) तेज़, तीखा। -ज़बान (वि०) 1 कटु चरसिया-(पु०) = चरस पीनेवाला भाषी 2 वाचाल 3 तेज़ बोलनेवाला; ज़बानी (स्त्री०) चरसी-I (पु०) = चरसिया II (प्०) मोट खींचनेवाला 1 वाचालता 2 चापलूसी
चराई-(स्त्री०) 1 चरने की क्रिया 2 चराने का पारिश्रमिक चरबौक-(वि०) 1 चतुर, होशियार 2 निडर, निर्भय 3 उदंड चराग़-फा० (पु०) बो० = चिराग़ 4 चंचल, चुलबुला
चरागाह-फ़ा० (स्त्री०) चरने का स्थान (जैसे-पशुओं को चरबा-फा० (पु०) 1 पतला पारदर्शी चिकना काग़ज़ चरागाह में छोड़कर तुम चले आना) 2 अनुलिपि, नक़ल 3 हिसाब आदि का लिखा हुआ पूर्व रूप, चराचर-[ स० (वि०) जड़ और चेतन, स्थावर और जंगम खाका
II (पु०) 1 संसार 2 संसार के सभी प्राणी चरबाक-(वि०) = चरबाँक
चरान-I बो० (पु०) = चरागाह || (पु०) समुद्र के चरबाना-(स० क्रि०) ढोल पर चमड़ा मढ़ाना
किनारे को दलदल चरबी-फा० (स्त्री०) शरीर में रहनेवाला सफ़ेद हल्के पीले रंग चराना-(स० क्रि०) 1 पशुओं का चरने में प्रवृत्त करना का गाढ़ा, चिकना तथा लसीला पदार्थ। चढ़ना मोटा होना; (जैसे-मुझे जानवरों को चराने जाना है) 2 चातुर्यपूर्ण आचरण छाना अभिमान, मद में अंधा होना
करना (जैसे-मुझे चराने की कोशिश मत करना) चरम-सं० (वि०) 1 हद दरजे का, अंतिम सीमा को प्राप्त चराव-(पु०) पशुओं के चरने का स्थान, चरागाह 2 सबसे अधिक, सबसे आगे बढ़ा हआ (जैसे-घुड़सवारी में चरिंदा-फ़ा० (पु०) चरनेवाला जीव, पशु हैवान उसकी गति चरम स्थिति को पहुंच गई थी) 3 अंतिम, आखिरी | चरिंद-परिंद-फा० (पु०) पशु-पक्षी (जैसे-जीवन की चरम अवस्था बुढ़ापा है) 4 (नाटक आदि चरित-सं० (३०) 1 आचरण और व्यवहार, रहन-सहन में) कथावस्तु के विकास की अंतिमस्थिति। -काल (प०) 2 जीवन की घटनाओं का उल्लेख, जीवन-चरित्र 3 अनुचित मृत्यु का समय: पंथ - हिं० (प्०) समाज को अस्वस्थ काम, निंदनीय कर्म, करतूत (जैसे-इनके चरित की तो बात मत बनानेवाले तत्त्वों को अतिशीघ्र संपूर्ण शक्ति से दूर कर देने का कीजिए)। -काव्य (पु०) काव्य जिसमें जीवन-वृत्तांत हो; सिद्धांत प्रतिपादित करनेवाली विचार-धारा; -पंथी + हिं० नायक (पु०) कथा-कहानी आदि का प्रधान पात्र (१०) चरम-पंथ को माननेवाला व्यक्ति, चरम-पंथ का चरितव्य-सं० (वि०) जो आचरण योग्य हो समर्थक; -पत्र (पु०) वसीयतनामा, दित्सापत्र; बिंद चरितार्थ-सं० (वि०) 1 जिसका अभिप्राय पूरा हो गया हो, (पु०) परमोत्कर्ष, पराकाष्ठा; लक्ष्य (पु०) अंतिम उद्देश्य कृतकार्य, कृतार्थ 2 जिसके अस्तित्व का उद्देश्य पूर्ण हो गया हो (जैसे-जीवन का चरम-लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है); | (जैसे-विभीषण ने राम भक्ति में ही अपना जीवन चरितार्थ सीमा, स्थिति (स्त्री०) अंतिम स्थिति
करना उचित समझा) 3 जो अपने सही अर्थ में पूर्ण हो चरमर-(पु०) 1 चीमड़ वस्तु के दबने से उत्पन्न शब्द 2 चीमड़ (जैसे-विश्वामित्र की भविष्यवाणी चरितार्थ हो गई) वस्तु के मुड़ने से उत्पन्न शब्द
चरितावली-सं० (स्त्री०) अनेक चरित्रों का वर्णन चरमरा-(वि०) चरमर ध्वनि करनेवाला (जैसे-चरमरा जूता चरित्तर-बो० (पु०) छलपूर्ण अनुचित आचरण एवं व्यवहार अच्छा नहीं होता है)
चरित्र-सं० (पु०) 1 आचरण, चाल-चलन, सदाचार चरमराना-I (अ० क्रि०) चरमर शब्द होना II (स० क्रि०) 2 कार्यकलाप 3 स्वभाव, गुणधर्म 4 जीवन-चरित, जीवनी चरमर ध्वनि उत्पन्न करना
(जैसे-रामचरितमानस में राम के उदात्त चरित्र की संपूर्ण कथा चरमराहट-(स्त्री०) चरमर ध्वनि
है) 5 कहानी, नाटक आदि का पात्र । --चित्रण (पु०) चरित्र चरमावस्था-सं० (स्त्री०) अंतिम अवस्था
का चित्रात्मक वर्णन; नायक (पु०) - चरितनायक; चरमोत्कर्ष-सं० (पु०) दे० चरम बिंदु
-निष्ठ (वि०) सच्चरित्र, चरित्रवान; ~पंजी (स्त्री०) ऐसी चरवाँक-(वि०) = चरबाँक
पंजी जिसमें कर्मचारियों के चरित्र का विवरण हो; बंधक चरवाई-(स्त्री०) 1 पशु चरवाने की क्रिया 2 पशु चरवाने का (पु०) मैत्रीपूर्ण तथा सद्व्यवहार की प्रतिज्ञा; ~भ्रष्ट (वि०) पारिश्रमिक
निंदनीय आचरणवाला; ~मालिका (स्त्री०) दे० चरितावली;