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घान
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घीया
पेरना
लगना घान रूप में काम आरंभ होना
घिन-(स्त्री०) घृणा, नफ़रत घान-II (पु०) 1 बड़ा हथौड़ा, घन 2 गहरा आघात, भीषण घिनाना-(अ० क्रि०) घृणा करना प्रहार
घिनौना-(वि०) घृणित घानी-(स्त्री०) 1 ऐसा स्थान जहाँ घान डाले जाते हैं 2 ऊख, घिनौनापन-(पु०) घृणा का भाव तेल आदि पेरने का कोल्हू 3 ढेर, राशि। ~करना पीसना, घिन्नी-बो० (स्त्री०) 1 गित्री 2 घिरनी
घिया-(स्त्री०) = घीया घाम-(पु०) 1 सूर्य का प्रकाश, धूप (जैसे-घाम आना) घिया तोरी-(स्त्री०) 1 सब्जी के काम आनेवाली एक बेल 2 कष्ट, विपत्ति (जैसे-घाम बचाना)। छाँह (स्त्री०) | 2 नेनुआँ धूप-छाँव; ~खाना धूप में रहना; ~लगना लू लगना; घिरना-(अ० क्रि०) 1 घेरे में आना (जैसे-ब्रैकेट में घिरना) छाँह सहना सुख दुःख दोनों को सहना
2 ढक लिया जाना (जैसे-बादलों से आकाश घिरना) घामड़-(वि०) 1 धूप से विकल (जैसे-घामड़ पशु) घिरनी- 1 चरखी, गरारी 2 चक्कर, फेरा। दार + फ़ा० 2 नासमझ, मूर्ख 3 आलसी, सुस्त
(वि०) जिसमें घिरनी लगी हो (जैसे-घिरनीदार विमान)। घापल-(वि०) 1 जिसे चोट लगी हो, ज़ली (जैसे-वह बुरी | रवाना चक्कर लगाना
तरह से घायल हो गया था) 2 दुःख पहुँचाया हुआ घिराई-(स्त्री०) 1 घेरने की क्रिया 2 घेरने की मज़दूरी 3 पशु घारी-बो० घास-फूस से बना कमरा जिसमें पश बंधते हैं
चराने का काम 4 पशु चराने का पारिश्रमिक घाणिक-सं० (वि०) घर्षण-संबंधी
घिराव-(पु०) 1 घेरने की क्रिया 2 घेरा बंदी घाल-(पु०) 1 तौल या गिनती में निर्धारित मात्रा में मिल घिरिया-(स्त्री०) 1 शिकार को घेरने के लिए बनाया गया घेरा जानेवाला पदार्थ (जैसे-घाल में मिल जाना, घाल न गिनना) 2 संकट की स्थिति 2 तुच्छ पदार्थ
घिरीं-(स्त्री०) एक ही घेरे में बार-बार चक्कर लगाने की घालक-(वि०) 1 मारनेवाला, वध करनेवाला 2 नाशक क्रिया। खाना बार-बार आना जाना 3 अत्यधिक हानि पहँचानेवाला
घिस-पिस-(स्त्री०) 1 ढिलाई, सुस्ती (जैसे-घिस-घिस करना) घालना-(स० क्रि०) 1 डलना 2 रखना 3 फेंकना (जैसे-शस्त्र 2 अनिश्चय घालना) 4 मार डालना 5 नष्ट करना
घिसटना-बो० (अ० क्रि०) 1 घसीटा जाना 2 रगड़ खाते हए घालमेल-(पु०) 1 मिलावट, गड्डमड्ड 2 अनुचित संबंध धीरे-धीरे चलना 3 मेल जोल
घिसना-I (स० क्रि०) । रगड़ना (जैसे-चंदन घिसना) घाव-(पु०) 1 ज़ख्म, क्षत (जैसे-घाव पर मरहम लगाना) | 2 मलना। ~माँजना II (अ० क्रि०) क्षीण हो जाना 2 विकृत अंग (जैसे-घाव भरना, घाव पूजना) 3 मन की दुःख __ (जैसे-बर्तन घिस गया है) पूर्ण स्थिति (जैसे-घाव हरा होना)। खाना आहत होना; - घिस-पिस-I बो० (स्त्री०) - घिस-घिस II (वि०) =
देना दुःख पहुँचाना; पर नमक छिड़कना पीड़ित को घिचपिच और पीड़ा पहँचाना; पूजना, ~भरना घाव अच्छा होना | घिसवाना-(स० क्रि०) रगड़वाना घास-(स्त्री०) 1 पशुओं को खिलानेवाली हरी वनस्पतियाँ | घिसाई-(स्त्री०) 1 घिसने की क्रिया 2 घिसाने का पारिश्रमिक; (जैसे-दूब की छ.स) 2 तृण, तिनका । ~पात, फूस टुटाई (स्त्री०) घिसने और टूटने की क्रिया (जैसे-मशीन (पु०) 1 कूड़ा-करकट 2 तृण या वनस्पति; ~~भूसा (पु०) | की) व्यर्थ की रद्दी चीजें। काटना, ~खोदना, छीलना घिसा-घिसाया, घिसा-पिटा, घिसा-पिसा-(वि०) 1 तुच्छ काम करना 2 व्यर्थ का काम करना; ~खाना 1 पशु 1 उपयोग में लाया हुआ, पुराना 2 जीर्ण-शीर्ण, कमज़ोर तुल्य होना 2 मूर्खता का परिचय देना
घिसाव (पु०), घिसावट-(स्त्री०) घिसने की क्रिया, रगड़। घासलेट-अं० गैस-लाइट से (३०) 1 मिट्टी का तेल 2 तुच्छ ~कोष + सं०, ~फंड + अं० (पु०) घिसाई के लिए वस्तु
सुरक्षित निधि; ~टुटाव (पु०) : घिसाव घासलेटी-अं० + हिं० (वि०) 1 निम्न कोटि का 2 गंदा, घिसिर-पिसिर-(स्त्री०) दे० घिस-पिस अश्लील (जैसे-घास लेटी साहित्य)
घिस्सम-घिस्सा-(पु०) 1 धक्कम धक्का, रेल-पेल 2 नख में घासाहारी-सं० (पु०) घास खानेवाला पशु
डोरी फँसाकर खेलनेवाला खेल 3 बार-बार रगड़ने की क्रिया घिआँडा-(पु०) घी रखने का पात्र
घिस्सा-(पु०) 1 रगड़ 2 धक्का 3 धोखा घिआ-(स्त्री०) = घीआ
घी-(पु०) मक्खन को तपाकर बनाया गया चिकना पदार्थ। घिग्घी-(स्त्री०) 1 अधिक रोने के कारण थकावट हो जाने से खिचड़ी (स्त्री०) अत्यधिक घनिष्टता (जैसे-वे दोनों कैसे श्वास अवरोध से घी घी शब्द निकलना 2 भयभीत होने से घी खिचड़ी हो रहे हैं)। ~का कुप्पा लुढ़कना । महान् क्षति साफ़ ध्वनि न बोल पाना (जैसे-घिग्घी बँधना)
होना 2 धनी व्यक्ति का मर जाना; के कुप्पे से लगना घिधियाना-(अ० क्रि०) 1 चिल्लाना 2 करुण स्वर में प्रार्थना अत्याधिक लाभ होना; के दीये जलाना खुशी मनाना, करना, गिड़गिड़ाना, (जैसे-नौकर का घिघियाना)
प्रसन्न होना; पाँचों उँगलियाँ घी में होना अत्यधिक लाभ घिचपिच-I (स्त्री०) 1 अस्पष्ट या न पढ़ी जा सकनेवाली | होना लिखावट 2 भीड़ तंगी II (वि०) अस्पष्ट
घीया-(पु०) 1 लौकी 2 कद्दू