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कृपाण
कृपाण - सं० (पु० ) 1 कटार 2 तलवार (छोटी कृपाणिका) कृपाभिलाषी-सं० (वि०) कृपाकांक्षी
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कृपायतन-सं० (वि०) कृपानिधान, कृपालु कृपालु -सं० (वि०) कृपा करनेवाला, दयालु ता (स्त्री०) दयालुता कृपाभाव
कृमि-सं० (पु० ) 1 कीड़ा 2 चींटी। कीट (पु०) कीड़े-मकोड़े, कोश (पु०) रेशम के कीड़े का कोया; ~ज (वि०) कीड़ों को मारनेवाली (जैसे- कृमिनाशक घोल); ~ रोग (पु० ) चि० आमाशय में केंचुए पड़ने से होनेवाला रोग, पेट का रोग; --विज्ञान (पु० ) ऐसा विज्ञान जिसमें विभिन्न रोगों के कीटाणुओं का अध्ययन किया जाता है; -शैल (पु०) बाँबी
कृश-सं० (वि०) 1 दुबला-पतला 2 कमज़ोर 3 अकिंचन 4 अल्प, थोड़ा 5 दरिद्र । ~ता 1 (स्त्री०) कमज़ोरी 2 दुबलापन
कृशर - सं० (पु० ) 1 खिचड़ी 2 तिल और चावल की खिचड़ी कृशांग, कृशित-सं० (वि०) 1 कृश 2 दुबला-पतला कृशोदर-सं० (वि० 1 जिसका पेट पतला हो 2 पतली
केंद्रीय
कृषित, कृष्ट-सं० (०) 1 जोता-बोया हुआ 2 खींचा हुआ । ~फल (पु० ) खेत की उपज, फ़सल भूमि (स्त्री०) कृषित भूमि
कृष्टि-सं० (स्त्री) 1 खिचाव 2 खेतीबाड़ी
कमरवाला
कृशोदरी-सं० (स्त्री०) पतली कमरवाली स्त्री कृषक - I सं० (पु० ) किसान II ( वि०) खींचनेवाला । क्रांति (स्त्री) कृषक आंदोलन; वर्ग (पु०) कृषक समूह; ~ विद्रोह ( पु० ) किसानों की क्रांति कृषकीय - सं० (वि०) किसान का, किसान-संबंधी कृषाण-सं० (पु०) किसान, कृषक
कृषि - सं० (स्त्री० ) 1 खेती-बाड़ी 2 ज़मीन की बोआई 3 फ़सल (जैसे-कृषि उत्पादन) । ~उद्योग खेती का काम, किसान का पेशा ~ उपकरण (पु०) कृषि के उपयोग में आनेवाले औज़ार एवं मशीनें आदि; कर्म (पु० ) = कृषि; कार (पु० ) = कृषक; ~कार्य (पु० ) = कृषि; ~ कालेज + अं० (पु० ) कृषि महाविद्यालय; जात (वि०) कृषि से उत्पन्न होनेवाला (जैसे - कृषिजात द्रव्य); जीवी (पु०) = कृषक; ~तकनीक + अं० (स्त्री०) कृषि की विधि, पदार्थ (पु०) कृषि द्रव्य, वस्तुएँ आदि; ~ प्रणाली (स्त्री०) कृषि के भेद एवं प्रकार प्रदर्शनी (स्त्री०) खेती की चीज़ों की नुमाइश ~ प्रधान (वि०) 1 जो कृषि में मुख्य हो 2 जो उत्तम खेती करनेवाला हो; ~बैंक अं० (पु०) कृषि हेतु आर्थिक मदद देनेवाले बैंक; यंत्र (पु०) खेती के औज़ार एवं उपकरण; ~ योग्य (वि०) जो खेती के लिए उचित एवं उपयुक्त हो (जैसे कृषियोग्य भूमि); ~ विकास (पु० ) कृषि की प्रगति, कृषि-वृद्धि; ~ विज्ञ (पु० ) कृषि का ज्ञान रखनेवाला व्यक्ति; ~ विज्ञान (पु० ) ऐसा विज्ञान जिसमें कृषि विषयक अध्ययन किया जाए; विज्ञानी (पु० ) = कृषि विज्ञ; ~ विद्या ( स्त्री०) = कृषि विज्ञान; ~ विद्यालय (पु० ) कृषि अध्ययन संस्था; ~ विभाग (पु० ) कृषि संस्था का वह विभाग जहाँ कृषि का अध्ययन किया जाता है; व्यवसाय (पु०) = कृषि; ~ व्यवस्था (स्त्री० ) = कृषि प्रणाली; ~ शास्त्र (पु० ) = कृषि विज्ञान शास्त्रीय (वि०) कृषि विज्ञान संबंधी; ~ संकट खेती में आनेवाली बाधाएँ; कृषिक - I सं० (वि०) कृषि का II ( पु० ) किसान
कृष्ण - I सं० (वि०) 1 काला, श्याम 2 नीला 3 कुत्सित 4 निंदनीय II (पु० ) 1 यदुवंशी कृष्ण 2 काला रंग 3 नीला रंग 4 पापकर्म । ~कंद (पु०) लाल कमल; कर्म (पु० ) पाप-कर्म, निंदनीय कार्य, कर्मा (वि०) पापकर्म करनेवाला, पापी पक्ष (पु० ) महीने का अँधेरा पखवार ; -चंद्र (पु० ) 1 वासुदेव 2 श्री कृष्ण धन (पु० ) काला धन; पक्ष (पु० ) 1 अँधेरा पाख 2 अर्जुन पटल (पु० ) श्यामपट मणि (पु० ) नीलम, रक्त I ( पु० ) गहरा लाल रंग II (वि०) गहरे लाल रंग का लौह (पु० ) 1 चुंबक 2 काला लोहा वर्ण (वि०) काला रंग; ~सार (पु० ) 1 काले रंग का हिरन, कृष्ण मृग 2 शीशम वृक्ष 3 खैर का पेड कृष्णा-सं० (स्त्री०) 1 द्रौपदी 2 दक्षिण भारत की एक नदी, कृष्णगंगा
कृष्णाष्टमी -सं० (स्त्री० ) 1 भाद्र कृष्ण अष्टमी 2 कृष्ण की जन्मतिथि, जन्माष्टमी
कृष्णिमा-सं० (स्त्री०) कालापन
कृष्य - सं० (वि०) खेती करने योग्य (जैसे-कृष्य भूमि) कें - कें- (स्त्री०) 1 पक्षियों का आर्तनाद 2 कष्ट सूचक ध्वनि 3 व्यर्थ की बातचीत, बकवाद
केंचुआ (पु० ) 1 एक लंबा एवं पतला बरसाती कीड़ा 2 आँतों में पैदा हो जानेवाले छोटे-छोटे सफ़ेद कीड़े
केंचुल - (पु०), केंचुली (स्त्री०) सर्प द्वारा छोड़ी गई झिल्लीदार खोली (जैसे-केचुल छोड़ना)
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केंद्र - सं० (पु० ) 1 वृत्त का मध्य बिंदु 2 मध्य भाग 3 वस्तु का मुख्य उत्पादन एवं वितरण स्थल (जैसे- औद्योगिक केंद्र) 4 मुख्य कार्यालय । ~गामी (वि०) केंद्राभिसारी; बद्ध (वि०) केंद्रीकृत बिंदु (पु० ) मध्य बिंदु, मध्यस्थल; ~वाद (पु० ) यह मत कि सारा शासन केन्द्रीय सरकार के हाथ में हो; सरकार (स्त्री०) देश के केन्द्र से राज करनेवाला शासन; ~स्थ (वि०) बीच में स्थित, मध्यस्थित केंद्रग-सं० (वि०) = केंद्राभिसारी
केंद्रण-सं० (पु० ) केंद्रीकरण केंद्रस्थ-सं० (वि०) मध्य में स्थित केंद्रापग -सं० (वि०) = केंद्रापसारी केंद्रापसारी-सं० (वि०) केंद्र से दूर जानेवाला (जैसे- केंद्रापसारी शक्तियाँ)
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केंद्राभिग, केंद्राभिमुख, केंद्राभिसारी-सं० (वि०) केंद्र की ओर जानेवाला (जैसे- केंद्राभिसारी शक्तियाँ) केंद्रिक-सं० (वि०) - केंद्रीय, केंद्र में बननेवाला केंद्रित सं० (वि०) केंद्र में स्थित किया हुआ केंद्री -सं० (वि०) केंद्रीय । ~करण (पु०) 1 केंद्रित करना
2 सत्ता के अधीन करना (जैसे-उद्योग-धंधों का केंद्रीकरण); ~कृत (वि०) 1 केंद्रित किया हुआ 2 अधिकार में लाया हुआ; ~ भूत (वि० ) - केंद्रित
केंद्रीय-सं० (वि०) 1 केंद्र संबंधी 2 मध्यभाग का 3 मुख्य या