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कोकीन
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कोन
पाला
पेय
कोकीन, कोकेन-अं० (पु०) कोका की पत्तियों से तैयार __ करना; कोठों में चित्त जाना अनेक प्रकार क शंकाएं होना किया गया द्रव्य जो लगाने से अंग सुत्र हो जाता है। बाज कोठार-(पु०) = 1 कोठा 2 भंडार गृह + फ़ा० (पु०) कोकीन खानेवाला
कोठारी-(पु०) भंडारी कोको-अं० (पु०) 1 नारियल 2 एक अफ्रीकी ताड़ 3 ताड़ के कोठी-(स्त्री०) 1 पक्का एवं ऊँचा मकान, हवेली 2 थोक बिक्री फल का चूर्ण 4 ताड़ के फल से बनाया जानेवाला चाय जैसा की दुकान 3 कोठा 4 भंडार 5 गर्भाशय। ~वाल (पु०)
लेन-देन करनेवाला महाजन; ~वाली (स्त्री०) लेन-देन का कोख-(स्त्री०) 1 उदर, पेट 2 गर्भाशय। -जली (वि०) काम; ~गलाना, ~उतारना नीचे फँसाना; चलना
(गाली) जिसकी संतान जीवित न रहे; बंद (वि०) जिसे लेन-देन का कारोबार होना संतान न होती हो, वंध्या, बाँझ; ~उजड़ना बच्चा मर जाना; कोठेवाली-(स्त्री०) वेश्या ल्खुलना संतान होना, बाँझपन दूर होना; बंद होना, कोड-अं० (पु०) 1 संहिता 2 संकेतावली 3 संकेत ~मारी जाना गर्भ न रहना, संतान न होना
कोड़ना-(स० क्रि०) गोड़ना कोच-I अं० (पु०) गद्देदार कुर्सी II (पु०) चार पहियोंवाली | कोड़ा-(पु०) 1 चाबुक 2 सोंटा (जैसे-कोड़ा मारना) एक प्रकार की घोडागाड़ी। बकस (पु०); ~वान + | कोड़ाई-(स्त्री०) 1कोड़ने का काम 2 कोड़ने की मजदूरी फ़ा० (पु०) गाड़ीवान
कोड़ी-I (स्त्री०) बीस का समूह II (वि०) बीस कोचना-(स० क्रि०) 1 चुभोना, फँसाना 2 तंग करना कोढ़-(पु०) चि० त्वचा संबंधी संक्रामक रोग जिसमें शरीर के कोचा-(पु०) 1 कोचने से होनेवाला घाव 2 कड़वी बात किसी अंग पर चकत्ते पड़ने लगते हैं और वह अंग गलने कोजागर-सं० (पु०) शरद पूर्णिमा
लगता है। ~की खाज, ~में खाज 1 कोढ़ में खुजली कोट-(पु०) 1 पक्का भवन, दुर्ग 2 राजमहल 3 परकोटा, होना 2 संकट पर संकट आना; चूना, टपकना अंगों प्राचीर। ~पाल (पु०) दुर्गरक्षक
का गलकर गिरना कोट-अं० (पु०) अंग्रेज़ी ढंग का एक प्रसिद्ध पहनावा कोढ़िया-(पु०) तंबाकू के पत्तों का रोग (जैसे-बंद गले का कोट, बरसाती कोट)। पतलून कोढ़ी-I (पु०) 1 कोढ़ से पीड़ित व्यक्ति 2 निकम्मा आदमी कोट-पैंट, शाही पोशाक
II (वि०) कोढ़ से ग्रस्त कोटभरिया-बो० (स्त्री०) नाव के किनारों पर ऊपर जड़ी हई कोण-सं० (पु०) 1 अंतर्दिशा 2 दो दिशाओं के बीच की दिशा लकड़ी
3 कोना (जैसे-समकोण, न्यूनकोण)। स्पर्श वृत (पु०) कोटर-सं० (पु०) 1 पेड़ का खोखला भाग 2 किले के | ऐसा वृत जो किसी क्षेत्र के सब कोणों को स्पर्श करता है आस-पास लगाया गया जंगल
कोणाकोणि-सं० (क्रि० वि०) एक कोने से दूसरे कोने तक कोटला-(पु.) छोटा किला
कोणिक, कोणीय-सं० (वि०) 1कोण से युक्त, कोनेवाला कोटा-अं० (पु०) निर्धारित अंश (जैसे-अपने कोटे से कई 2 कोण संबंधी गुना ज्यादा काम करना)
कोतल-I फ़ा० (पु०) सजा-सजाया घोड़ा, जलूसी घोड़ा कोटि-सं० (स्त्री०) 1 (धनुष का) सिरा 2 नोक 3 दर्जा, वर्ग II (वि०) जिसे कोई काम न हो, खाली। गारद (स्त्री०) 4 करोड़ की संख्या (जैसे-कोटि में डालना)। ~क्रम (पु०) दंडित सिपाहियों को रखने का रक्षित स्थान; मौज + अ० 1 विकास क्रम की दृष्टि से बनाई गई कोटियाँ 2 तर्क में विचार (स्त्री०) (घोड़ों का) रिसाला; ~सेना + सं० (स्त्री०) = प्रकट करने का ढंग; ~च्युत (वि०) पद से गिराया हुआ; कोतल फ्रोज
परीक्षा (स्त्री०) (विभागों में) प्रोत्रति हेतु ली जानेवाली कोतवाल-(पु०) पुलिस अधिकारी परीक्षा; बंध (पु०) कोटियों में बाँधना; बद्ध (वि०) कोतवाली-(स्त्री०) 1 कोतवाल का कार्यालय 2 कोतवाल का
कोटि में रखा हुआ, दर्जेवार कोटिक-सं० (वि०) 1 करोड़ों 2 असंख्य
कोतह, कोताह-फा० (वि०) 1 छोटा 2 कम। हिम्मत , कोटिशः-सं० (क्रि० वि०) अनेक प्रकार से II (वि०) | ___ अ० (वि०) कम हिम्मतवाला, अल्प साहस का असंख्य, करोड़ों
कोताही-फा० (स्त्री०) 1कमी 2 त्रुटि, न्यूनता (जैसे-कोशिश कोटी-सं० (स्त्री०) = कोटि
में कोताही न करना) 3 उपेक्षा कोटीश्वर-सं० (पु०) करोड़पति
कोथ-(पु०) अंग का गल जाना, गैंगरीन कोटेशन-अं० (पु०) उक्ति
कोथला-(पु०) 1 बड़ा थैला 2 पेट कोट्याधीश-सं० (पु०) = कोटीश्वर
कोथली-(स्त्री०) रुपए रखने की थैली कोड़ना-(स० क्रि०) मिट्टी खोदकर पलट देना
कोदंड-सं० (पु.) 1 धनुष 2 धनु राशि 3 मोह कोठ-बो० (वि०) कुंठित
कोदों, कोदो-(पु०) साँवा की जाति का एक मोटा अन्न। कोठ-सं० (पु०) = कोढ़
दलना निकृष्ट एवं परिश्रम का काम करना; दलाना कोठरी-(स्त्री०) छोटा कमरा (जैसे-अंधेरी कोठरी) मेहनत का काम करवाना; देकर पढ़ना सेंत में पढ़ना, मूर्ख कोठा-(पु०) 1 बड़ा कमरा, अटारी 2 भंडार कोठार | रह जाना
3 वेश्याओं का घर। दार , फ्रा० (पु०) = कोठारी; कोठे | कोन, कोना-बो० (पु०) 1खेत का कोमा 2 कोण 3 कमरे पर चढ़ना वेश्या के पास जाना; कोठे पर बैठना वेश्यावृत्ति । आदि का कोना। झांकना भय या लज्जा से मुंह छिपाना
पद