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खाति
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खामी
खाति-सं० (स्त्री०) खुदाई
खानसामा-फ़ा० (पु०) रसोइया खातिर-1 अ० (स्त्री०) आवभगत, आदर-सत्कार II (अ०) खाना-I (स० क्रि०) 1 भोजन करना (जैसे-रोटी खाना) वास्ते, लिए (जैसे-आपकी खातिर)। ~खाह + फ़ा० I 2 भक्षण करना (जैसे-शेर बकरी को खा गया) 3 परेशान (वि०) यथेष्ट; II (क्रि० वि०) संतोषजनक रूप में; जमा करना (जैसे-क्यों मेरी जान खाते हो) 4 रिश्वत लेना I (स्त्री०) तसल्ली, संतोष II (क्रि० वि०) रखना दारी (जैसे-आजकल दफ्तरों के बाबू खूब खाते हैं) 5 आघात (स्त्री०) सत्कार
सहना (जैसे-गाली खाना, धक्का खाना) II (पु०) 1 खाद्य ख़ातिमा-अ० (पु०) समाप्ति, अंत
पदार्थ 2 भोजन कमाना मेहनत एवं मज़दूरी करके खाती-(स्त्री०) 1 गड्ढा 2 तालाब
गुजर-बसर करना (जैसे-खाता-कमाता आदमी); दाना, खातून-तु० (स्त्री०) बीबी, श्रीमती
नाश्ता + फ़ा० (पु०) = खान-पान; -पीना (स० खातेदार-हिं० + फा० (पु०) जिसके नाम हिसाब-किताब हो क्रि०) 1 खाने-पीने की क्रिया 2 खाने-पीने का सुख पाना; खा खाते-बाकी- + हिं० + अ० (स्त्री०) अतिशेष
पका जाना, खा डालना 1 मार डालना 2 पूँजी खर्च कर खाद-(स्त्री०) 1 सड़ा-गलाकर बनाई गई गोबर, पत्ते आदि की डालना; न पचना आराम न मिलना; मुँह की खाना कड़ी
खाद 2 रासायनिक खाद (जैसे-नाइट्रेट खाद, पोटाश खाद) बात सुनना; ~लह करना भोजन के समय दुःख देना खादक-सं० (वि०) खानेवाला
खाना-फ़ा० (पु०) 1 घर, मकान (जैसे-ग़रीबख़ाना, खादन-सं० (पु०) 1 खाना, भक्षण 2 दाँत
यतीमखाना) 2 स्थान, जगह (जैसे-डाकखाना, दवाखाना) खादर-(पु०) 1 कछार, तराई 2 तंग घाटी 3 चारागाह । 3 छोटा बक्सा, डिब्बा (जैसे-चश्मे का खाना, किताबखाना) लगाना घास लगाना
4 (अलमारी का) हिस्सा। खराब + अ० (वि०) खादित-सं० (वि०) खाया हुआ, भक्षित
1 आवारा 2 दूसरों को बिगाड़नेवाला 3 बेघरबार का 4 बर्बाद; खादिम-अ० (पु०) सेवक, ख़िदमतगार (जैसे-आपका खराबीअ० + फ़ा० (स्त्री०) आवारागर्दी; जंगी ख़ादिम)
(स्त्री०) आपसी लड़ाई, गृहयुद्ध; ~ज़ाद (वि०) घर में खादिमा-अ० (स्त्री०) सेविका
(दासी से) जन्मा; ~तलाशी (स्त्री०) घर की तलाशी; खादी-I (स्त्री०) = खद्दर II (वि०) बो० 1 दोष दामाद (पु०) घरजवाई; दार (वि०) घर गृहस्थीवाला, निकालनेवाला 2 दोषों से भरा हुआ। ~धारी - सं० (वि०) गृहस्थ; दारी (स्त्री०) घर गृहस्थी का काम, ग्रार्हस्थ्य; खद्दर पहननेवाला
नशीन (वि०) 1 घर में ही बैठा रहनेवाला 2 बेकार; खादी-सं० (वि०) खानेवाला, भक्षक
पुरी + हिं० (स्त्री०) सारणी के खानों को भरना, रिक्त खादुक-सं० (वि०) 1 कष्ट देनेवाला 2 बुराई करनेवाला स्थानों को भरना; बदोश I (वि०) जिसका ठौर-ठिकाना न खाद्य-I सं० (वि०) खाने योग्य II (पु०) खाने की चीज़ । हो, यायावर II (पु०) स्थायी आवासरहित जन-जाति;
~अनुभाजन (पु०) = खाद्य समवितरण; उद्योग (पु०) खेदोशी (स्त्री०) यायावरी; बरबाद (वि०) घर उजाड़, खाने की वस्तुएँ बनाने का काम; ~कोष्ठ (पु०) अनाज का उड़ाऊ; बरबादी (स्त्री०) घर उजड़ना; ~वीरानी कोठा; ~द्रव्य, ~पदार्थ खाने योग्य वस्तुएँ; ~भोज्य (स्त्री०) घर का सुनसानपन; ~शमारी (स्त्री०) घरों की (पु०) = खाद्य संकट (पु०) खाने की चीज़ों की कमी; गिनती करना गृह, गणना
समवितरण (पु०) खाद्य को समान रूप से बाँटना; - खानि-I (स्त्री०) = खान II (स्त्री०) 1 ओर, तरफ 2 ढंग,
सामग्री (स्त्री०) = खाद्य द्रव्य खाद्याखाद्य-सं० (पु०) खाने योग्य और न खाने योग्य वस्तुएँ खानिल-सं० (पु०) सेंध लगाकर चोरी करनेवाला चोर, सेंध खाद्यान्न सं० (पु०) खाने योग्य अन्न (गेहूँ, चावल आदि) मारनेवाला खाद्यान्नाभाव-सं० (पु०) खाद्यान्न की कमी
खाप-(स्त्री०) आघात खाद्योत्पादन-सं० (पु०) अन्नादि का उत्पादन
खाब-फ़ा० (पु०) = ख़्वाब। ~गाह (स्त्री०) = ख्वाबगाह खान-I (स्त्री०) 1 खदान (जैसे-नमक की खान, लोहे की खाबड़-खूबड़-(वि०) ऊबड़-खाबड़, ऊँचा-नीचा, पथरीला खान) 2 खज़ाना, भंडार II (पु०) 1 खाने की क्रिया | (जैसे-खाबड़-खूबड़ मार्ग) 2 भोजन। ~पान (पु०) खाना-पीना ~पान करना | खाब व ख्याल-फा० + अ० (पु०) = ख़ामख़याली व्यवहार बनाना; ~मज़दूर + फ़ा०, ~श्रमिक + सं० खाम-(पु०) 1 लिफाफा 2 जोड़ (पु०) खान में काम करनेवाला
खाम-फा० (वि०) 1 कच्चा 2 अनुभवहीन, अप्रौढ़ 3 अनुचित खान-फा० (पु०) 1 सरदार 2 मालिक 3 स्वामी [स्त्री खानमख एवं निराधार । ल्खयाल + अ० (वि०) नासमझ, बेवकूफ;
~काह (स्त्री०) दरगाह, मठ; जादा (पु०) ख़ान का खयाली + अ० (स्त्री०) नासमझी, व्यर्थ की कल्पना बेटा; दान (पु०) 1 घराना, कुल 2 कुटुंब; ~दानी | खामखाह-फ़ा० (वि०) = ख़ाहमख़ाह (वि०) 1 कुल क्रमागत, पुश्तैनी 2 कुलीन; बहादुर खामना-(स० क्रि०) 1 गीली मिट्टी आदि से मुँह बंद करना (पु०) 1 ख़ानदान का वीर पुरुष 2 परिवार का मालिक (जैसे-कुठला खामना) 2 गोंद लगाकर बंद करना खानक-(पु०) 1 खान खोदनेवाला 2 खोदनेवाला
(जैसे-लिफाफा खामना) खानगी-1 फा० (वि.) 1 घर का, घरेलू 2 आपस का, निजी | खामी-फा० (स्त्री०) 1कमी 2 कच्चापन 3 दोष (जैसे-काम II (स्त्री०) व्यभिचार से धनोपार्जन करनेवाली औरत, वेश्या | की ख़ामियों की तरफ़ से आँख मूंदना)
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