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कर्म
~कर्मचारी वर्ग; चारी संघ ( पु० ) स्टाफ यूनियन; चोदना (स्त्री०) कर्म प्रेरणा; ज I (वि०) कर्म से उत्पन्न II ( पु० ) कर्मफल; तत्पर (वि०) कर्म करने के लिए सदा तैयार; ~ धारय (पु०) तत्पुरुष समास का एक भेद जिसमें विशेष और विशेषण समानाधिकरण हों; -नाशा (स्त्री०) एक नदी जिसके जल स्पर्श से पुण्य नाश होने की किंवदंति प्रचलित है; निपुण (वि०) कार्य में कुशल; ~ निपुणता (स्त्री०) कार्य-कुशलता; निष्ठ (वि०) 1 शुद्ध हृदय से कर्म करनेवाला 2 कर्म में आस्था रखनेवाला; ~ निष्ठा (स्त्री०) कर्म करने में विश्वास; परायण (वि० ) कर्मनिष्ठ; पाक (पु०) कर्मफल; पूरक (पु०) काम को पूरा करनेवाला; प्रधान (वि०) जिसमें कर्म की प्रधानता हो; ~फल (पु०) कर्मों का फल (जैसे-मनुष्य स्वयं कर्मफल का जन्मदाता है); बंध (पु०) कर्मों के अनुसार जन्म-मरण का बंधन; भूमि (स्त्री०) कर्मक्षेत्र, संसार; ~भोग (पु० ) कर्मफल: -मार्ग (पु० ) मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग मास (पु० ) सावन का महीना, युग (पु० ) कलियुग ; ~ योग (पु०) निष्काम भाव से कार्य करने की साधना; योगी (वि०) 1 कर्मयोग का अनुयायी 2 शुद्ध हृदय से कार्य करनेवाला; रत (वि०) कार्य में तल्लीन; रेखा (स्त्री०) तक़दीर, भाग्य; ~ वाच्य (वि०) • कर्मणि वाच्य; ~वाद (पु०) ऐसा सिद्धांत जिसमें कर्म को प्रधान माना गया है; वान् (वि०) 1 प्रशंसनीय कार्य करनेवाला 2 कर्मनिष्ठ; ~ विपाक (पु० ) कर्मभोग, कर्मफल, कर्मों का परिणाम; ~वीर (वि०) कर्तव्य में वीर, पुरुषार्थी ~ शाला (स्त्री०) कार्यस्थल, कारखाना; शील (वि०) परिश्रमी, उद्योगी, शूर (वि०) कर्मवीर शौच ( पु० ) 1 विनय 2 नम्रता; संन्यास (पु० ) कर्मफल की आकांक्षा न रहना, कर्म त्यागना; साक्षी (पु० ) 1 चश्मदीद गवाह 2 मानव के सभी कर्मों के साक्षी देवता; साधन (पु०) कार्य करने के लिए प्रयोग में लाए जानेवाला उपाय एवं उपकरण आदि; ~ सिद्धि (स्त्री०), --स्थली (स्त्री०) कर्म क्षेत्र; ~ स्थान (पु० ) 1 कर्मशाला 2 कर्मक्षेत्र: ~ हीन (वि०) 1 जो अच्छा कार्य न कर सके 2 जिसका कर्म अच्छा न हो, अभागा
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कर्मठ - सं० (वि०) 1 काम में कुशल 2 अच्छी तरह काम करनेवाला 3 कर्मनिष्ठ 4 परिश्रमी 5 दत्तचित कर्मणा -सं० (अ०) कर्म से, कर्म द्वारा कर्मणि-प्रयोग-सं० (पु०) क्रिया का कर्म के अनुसार प्रयोग कर्मणि वाच्य-सं० (वि०) क्रिया जो कर्म से संबंधित हो कर्मण्य - सं० (वि०) 1 कर्म कुशल 2 उद्यमी 3 कर्मठ । ता (स्त्री०) 1 कार्य कुशलता 2 कर्म किए जाने की क्षमता कर्मण्यक - सं० ( पु० ) दूसरे पदार्थ को कर्मण्य बनानेवाला कर्मात सं० (पु० ) 1 कार्य समाप्ति 2 कार्य संपादन
3 कारखाना
कर्मा - ( वि० / प्रत्यय) करनेवाला (जैसे- विश्वकर्मा) कमीर-सं० (वि०) 1 कारीगर 2 कर्मकार कर्माश्रया भृति-सं० (स्त्री०) काम के अनुसार मज़दूरी कर्मिक-सं० (पु०) काम करनेवाला । ~ संघ (पु० ) कर्मचारी वर्ग
कल
कर्मिष्ठ - सं० (वि०) 1 कार्यकुशल 2 कर्मनिष्ठ कर्मी - सं० (विc) 1 काम करनेवाला 2 फल की इच्छा से कार्य करनेवाला 3 उद्यमी
कर्मीर-सं० (पु० ) नारंगी रंग
कर्मीला सं० + हिं० (वि०) बो० कर्मशील एवं परिश्रमी कर्मेन्द्रिय-सं० (स्त्री०) काम करनेवाली इंद्रिय (हाथ, पैर, वाणी, उपस्थ आदि)
कर्मोपघाती-सं० (वि०) काम बिगाड़नेवाला, कर्मनाशी कर्रा - बो० ( पु० ) I (पु० ) बुनाई के लिए सूत को तानकर फैलाना II (वि०) कड़ा, कठिन
कर्वट - सं० (पु० ) 1 मंडी, बाज़ार 2 नगर 3 पहाड़ीढाल 4 गाँव कर्ष - सं० (पु० ) 1 खींचना 2 मनमुटाव 3 जोतना 4 खरोंच 5 रोष । फल (पु० ) 1 बहेड़ा 2 आँवला कर्षक - I सं० (पु० ) किसान II ( वि०) खींचनेवाला कर्षण-सं० (पु० ) 1 खींचना 2 हल जोतना 3 खरोंचना 4 खेती का काम 5 जोती गई ज़मीन
कर्षिणी-सं० (स्त्री०) 1 घोड़े की लगाम 2 खिरनी का पेड़ कर्षित -सं० (वि०) 1 जोता हुआ 2 घसीटा हुआ कष - ! सं० (वि०) 1 जोतनेवाला 2 घसीटनेवाला II (पु० ) किसान
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कलंक -सं० (पु० ) 1 दाग़, धब्बा 2 लांछन, बदनामी 3 दोष 4 लोहे का मोरचा । ~ कलुषित (वि०) कलंकित कलकांक - सं० (पु० ) 1 जिसके अंग में दाग़ लगा हो 2 चंद्रमा में लगा हुआ काला धब्बा
कलंकित, कलंकी-सं० (वि०) 1 कलंक से युक्त 2 जिस पर कलंक लगा हो, लांछित 3 मोरचा लगा हुआ कलंकुर -सं० (पु०) पानी का भँवर कलंगी - (स्त्री०) कलगी
कलंदर - फ़ा० (पु०) 1 मुसलमान साधुओं का समुदाय 2 सूफ़ीसंत 3 बंदर - भालू को नचानेवाला, मदारी क़लंदरा - फ़ा० (पु० ) 1 एक तरह का रेशमी वस्त्र 2 खूँटी 3 खूँटा
कलंदरी - फ़ा० (वि०) 2 खूँटी 3 खूँटा कलंब - ( पु० ) कलंदर का, कलंदर संबंधी कल-सं० (वि०) अस्पष्ट किंतु मधुर (जैसे-नदियों का कलनाद, रमणी का कलकंठ मधुर है, शिशु कलरव ध्वनि में हँसता है) 2 कोमल 3 सुहावना। ~~ कंठ (वि०) मधुर : और कोमल आवाज़वाला; ~कल (पु० ) नदी आदि के प्रवाह को मृदु ध्वनि; ~ कूजक (वि०) मृदुभाषी; ~घोष (पु०) मधुर शब्द करनेवाला, कोयल; धूत (पु०) चाँदी; धौत I (वि०) सुनहली II ( पु० ) 1 सोना 2 सोना-चाँदी 3 मंद और मधुर ध्वनि; नाद, ~रव I ( पु० ) हंस II ( वि०) मंद एवं मधुर स्वरवाला III (पु० ) राजहंस; -हासिनी (स्त्री०) मधुर हँसीवाली कल - I (स्त्री०) 1 नीरोग होने की अवस्था 2 आराम (जैसे- रोगी का ज्वर उतर जाने से उसे कल मिल गया) II ( क्रि० वि० ) 1 आनेवाला कल (जैसे वह कल जाएगा) 2 बीता हुआ कल (जैसे - वह कल स्कूल गया था) III (स्त्री०) कल-पुरजा (जैसे- कल से पानी गिर रहा है, कल की टोटी बंदकर दो) 2 'कल' का समास मेंव्यवहत रूप । दार