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कस्तूरी
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काँटा कस्तरी-सं० (स्त्री०) नर हरिण की नाभि के पास की थैली में | कहावत-(स्त्री०) 1 मसल, लोकोक्ति 2 कथन 3 भेजा हुआ पाया जानेवाला एक सुगंधित पदार्थ। ~मृग (पु०) ऐसा संदेश हरिण जिसके नाभि के पास की थैली में कस्तूरी पाई जाए कहीं-(क्रि० वि०) 1 किसी जगह 2 दूसरी जगह। ~का क्रस्द-अ० (पु०) 1 इरादा 2 संकल्प 3 इच्छा
1किसी जगह का 2 न जाने कहाँ का कस्बा -अ० (पु०) = क़सबा
काइयाँ-(वि०) 1 चालाक 2 धूर्त क्रस्मिया-अ० (क्रि० वि०) शपशपूर्वक
काँकरी-(स्त्री०) छोटा कंकड़ कस्साब-अ० (पु०) कसाई। खाना + फ़ा० बूचड़खाना का-का-(पु०) 1कौए के बोलने का शब्द 2 शोरगुल कस्साबी-अन1 + फ़ा० (स्त्री०) कसाई का काम
3 निरर्थक वार्तालाप कस्सी-(स्त्री०) 1 ज़मीन नापने की रस्सी 2 ज़मीन की नाप कांक्षनीय-सं० (वि०) चाहने योग्य कहकहा-अ० (स्त्री०) खिलखिलाकर हँसना, अट्टहास । कांक्षा-सं० (स्त्री०) इच्छा, चाह, आकांक्षा दीवार (स्त्री०) चीन की प्रसिद्ध दीवार
कांक्षित-सं० (वि०) चाहा हुआ, इच्छित कहगिल-(स्त्री०) मिट्टी में घास-भूसा मिलाकर बनाया गया कांक्षी-सं० (वि०) इच्छा करनेवाला, इच्छुक गारा
काँख-(स्त्री०) बाहमूल के नीचे का गड्ढा, बग़ल कहत-अ० (पु०) अकाल, दुर्मिक्ष। - जदा + फा० (वि०) कांखना-(अ० क्रि०) 1 ज़ोर से दबने से आह ध्वनि निकलना
अकाल पीड़ित; ~साली + फ़ा० (स्त्री०) दुर्भिक्ष, अकाल 2 कठिन परिश्रम का काम करते समय उक्त ध्वनि का प्रस्फुटन के दिन
काँखासोती-(स्त्री०) जनेऊ की कंधे पर दुपट्टा रखने का एक कहन-(पु०) 1कथन 2 वचन 3 कहावत
तरीका कहना-I (स० क्रि०) 1 उच्चारण करना, बोलना काँगड़ी-(स्त्री०) दस्तेदार कश्मीरी अँगीठी
(जैसे-राम राम कहना) 2 भाव व्यक्त करना । (जैसे-उपदेश कांग्रेस-अं० (स्त्री०) 1 विचार-विमर्श करनेवाली महासभा । कहना, संदेश कहना) 3 आज्ञा देना (जैसे-नौकर से काम 2 भारतवर्ष की राष्ट्रय महासभा जन + सं० (पु०) कांग्रेस करने को कहना) 4 बयान करना (जैसे-कहानी कहना) से कार्यकर्ता; दल + सं० (पु०) = कांग्रेस; पक्षी + 5 बहकाना (जैसे-कहने में आना) II (पु०) 1 कथन (सं० (वि०) कांग्रेस की तरफ़ का; ~मैन (पु०) = कांग्रेस 2 आदेश, आज्ञा (जैसे-कहना मानना) बदना (स० कर्मी ~वादी + सं० (वि०) कांग्रेस के नियम एवं सिद्धातों क्रि०) 1 प्रतिज्ञा करना 2 निश्चय करना; ~सुनना (स० को माननेवाला; ~शासन + सं० (पु०) कांग्रेस पार्टी की क्रि०) बातचीत करना, वार्तालाप करना; ~सुनाना (स० सरकार क्रि०) आज्ञा सुनाना
कांग्रेसाध्यक्ष-अं० + सं० (१०) कांग्रेस के सभापति कहनावत-(स्त्री०) 1कहावत 2 कथन
कांग्रसी-अं० + हिं० (वि०) = 1 कांग्रसवादी 2 कांग्रेसकर्मी कहनी, कहनूत- बो० (स्त्री०) = कहनावत
कांच-I (पु०) शीशा (जैसे-काँच उद्योग) II (स्त्री०) 1 गुदा क़हर-अं० (पु०) 1संकट, आपत्ति 2 गुस्सा, क्रोध का भीतरी भाग 2 काछ। निकलना 1 गुदा चक्र का बाहर 3 अत्याचार। ~करना अत्याचार करना, अनर्थ करना; निकल आना 2 कष्ट होना
टूटना भीषण संकट आना; ~ढाना, तोड़ना गुस्से में कांचन-सं० I (पु०) 1 सोना 2 चमक 3 धतूरा II (वि०) किसी के प्रति कुछ भयानक कर बैठना जिससे वह बहुत बड़े 1 उत्तम 2 सुनहरा संकट में फँस जाए
कांचनी-सं० (स्त्री०) 1 गोरोचन 2 हल्दी कहल-बो० (पु०) 1 अत्यधिक गरमी, उमस 2 कष्ट 3 संताप कांची-सं० (स्त्री०) 1 करधनी 2 मेखला 3 घुघची कहलवाना, कहलाना-I(स० क्रि०) । संदेश भेजना काँचू-I (वि०) जो काँच की तरह भंगुर हो II (वि०) 1 जिसे 2 उच्चारण कराना II (अ० क्रि०) पुकारा जाना
काँच का रोग हो 2 कच्चा 3 कायर कहवा-अ० (पु०) एक पेड़ का बीज जिसे भूनकर दूध, काँछना-I (स० क्रि०) = काछना II (स० क्रि०) 1 सँवारना शक्कर मिलाकर पेय पदार्थ बनाया जाता है, चाय-काफ़ी। 2 पहनना खाना + फ़ा० कहवे की दुकान
काँजी-(स्त्री०) 1 सिरका में नमक, राई आदि के मिश्रण से कहाँ-(क्रि० वि०) किस जगह (जैसे-आप कहाँ गए थे) तैयार खट्टा पेय पदार्थ 2 मट्ठा, दही का पानी 3 फटा हुआ
~का 1 कैसा 2 कैसा बड़ा 3 व्यर्थ का: ~का कहाँ कहां से कहां; ~की बात कैसी अनहोनी बात
काँजी-हाउस-अं० (पु०) मवेशीखाना कहा-(पु०) 1कहना 2 आदेश 3 सलाह। ~कही । काँटा-(पु०) 1 पेड़ पौधों की टहनियों में सई के आकार की (स्त्री०) उत्तर-प्रत्युत्तर II (अ० क्रि०) कहना-सुनना। वस्तु 2 लोहे की कँटिया 3 कुएँ से गिरी बाल्टी निकालने के
~सुना (पु०); ~सुनी (स्त्री०) असंगत व्यवहार प्रयोग में आनेवाला अँकुसों का समूह 4 तराजू की डाँडो में कहाना-(अ० क्रि०/स० क्रि०) = कहलाना
बिल्कुल मध्य बिंदु पर लगी सुई। चूहा (पु०) ऐसा कहानी-(स्त्री०) 1 मनगढंत बात 2 कथा। ~कार + सं०; जानवर जिसकी पीठ पर छोटे -छोटे काँटे जमे होते हैं, साही;
लेखक + सं० (पु०) कहानी लिखनेदाला; ~संग्रह + निकालना 1 मन का दुःख दूर होना 2 बाधा दूर हो सं० (पु०) कथा-संकलन
जाना; होना 1 अत्यधिक दुर्बल होना 2 बाधा पहुँचाना; कहार-(प०) डोली ढोने और पानी भरने का काम करनेवाला । काँटे की तौल सही तौल; काँटे पड़ना प्यास से गला सूखना;