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साकत)
ऊपरी
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ऋग्वेदी से; होना 1 बड़ा होना 2 प्रधान होना
उध्योग-सं० 1 ऊपरी भाग 2 शरीर के ऊपर का अंग, सिर ऊपरी-(वि०) 1ऊपर का (जैसे-बादाम का ऊपरी छिलका, ऊर्ध्वाधर-सं० (ऊंचाई में) सीधा, खड़ा मकान का ऊपरी हिस्सा) 2 बाहरी, (जैसे- ऊपरी आदमी) उर्ध्वायन-सं० (पु०) स्वर्ग का मार्ग 3 अतिरिक्त (जैसे-ऊपरी आमदनी) 4 दिखावटी (जैसे- ऊर्धारोहण-सं० (पु०) 1ऊपर चढ़ना 2 मृत्यु ऊपरी शान-शौकत)
ऊध्वोन्मुख-सं० (वि०) 1ऊपर खुला हुआ 2 ऊपर उठा हुआ ऊब-(स्त्री०) 1 बेचैनी, विकलता 2 नीरसता, अरुचि ऊर्मि-सं० (स्त्री०) 1 छोटी लहर 2 प्रवाह, बहाव 3 वेग ऊबड़, ऊबड़-खाबड़-(वि०) 1ऊँचा-नीचा 2 टेढ़ा मेढा ऊर्मिका-सं० (स्त्री०) 1 तरंग 2 अँगूठी 3 असमतल
उर्मिमान, ऊर्मिल-सं० (वि०) लहरों से युक्त ऊबना-(अ० क्रि०) उकता जाना, जी भरना
ऊर्विका-सं० (स्त्री०) जाँघ की हड्डी ऊभ-चूभ-(स्त्री०) 1 डूबना उतराना 2 आशा और निराशा की ऊलजलूल-(वि०) 1ऊटपटांग, अंड बंड 2 विसंगत अवस्था
3 बेवकूफ, अशिष्ट । ~पना (पु०) अशिष्टता, बेवकूफ़ी ऊभा साँसी-(स्त्री०) 1 दम घुटना 2 घबराहट, विकलता | ऊषा-सं० (स्त्री०) 1 एक दिन चढ़ाने से पहले का वह समय ऊमस-(स्त्री०) हवा न चलने से होनेवाली भीषण गरमी जब अँधेरा रहने पर भी सूर्य की लाली दिखाई देती है, प्रभात ऊरु-सं० (पु०) जांघ रान | ~संधि (स्त्री०) जांघ का जोड़; 2 अरुणिमा। -काल (पु०) प्रातःकाल, सवेरा ~स्तंभ (पु०) जांघ अकड़ जाने का रोग
ऊष्म-सं० (पु०) 1 गरमी 2 ताप 3 संघषी ध्वनि श, ष, स, ह ऊर्ज-[सं० (वि०) 1 शक्तिशाली 2 बल देनेवाला II (पु०) ऊष्मण-(पु०) गरम करना 1 बल 2 वीर्य 3 उत्साह 4 बिजली की शक्ति । ~मान ऊष्म वर्ण-सं० (पु०) व्या० उच्चारण के विचार से श, ष, स (पु०) बिजली की गति प्रदान करनेवाली शक्ति जो ऊर्ज के | और ह अक्षर मान से नापी जाती है।
ऊष्मांक-सं० (पु०) ताप की इकाई, कैलौरी। ऊर्जन-सं० (पु०) 1ऊर्जा उत्पन्न करना 2 भड़काना, उत्तेजित ऊष्मा-सं० (स्त्री०) 1 गरमी, ताप 2 ग्रीष्म ऋतु। ~गतिकी करना
(स्त्री०) ऊष्मा और उससे सबंद्ध ऊर्जाओं की गतियों और ऊर्जमान-सं० (पु०) ऊर्जा नापने का मानक, वोल्टेज परिवर्तनों का अध्ययन ऊर्जमेघ-सं० (वि०) अत्यंत प्रतिभाशाली
ऊसर-I (पु०) अनुपजाऊ भूमि, बंजर II (वि०) जिसमें कुछ ऊर्जस्वल-सं० (वि०) = 1 ऊर्ज 2 ऊर्जस्वी
उत्पन्न न हो ऊर्जस्वित-सं० (वि०) ऊर्जा से युक्त
ऊह-(अ०) कष्ट एवं पीड़ासूचक ध्वनि, ओह ऊर्जस्वी-सं० (वि०) 1 तेजस्वी और बलवान् 2 प्रतापी | ऊह-सं० (पु०) 1 परिवर्तन 2 सुधार 3 तर्क-विर्तक 4 परीक्षण ऊर्जा-सं० (स्त्री०) 1 शक्ति, बल 2 काम करने में व्यय ऊहन-सं० (पु०) 1 तर्क-वितर्क करना 2 बदलना 3 सुधार
होनेवाली शक्ति। स्त्रोत (पु०) शक्ति का कारण-साधन करना ऊर्ण-सं० (पु०) 1ऊन 2 ऊनी वस्त्र । नाभ (पु०) मकड़ा ऊहा-सं० (स्त्री०) 1 अनुमान, कल्पना 2 तर्क-वितर्क, विचार ऊर्णा-सं० (स्त्री०) 1ऊन 2 भौंहों के मध्य की भौंरी ___ 3 बुद्धि, समझ ऊर्णाजिन-सं० (पु०) ऊनवाला चमड़ा, फ़र
ऊहात्मक-(वि०) 1विचारात्मक 2 काल्पनिक ऊर्ध-(वि०) = ऊर्ध्व
ऊहापोह-सं० (पु०) अनिश्चय की स्थिति में मन में उत्पन्न ऊर्ध्व-I सं० (वि०) 1 ऊपर की ओर गया हआ, उदग्र 2 ऊँचा | होनेवाला तर्क-वितर्क, विचार-द्वंद्ध . 3खड़ा (जैसे-ऊर्ध्व तल, ऊर्ध्व बाँस) II (क्रि० वि०)ऊपर ऊय-सं० (वि०) तर्क-वितर्क योग्य, ऊहनीय की ओर, ऊपर |~गति I (स्त्री०) 1ऊपर की ओर जाना 2 मुक्ति, मोक्ष II (वि०) जिसकी गति ऊपर की ओर हो; ~गमन (पु०) = ऊवारोह; ~गामी (वि०) 1ऊपर की ओर जानेवाला 2 ऊपर गया हुआ; दृष्टि, नेत्र (वि०) 1ऊपर की ओर देखनेवाला 2 महत्त्वाकांक्षी; देह (स्त्री०) सूक्ष्म शरीर; बार (पु०) ब्रह्मरंध; पुंड्र-(पु०) खड़ा तिलक; ~मंडल (पु०) वायुमंडल का ऊपरी भाग; ~मुख (वि०)जिसका मुख ऊपर की ओर हो; रेता I (वि०) I | ऋक्-(स्त्री०) 1 ऋचा 2 स्तुति, पूजा। संहिता (स्त्री०) वीर्यपात न होने देनेवाला, पूर्ण ब्रह्मचारी II (पु०) संन्यासी%B | ऋग्वेद
लोक (पु०) 1आकाश 2 स्वर्ग; ~वायु (स्त्री०) ऋकार-सं० (पु०) = ऋ स्वर और उसकी ध्वनि .. डकार; बिंदु (पु०) सिर के ऊपर का सबसे ऊंचा स्थान, ऋक्थ -सं० (पु०) 1 धन-संपत्ति, पूँजी 2 उत्तराधिकार में शीर्ष बिंदु: श्वास (पु०) 1 ऊपर की ओर जाने वाली साँस | मिलनेवाली जायदाद, दायधन । ~भागी (पु०) 2 मरने के समय साँस की वह गति जो अधिकतर ऊपर हो उत्तराधिकारी, वारिस जाती है
ऋक्ष-सं० (पु०) 1 भालू, रीछ 2 तारा, नक्षत्र 3 राशि उबंग-सं० (वि०) 1ऊपर की ओर जानेवाला 2 जो ऊपर की | ऋग्वेद-सं० (पु०) चारों वेदों में से एक और पहला वेद ओर गया हो 3 सीधा, खड़ा
ऋग्वेदी-सं० (वि०) 1ऋग्वेद का ज्ञाता 2 जिसके संस्कार
ऋ
नयम (वि०) 1 ऊपर की ओर जानेवाला 2 जो ऊपर की जावेदक चारों वेदों में से एक और पहला वेद