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ओढ़
ऐश-[अ० (पु०) 1 भोग-विलास 2 सुख चैन II (वि०) | (जैसे-ऊधो) ईश्वर से संबंध रखनेवाला, ईश्वरीय। -परस्त फ़ा० सं० | ओखद-(पु०) औषधि । (वि०) विलासप्रिय, भोगी; परस्ती -फ़ा० (स्त्री०) | ओखरी, ओखली (स्त्री०) अनादि कूटने का पत्थर या काठ विलासप्रियता; पसंद +फ़ा० (वि०) विलासी का बना पात्र । ~में सिर डालना जान बूझकर संकट मोल ऐशान-सं० (वि०) ईशानकोण संबंधी
लेना; ~में सिर दिया तब मसलों को क्या गिनना ऐशिक-सं० (वि०) 1 ईश्वर का 2 दैवी
ओखा-1 (वि०) 1 साधारण, हल्का 2 कठिन 3 मिलावटवाला ऐशो-आराम-अ० +फा० (पु०) सुख-चैन, मौज मस्ती, 4 झीना 5 रुखा-सूखा II (पु०) बहाना भोग-विलास, ऐश्वर्य
ओगारना-(स० क्रि०) 1 टपकाना 2 निकालना (जैसे-जल ऐश-ट्रे-अं० (स्त्री०) राखदानी
__ ओगारना) 3 गंदगी निकालकर सफाई करना ऐश्य-सं० (पु०) 1 ईशत्व 2 प्रभुत्व 3 शक्ति
ओघ-सं० (पु०) 1 ढेर, समूह 2 बाढ़ 3 घनता ऐश्वर्य-सं० (पु०) 1 ईश्वरता 2 आधिपत्य 3 धन-संपत्ति, ओछा-(वि०) 1 तुच्छ 2 छिछोरा 3 खोटा 4 अशिष्ट 5 हल्का। वैभव 4 सर्व शक्तिमत्ता । ~प्रेम (पु०) ईश्वरीय प्रेम; पन (पु०) 1 छिछोरापन 2 हल्कापन 3 अशिष्टता प्रेमी, लोलुप (वि०) धन संपत्ति एवं वैभव का इच्छुक | ओछाई-(स्त्री०) = ओछापन वान्, ~शाली (वि०) वैभवशाली, संपन्न
ओज-सं० (पु०) (साहि०) 1 साहित्य में शैली आदि की ऐसा-(वि०) इस तरह का । -तैसा, वैसा (वि०) विशेषता जिससे मन में आवेश एवं साहस का संचार होने लगे 1साधारण 2 तुच्छ, नाचीज़ । ऐसी-तैसी गाली; ऐसी की 2 उजाला, प्रकाश 3 बल, शक्ति 4 तेज। पूर्ण तैसी में जाय चूल्हे, भाड़ में जाय।
(वि०)-ओजस्वी ऐसे (क्रि० वि०) इस प्रकार से, इस ढंग से
ओजना-(स० क्रि०) 1 धारण करना 2 सहना ऐलौकिक, ऐहिक-सं० (वि०) सांसारिक, दुनियावी ओजस्विता-सं० (स्त्री०) ओज, तेज, बलवत्ता ऐहिकीकरण-सं० (पु०) सांसारिक बनाना
ओजस्विनी, ओजस्वी-सं० (वि०) 1 शक्तिशाली ऐहिकतापरक-सं० (वि०) सांसारिक बातों से संबद्ध 2 प्रभावशाली 3 तेजपूर्ण 4 ओज से भरा हुआ
ओजिष्ठ-सं० (वि०) अत्यंत ओजयुक्त ओज़ोन-अं० (पु०) आक्सीजन गैस का एक प्रकार ओझ, ओझर-(पु०) 1 पेट 2 आमाशय ओझल-(वि०) 1 गायब हुआ 2 छिपा हुआ, लुका हुआ 3लुप्त ओझा-(पु०) भूत-प्रेत आदि का मंत्रोपचार द्वारा असर ख़त्म
करनेवाला व्यक्ति ओं-सं० (पु०) परब्रह्म का वाचक शब्द, ॐ
ओझाई-(स्त्री०) झाड़-फूंक की विद्या ~गीरी +फा० ओंकार-सं० (पु०) 'ओम्', ॐ । नाथ (पु०) एक | (स्त्री०) ओझा का काम शिवलिंग
| ओट-(स्त्री०) 1 आड़ (जैसे-परदे की ओट में) 2 रोक ओंगन-(पु०) गाड़ी की धुरी में दिया जानेवाला तेल 3 सहारा (जैसे-किसी की ओट) ओंगना-(स० क्रि०) गाड़ी की धुरी में तेल लगाना ओटन-(पु०) कपास ओटनेवाली चरखी का डंडा ऑटना- (स० क्रि०) = ओटना
ओटना-I (स० क्रि०) 1 कपास को ओटनी से इस रूप में ओंठ-(पु०) होंठ । 'काटना, चबाना अत्यधिक क्रुद्ध अलग करना कि बिनौले निकल आएं 2 अपनी बात दोहराते होने पर भी प्रतिकार भाव को रोक लेना; चाटना ललचाना; | जाना II(अ० क्रि०) छिपना .
चूसना चुंबन लेना; ~तक न हिलना कुछ न कहना; ओटनी-(स्त्री०) वह चरखी जिससे कपास के बिनौले अलग -फड़कना क्रोध के आवेश में ओंठ कांपना ओंठों में | किए जाते हैं कहना बहत धीमे स्वर में कहना; ~बिचकाना घृणा प्रकट ओटा-(प०) 1 ओट के लिए बनाई गई दीवार 2 आड़ करना; पर लाना मन की बातें कहना; ~सी लेना चुप | 3सुनारों का एक औज़ार 4 कपास ओटनेवाला रहना; ~ओंठों में मुस्कराना मंद-मंद हँसना
ओठंगना-(अ० क्रि०) 1 सहारा लेकर बैठना 2 आराम करने ओ-(अ०) हे, ऐ, अरे आदि संबोधन सूचक शब्द के लिए लेटना ओक-I (पु०) अंजलि II (स्त्री०) मतली, उल्टी, कै ओठ-(पु०) ओष्ठ, होंठ ओक-सं० (पु०) 1 निवास स्थान 2 घर, मकान 3 ठिकाना, | ओड़-गधे बैल आदि पर बोझ ढोनेवाला आश्रय
ओड़न-(पु०) गधों, बैलों आदि पर माल ढोने का काम ओकना-(अ० क्रि०) 1 कै करना 2 भैंस की तरह चिल्लाना ओड़ना-I (स० क्रि०) 1 आघात रोकने के लिए आड़ करना ओक पति-सं० (पु०) 1 सूर्य 2 चंद्रमा
2 भार ढोना 3 सहना II (अ० क्रि०) हाथ पसारना ओकाई-(स्त्री०) 1 उल्टी 2 मतली
ओड़ा-(पु०) | 1 गड्ढा 2 सेंध 3 बड़ा टोकरा, खाँचा || ओकार-सं० (पु०) 'ओ' स्वर की ध्वनि
। 1कमी, न्यूनता 2 अकाल ओकारांत-सं० (वि०) जिसके अंत में ओ की मात्रा हो | ओढ़-सं० (वि०) पास लाया हुआ
ओ
ए जात है