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विषय इक्षुरस आदि से क्षुधा शान्त करने का उपदेश, कर्मभूमि का आविर्भाव मिट्टी के बर्तन बनाकर उनसे कार्य सिद्ध करना आदि का वर्णन
कुलकरों की विशेषता तथा भगवान् वृषभदेव और भरत चक्रवर्ती भी कुलकर कहे जाते हैं इसका उल्लेख
६३-६४
कुलकरों के समय प्रचलित दण्डव्यवस्था का वर्णन
कुलकरों की आयु वर्णन में आये हुए पूर्वांग पूर्व आदि की संख्याओं का वर्णन
कुलकरों की नामावलि
कुलकरों के कार्यों का संकलन
उपसंहार
मादिपुराण
पृष्ठ
चतुर्य पर्व
पूर्वोक्त तीन पर्वों के अध्ययन का फल वृषभचरित के कहने की प्रतिज्ञा पुराणों के वर्णनीय आठ विषय और उनका स्वरूप
૬૪
६५-६६
६६
६६-६७
६७
६५
अतिबल विद्याधर का वर्णन
अतिबल की मनोहरा राशी का वर्णन अतिबल और मनोहरा के महाबल नाम के पुत्र की उत्पत्ति
६८
६८
६८
वर्णनीय आठ विषयों में से सर्वप्रथम लोकाख्यान का वर्णन, जिसमें ईश्वर-सृष्टि कर्तृत्व का निरसन कर लोक के अनादिनिधन - अकृत्रिमपने की सिद्धि लोक के तीन भेद और उनके आकार मध्यमलोक तथा जम्बूद्वीप का वर्णन विदेहक्षेत्र के अन्तर्गत 'गन्धिला' देश का वर्णन ७४-७७ गन्धिला देश में विजयार्ध पर्वत का वर्णन ७७-८० विजयार्धगिरि की उत्तर श्रेणी में अलका
नगरी का वर्णन
६८-७२
७२-७३
७३
८०-८२
८२-८३
८३
८३-८४
विषय
अतिबल राजा का वैराग्यचिन्तन और दीक्षा
८४-८६
ग्रहण महाबल का राज्याभिषेक आदि का वर्णन ८६-८ महाबल के महामति, संभिन्नमति, शतमति
और स्वयं बुद्ध इन चार मन्त्रियों का वर्णन उक्त मन्त्रियों पर राज्यभार समर्पित कर राजा का भोगोपभोग करना
८६-६०
पंचम पर्व
महाबल विद्याधर के जन्मोत्सव में स्वयं बुद्ध मन्त्री के द्वारा धर्म के फल का वर्णन
पृष्ठ
महामति नामक द्वितीय मन्त्री के द्वारा चैतन्यवाद का निरूपण
१-६२
६३-६४ संभिन्नमति के द्वारा विज्ञानवाद का स्थापन ε४-६५ शतमति मन्त्री के द्वारा नैरात्म्यवाद का समर्थन
६५
उक्त तीनों मिथ्यावादों का स्वयंबुद्ध मन्त्री के द्वारा दार्शनिक पद्धति से सयुक्तिक खण्डन और सभा में आस्तिक्य भाव की बुद्धि ९५-१०१ स्वयं बुद्ध मंत्री के द्वारा कही गयी क्रमशः रौद्र, आर्त, धर्म और शुक्ल ध्यान के फल को बतलाने तथा जीव द्रव्य के स्वतन्त्र शाश्वत अस्तित्व को सिद्ध करने वाली चार कथाएँ और अरविन्द राजा की कथा
१०१-१०४
दण्ड विद्याधर की कथा
१०४-१०५
शतबल की कथा
१०५-१०६
सहस्रबल की कथा
१०६-१०७
राजा महाबल के द्वारा स्वयंबुद्ध का अभिनन्दन १०७ स्वयंबुद्ध मन्त्री का अकृत्रिम चैत्यालयों के वन्दनार्थ सुमेर पर्वत पर जाना
सुमेरु पर्वत का वर्णन
स्वयंबुद्ध मन्त्री का अकृत्रिम सौमनस वन के चैत्यालय में चारणऋद्धिधारी मुनियों से अपने स्वामी महाबल के भव्यत्व या. अभव्यत्व के सम्बन्ध में पूछना
१०७
१०७-११०
१११