Book Title: Adi Puran Part 1
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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आदिपुराणम्
इन्द्रस्तम्बरम- इन्द्रका हाथी । उपशीर्षकयष्टि-जिसके बीच में । ऐरावत २२।३२-५२
क्रम-क्रमसे बढ़ते हुए तीन कणय-एक हथियारका नाम इषुधि-तरकश ६।६५
मोती हों ऐसी एक लड़ो. जिससे लकड़ी छीली जाती इष्टि-पूजा १३।२०२
वालो माला १६१५२
है १५।२०५ उपहर-एकान्त स्थान १०।४८
कण्ठीरव-सिंह १८।१७९. ईडा-स्तुति ३१७३
उपधि-परिग्रह ५।२३२ - कण्ठ्य-कण्ठस्थानसे उच्चारित ईडा-स्तुति २४।४६ उपायन-भेंट-उपहार ५।११
१६।३८ . ईडिरिषन्-स्तुति करनेकी इच्छा उपालम्भ-दोष देना ९।५० ।
कद्वद-कुवचन बोलनेवाले, करता हुआ २३।१२१ उपोद्घात-प्रस्तावना २०१
कुत्सितं वदन्तीति कदाः ईति-अतिवृष्टि, अनावृष्टि, उरसिल-चौड़े वक्षस्थल वाला
१०।१०४ मूषक, शलभ, शुक और
३।१६१
कनकराजीव-स्वर्णकमल निकटवर्ती राजा। ये छह
१०११३७ । उस-किरण १५।१७९ . ईतियां कहलाती है ४.८०
कपिशीर्ष-कोटका अग्रभाग । इशिता-भगवान आदिनाथ
१९।६१ ऊर्ध्वकाय-ऊंचा शरीर १५।१९९ १६।१२७
कपोलान्दक-गालरूपी दर्पण
१०१२०७ उक्ता-छन्दोंकी एक जाति एकचर्या-एक विहार, अकेले करक-झारी ७।२४६
करक-प्रोला १३।१६१
विहार करना १११६६ १६।११३ उडुप-चन्द्रमा १९३१००
एकद्वित्रिलघुक्रिया-छन्दशास्त्र- करज-नख १९।१३२ उक्षन्-बल १।२९
का एक प्रकरण-प्रत्यय
करट-हाथीका गण्डस्थल ७।३०४ उश-बैल २२।२३३
करण-इन्द्रिय अथवा शरीर २।९१ उत्कर-सूड़ ऊपर उठाये हुए एकाध्य-एकपना ४११८८
करण-करन्यास - नुत्यकालमें
हाथोंका चलाना १३३१७९ एकावली-यष्टि नामक हारका १३।२४ उत्प्रोथ-जिसकी नाक ऊपरको भेद, एक लड़की माला
करणग्राम-इन्द्रियसमूह ४।६६ उठी हुई है १०७२
जिसके बीच में एक बड़ा
कर्णजपत्व-चुगली १२०४८ उदन्या-प्यास ११११६८
मणि लगता है १६५०
कापत्र-करोंत १०१०१ उद्गम-पुष्प १५।४९
करसंवाधा-टेक्सकी पीड़ा २०१६ एनस-पाप २।२३ उद-प्रशस्त-श्रेष्ठ १०।१७६
कलकण्ठी-कोकिला १८११७९ उहाह-विवाह १७७८०
कलन-नितम्ब १२।२८ ऐरावती-ऐरावत हाथीसम्बन्धी उद्विक्त-जीव उदयसे युक्त
कलम्बित-मिश्रित २२१८७
१४।१३९ १०१११२
कहाधर-चन्द्रमा ३१४९
श्रो उद्बोधनालिका-प्रज्वलित करने
कल्यदेहरव-नीरोग ९५८३ वाली नली ऐसी नली भोकम-स्थान ३७५
कल्याणी-पुण्यशालिनी ६।१४१ जिससे सुनार लोग अग्निको
कशिपु-भोजन वस्त्र १८०२५ फूंकते हैं १५।१९. औदय-उदयाचलसम्बन्धी
काचवाहजन-कांवरको उठानेउपन-आश्रय ६१६९
१३॥३९
वाले ८।१२१ उपनता-उपस्थित १७२६९ भौरभ-उरभ्र, मेढासम्बन्धी
काशीयष्टि-मेखला २२।२०६ उपमा-एक अलंकार १६:११५ १०१६४
कादम्बिक-हलवाई ८।२३४ उपशीर्षक-यष्टि नामक हारका औषस-प्रातःकालसम्बन्धी
कान्ताधर-सुन्दर ओठोंसे युक्त एक भेद १६४७ १९९९
१०।१२८
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