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विशिष्ट शब्दसूची
आप्तपाश-प्राप्ताभास कृत्सिताः
आप्नपाशः याप्ये पाशप १७२ आप्यायन-सन्तोपकारक २०१२४ ग्रामिगामिक-सवके अनुकूल
१५।१६९ यामुत्रिक-पारलौकिक १७१२१६ आयुर्वेद-वैद्यविद्या १६।१२३ श्रायुप्य-आयुवर्धक १।२०५ श्राराम-उद्यान ४।५९ आराम-शरोगदि पर्याय १४।३९ आशा-दिशा ६।२८८ आशुशुक्षणि-अग्नि २५।२१४ श्राहार्य-आभूषण २२।६२
अमिरूप-मनोज्ञ ७।२०८ अवघाटक-यष्टि नामक हारका अमिष्टव-नाम ११३८
एक भेद १६।४७ अमिसिसीर्षा-अभिसार-संभोगके अवधीक्षण-अवधिज्ञानी ५११९९
लिए गमनकी इच्छा अवनिप-राजा १७।२५२ १०१४८
अवपात-गत ११३१९८ अभुत्-अज्ञानी ७१७८
अवभृथ (मजन)-कार्यके अन्त में अभ्यस्त-गुणित १०।१५५
होनेवाला स्नान १३।२०० अभ्युदय-स्वर्गादिका वैभव अवलग्न-मध्य भाग, कमर ५।२०
१२।३५ श्रमा-साथ २।१६१
प्रवावा (अवावन्)-दूर करनेअमा-साथ ८।२५५
वाला, ओण अपनयने अमेध्यादन - विष्ठाका भक्षण
इत्यस्माद् धातोर्वनिप्प्रत्ययः १११९८१
१५।१४९ अमृतपद-मोक्ष १११५९
प्रवृजिन-निष्पाप ५।२९५ अम्भोजवासिनी-लक्ष्मी १०॥१३१
अशनाया-भूख ३।१९१
अशोकमहाधिप-अशोक वृक्षप्रयुक्छद-सप्तपर्ण ९४२
नामका प्रातिहार्य जिस वृक्षअयुत-दस हजार १११८९
के नीचे भगवान्को केवल श्रर्चा-प्रतिमा ११११३६
ज्ञान होता है वह वृक्ष समअर्चि-ज्वाला २।९
वसरणमें अशोक वृक्ष कहअरण्यचरक - म्लेच्छोंकी एक
लाता है, २४|४७ जाति जो अधिकतर जंगलों
अश्वतरी-खच्चरी ८।१२० में घूमती है १६।१६१
असिधेनुका-छुरी ५।११३ अर्धमाणव-जिसमें दस लड़ियाँ
अस्पृश्यकार-प्रजाके बाह्य रहने. हों ऐसा हार १६०६१
.. वाले चाण्डाल आदि अर्धगुच्छ-जिसमें चौबीस लड़ियां
१६३१८६ हों ऐसा हार १६६१
भस्वन्त-जिनका अन्त अच्छा अर्धहार-जिसमें चौंसठ लड़ियाँ
नहीं ९।३२ हो ऐसा हार १६५९
अहीन्द्र-धरणेन्द्र १८।१३६ अराल-कुटिल १८१९२ अरुष्करद्रव - भिलसाका तेल
श्रा
भाजुहूषु- बुलानेका इच्छुक अलीकविचक्षण-झूठा बोलने में
१४।५८ चतुर ७।११२
भाम्जस-वास्तविक ११२०४ अवघाटकयष्टि-जिसके बीच में
पातोच-वादित्र ३१३५ एक बड़ा और उसके आजू- आत्मनीन-आत्मने हितम आत्मबाजूमें क्रमसे घटते हुए नीनम् १९।१८९ छोटे मोती लगे हों ऐसी मात्रिक-इस लोकसम्बन्धी एक लड़वाली माला १७२१६ १६५३
| आधि-मानसिक व्यथा ६५२
इक्षुधन्वा-कामदेव १६।२६ इङ्गितकोविदा-चेष्टाओंके जानने
में निपुण ६।९८ इज्या-पूजा २४।१० इन-स्वामी २३।१८० इन्द्र-देवराज २२०२२ इन्द्रकोश-त्रुरज १९६६५ इन्द्रगोप-वरसातमें निकलनेवाला
लाल रंगका एक कीड़ा
बीरबहूटी ९।१४ इन्द्रच्छन्द-हारविशेष १५।१६ इन्द्रच्छन्द-जिसमें १०००
लड़ियां हों ऐसा हार । यह हार सबसे उत्कृष्ट हार है इसे इन्द्र, चक्रवर्ती तथा
तीर्थकर पहिनते हैं १६५६ इन्द्रच्छन्दमाणव-इन्द्रच्छन्द हार.
के बीच में एक मणि लगा
देने पर इन्द्रच्छन्दमाणव .. कहलाता है १६।६२ इन्द्रमह-कातिकका महीना
११।१७८ इन्द्र वृषभ-इन्द्र श्रेष्ठ २३११६३