Book Title: Adi Puran Part 1
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 781
________________ विशिष्ट शब्दसूची भ . . प्रस्तार-छन्दशास्त्रका एक प्रकरण-प्रत्यय १६।११४ भगण-नक्षत्रोंका समूह १३।१६५ प्रस्तुवाना-दूध देती हुई १८५८४ | मरघुव-कायर योद्धा ११३४ प्राज्या-श्रेष्ठा २४.१० भरतात्मज-भरत चक्रवर्तीका प्राबोधिक-जगाने कार्य में प्रथम पुत्र अर्ककोति १११४ ____ नियुक्त १२।१२१ भागवत-भगवान्सम्बन्धी प्रालम्ब-हारविशेष ७२३४ २०११६१ प्रालयाधु-चन्द्र १३॥१६५ भागीरथी-गंगा नदी १८।२०७ प्राव-वर्षाकालका ११०१६ मिस-मृणाल १३।१५३ माधु-ऊंचा ३७७ भीममोगी-भयंकर साप ५।२१० प्रीतिकर-प्रीति उत्पन्न करनेवाला भुजिया-बेटी ८११२३ १०१२ भूतवादी-पृथिव्यादि चार भूतोंके द्वारा जीवकी उत्पत्ति फलकहार-अर्घमाणव हारके ___माननेवाला चार्वाक ५।६६ । बीच में यदि मणि लगा हो भूतोपसह-जिसे प्रेतकी बाधा है तो उसे फलकहार कहते मोक्ता (मोक्त) - भगवानके १००८ नामोंमें एक नाम पठर-स्थूल २३१६३ २५।१०० बरजीव-अष्टकर्मसे युक्त संसारी जीव २।११८ मकराकर-समुद्र २।११६ . बन्ध-त्रात्मा और कोका नीर. मलाक-आठ मंगलद्रव्यक्षीरके समान एक क्षेत्राव. १छत्र २ ध्वज ३ कलश गाह होना २०११८ ४चामर ५ सुप्रतिष्ठक बलाहकाकार-मेषके आकार (ठौना) ६ भंगार (मारी) २२।१५ ७दर्पण गौर ८ तालपत्र बहुरूपक-अनेक भूमिकामोंसे युक्त १४॥१०४ मणिसोपान-जिसमें नीचे सोनेके ... बहुसेयान्-अत्यन्त कल्याणसे | पांच दाने लगे हों ऐसा युक्त २०१११७ -फलकहार १६६६६ प्रशोचा-ह-सर्वज्ञके द्वाराकही . मदनोस्कोपकारिन्-कामके उद्रेक. को करनेवाला १०।१४१ बीमातु-वृणित ११३३ मधुकृत्-मधुमक्खियाँ १०१३३ बुज-मूक २२।९८ मधुवंत-भ्रमर, पक्षमें मच पायो बुभुत्सा-जाननेकी इच्छा २।३० . २२।१२६ सुमुसु-बाननेका इच्छुक २०३० मध्येयवनिकम्-परवाके भीतर बोधि-रत्नत्रय १०६ मा-सूर्य १।२१० मनु-भगवान् आदिनाथ १५।१७० प्रध-सूर्य १८३१७८ मनु-भगवान् वृषभदेवका पुत्र ब्रह्मसूत्र-जनेऊ ३।२७ १५।१७० मन्द्र-गम्भीर ८१७५, मन्मनालपित-अव्यक्त-तोतली बोली १५।१६२ मन्वन्तर-एक कुलकरसे दूसरे कुलकरके होनेका मध्यवर्ती काल ३२७६ मरोमुजा:-बार-बार मार्जन करते हुए १८५८३ महद-देव २५।२३५ महमरीचिका-मृगतृष्णा ५।४८ मसण-स्निग्ध, चिकनी ११०२८ महत्तर-प्रधानपुरुष ५।११ महारिप-कल्पवृक्ष १६।१३७ महाप्रशसिविधा-विद्याधरोंको सिद्ध होनेवाली विद्याओंमें . से एक प्रमुख विद्या १९।१२ महाप्राब्राज्य-दैगम्बरी दीक्षा २४.१८२ महार्षक-महामूल्य १४१७८ महास्थपति-चक्रवर्तीका रल स्वरूप विश्वकर्मा ७।२१० माणव-जिसमें २० लड़ियां हों ऐसा हार १६१६१ माणवक-मालक ३२७ मातरिश्वा-बायु ५।९९ मासुकिन-विजौरा १७४२५२ मार्गदूब-१ शब्दालंकार . २ अर्थालंकार मातिक-अच्छी मिट्टीसे बने हुए १६।२२७ मित्रमण्डल-सूर्यबिम्ब १२।१३५ मुक्त-अष्टकर्मसे रहित शुद्ध जीव जिन्हें मोक्ष प्राप्त हो चुका होता है २।११८ मुनीनेन-मुनीन्द्र सूर्य, मुनि + ...इन+ इन १११७६ . . मुरज-मृदंगाकार शिखर १९१६१ मूबंज-बाल ६.३२ .

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