Book Title: Adi Puran Part 1
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 782
________________ 692 आदिपुराणम् मूषा-सांचा (धातुओंके गलानेका / रथकाया-रथसमूह 24.13 पात्र) 1043 रथा-गाडीका पहिया 5 / 127 प्रज-वजके समान सुदढ़ मुग-पशु 3 / 93 रश्मिकलाप-जिसमें 54 लड़ियाँ जांघोंवाले, पक्षमें भगवान् मृगयु-शिकारी 12202 हों ऐसा हार 16359 ऋषभदेवको पूर्वपर्यायका मेधाविनी-अत्यन्त बुद्धिमती रसातक-नरक 1027 नाम 14148 16.108 राजक-राजाबोंका समूह 19352 वननाभि-वनके समान स्थिर मैरवी-मेरुसम्बन्धी 13 / 209 राजत-बांधोके बने 22 / 210 नाभिसे युक्त, पक्षमें भगवान् मोच-कदली 17 / 252 राजवती-उत्तम सजासे युक्त ऋषभदेवको पूर्वमवपरम्परामौख-मुखसम्बन्धी 14 / 119 2016 का एक नाम 1450 राजन्वती-योग्य राजासे युक्त बनाकर-होरेको सान 192 यतिवर्या-मुनियोंके आहारको 480 वनी-इन्द्र 28 विधि 2012 राजम्बती-योग्य राजासे युक्त क्यस्या-तरुण अवस्थासे युक्त बवीयास-तरुण 185118. पृषिवो 1777 10 / 206 यशस्व-यशको बढ़ानेशला राजा-चन्द्रमा 5 / 204 वर्ण-जाह्मणादिवर्ण, पक्षमें अक्षर 1205 राम-बलभद्र 11170 24.186 यादस-जलजन्तु 14666 हिंसा-रमण-क्रीड़ाकी इच्छा | वर्षधर-पटकच्चुकी-अन्तःपुर के यामिनी-रात्रि 121147. 11 / 142 कर्मचारी 6 / 95 यायक-पूजा करनेवाले 24 / 28 / रूपक-नाटक 141104 वर्षदिदिन-जन्मोत्सवका दिन युग-जुआरी-(चार हाथ प्रमाण) रेस-भ्रमण, नृत्य करते-करते . 20166 फिरको लगाना 14 / 121 वर्षीयस-वृद्ध 18 / 118 बुग्यक-पालको 171100 रेधारा-धनको धारा 12288 वर्मन्-प्रमाण,वर्ष देहप्रमाणयोः' युतसिर-पृथसिद्ध 5 / 55 रैराट-कुबेर 237 इत्यमरः 3 / 14 योग-समाधिमरण 5142 रोदसी-आकाश और पृथिवीका वराकक:-दीनप्राणी-वैचारा योग- अप्राप्त प्राप्य वस्तुको 17135 प्राप्ति होना 163168 / अन्तराल 12288 वरारोहा-उत्तम स्त्री 1578 रौक्म-सुवर्णसम्बन्धी 22 / 90 योगबीज-ध्यामके निमित्त वसभूहि-अतिपाक 17 / 245 211221 . वरीवृद्धि-अतिछेदन 17 / 246 योगीन्द्र-राजा बजनाभिके पिता कबिता-सुन्दर वरोरवाले, बलिम-बलि-नामिके नीचे विद्य, बज्रसेन महाराज मुनि पक्षमें भगवान् ऋषभदेव मान रेखाओंसे युक्त 6 / 67 होनेपर योगीन्द्र कहलाये की एक देव-पर्यायका नाम वस्कमिका-प्रियदेवांगनाएं 11 / 49 14 // 48 ललिताक-सुन्दर शरीरका बस्फूर-सूखा मांस 1058 धारक.७५१४९ रजस्वला-परागसे सहित, पक्ष में वसुन्धरा-पृथिवी 6 / 28 कहितामचर-पहलेका ललितांग रजस्वलाए-मासिकधर्मसे 7.105 बंशोचित-बॉसके योग्य, पक्षमें युक्त स्त्रियाँ 22 // 126 लुब्धक-लेच्छोंकी एक जाति कुलके योग्य 14 // 119 रत्नसमुद्गक-रत्नोंका पिटारा 161161 वाग्मिन्-प्रशस्त वचन बोलने१७५२०५ लोकान्तिक-पाह्मस्वर्गमें रहनेवाले वाला 1244 रत्नावली-रत्नोंकी वह माला / देवोंकी. एक जाति 1750 वामग-व्याकरण, छन्द और जो सुवर्ण और मणियोंसे लोकायतिकी-चार्वाकमतसम्बन्धी अलंकारशास्त्रके समुदायको चित्रित होती है 1650 5 / 28 वाड्मय कहते हैं 17111 -

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