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पारिभाषिक शब्दसूची
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सुषमासुषमा- अबसपिणीका पहला काल
३।१७ सूक्ष्म-कामणस्कन्ध
२४॥१५० सूक्ष्म-अणु स्कन्धके भेदोंकी अपेक्षा व्यणुक
२४।१५० सूक्ष्मराग-दसा गुणस्थान
११।९. सूक्ष्मसूक्ष्म - अणुस्कन्धके भेदोंअपेक्षा व्यणुक
२४।१५० सूक्ष्मस्थूल-जो आँखोंसे न
दिखे पर अन्य इन्द्रियोंसे ग्रहणमें आवे जैसे शब्द स्पर्श, रस, गन्ध
२४।१५१ संकल्प-विषयोंमें तृष्णा बढ़ाने
वाली मनकी वृत्तिको संकल्प कहते हैं। इसीका दूसरा नाम दुष्प्रणिधान भी है।
२११२५ संग्रह-दस गांवोंके बीचका बड़ा गांव
१६१७६ संमिश्रोत - संभिन्नश्रोत ऋद्धि के धारक
२०६७
संवाह-जहां मस्तक पर्यन्त ऊंचे. । हो जाये और मिलनेपर ऊंचे धान्यके ढेर लगे हों
मिल जाये जैसे तेल पानी ऐमा ग्राम
आदि १६.१७३
२४ ।१५३ संवेग-सम्यग्दर्शनका एक गुण- स्थूल स्थूल-जो अलग करनेपर
धर्म और धर्मके फलमें अलग हो जाये और मिलानेउत्साह युक्त मनका होना पर न मिले जैसे पत्थर अथवा चतुर्गतिके दुःखोंसे आदि भयभीत रहना
२४।१५३ ९।१२३
स्थूल सूक्ष्म-जो आँखोंसे दिखे संवेदिनी-धर्मका फल वर्णन पर पकड़ने में न आवे जैसे करनेवाली कथा
चाँदनी आतप आदि १११३६
२४।१५२ संसारी जीवके २ भेद-१ भव्य
स्पर्श-सम्यग्दर्शनका पर्यायान्तर २ अभव्य
नाम २४४८८
९।१२३ सिहनिष्क्रीडित-एक प्रतका | स्वयंबुद्ध-बाह्य कारणोंके बिना नाम
स्वयं विरक्त होनेवाले मुनि ७।२३
२०६८ स्कन्ध-नूषणुकसे लेकर लोकरूप
स्वोदिष्टपरिवर्जन - उद्दिष्टत्याग महास्कन्ध तकका पुद्गल
नामक ग्यारहवीं प्रतिमा । प्रचल स्कन्ध कहलाता है
इसमें अपने उद्देश्यसे बनाये २४।१४७
हुए आहारका भी त्याग स्थविर कल्प-मुनिव्रतका पालन
हो जाता है करते हुए साथ-साथ विहार
१०११६० ... करना स्थविर कल्प है.
नगा-सब प्रकारकी मालाएं २०११७०
देनेवाला कल्पवृक्ष स्थूल-जो अलग करनेपर अलग
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