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विषयानुक्रमणिका विषय
पृष्ठ | विषय प्रथम पर्व
साधुओं द्वारा गौतम गणधर का स्तवन, मंगलाचरण
१-७ ।
ऋद्धियों का वर्णन और धर्मोपदेश के लिए
निवेदन प्रतिज्ञा
३३-३८ ग्रन्थकार का लाघवप्रदर्शन
गौतम गणधर का पुराणकथा के लिए उद्यत ७-६
होना । पुराण के परिणाम का वर्णन ३८-४२ पूर्व कवि संस्मरण
कालक्रम से पुराण को हीनता और अंगपूर्व. कवि और कविता
६.१३
धारियों का क्रमिक वर्णन । महापुराण के कवियों के स्वभाव की विचित्रता, सज्जन
अधिकारों का उल्लेख करते हुए कथोपघात - दुर्जन-वर्णन, १३-१४ का प्रदर्शन । अन्तमंगल
४२.४४ कवि, महाकवि, काव्य, महाकाव्य १५-१६
तृतीय पर्व महापुराण धर्मकथा है
१६-१८
महापुराण की पीठिका के व्याख्यान की प्रतिज्ञा ४५ कथा और कथांग
कालद्रव्य का वर्णन
४५-४६ कथा कहने वाले का लक्षण
१८-१६ उत्सपिणी-अवसर्पिणी के सुषमासुषमा आदि श्रोता का लक्षण, उसके भेद और गुण १६-२१ छह-छह भेद, उत्तम मध्यम-जघन्य भोगसत्कथा के सुनने का फल २१ भूमि का वर्णन
४६-५० कथावतार का सम्बन्ध
तृतीयकाल में जब पल्य का आठवाँ भाग कैलाश पर्वत पर भगवान् वृषभदेव से भरत
अवशिष्ट रहा तब से आकाश में सूर्यकी अपनी जिज्ञासा प्रकट करना २१-२४
चन्द्रमा का दर्शन होना
५०-५१ भगवान् आदिनाथ के द्वारा भरत के प्रश्नों प्रतिश्रुति आदि कुलकरों की उत्पत्ति तथा का समाधान
२५
उनके कार्य और आयु आदि का वर्णन ५१-६० आदिपुराण की ऐतिहासिकता, पुराणता
अन्तिम कुलकर नाभिराज के समय आकाश में आदि
घनघटा का दिखना, उससे जलवृष्टि होना पुराण प्रभुत्व और अन्तमंगल २६-२८
तथा नदी निर्झर आदि का प्रवाहित होना ६०.६१ द्वितीय पर्व
कल्पवृक्षों के नष्ट होने के बाद विविध धान्यों
का अपने-आप उत्पन्न होना, कल्पवृक्षों का मंगल और प्रतिज्ञा
२६
अभाव होने से लोगों का आजीविका के बिना राजा श्रेणिक का गौतम गणधर से स्तुति
दुःखी होना तथा नाभिराज के पास जाकर पूर्वक धर्मकथा कहने की प्रार्थना करना ३१ | निर्वाह के योग्य व्यवस्था का पूछना ६२-६३ अन्य साधुओं द्वारा मगधेश्वर के प्रश्न की नाभिराज कुलकर के द्वारा, बिना बोये
३१-३३ ' उत्पन्नास
उत्पन्न हुए धान्य से, वृक्षों के फलों से तथा
..२५-२६