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प्रस्तावना
संख्यातगुणित हैं। सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंसे असंयत सम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं और असंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंसे मिथ्यादृष्टि जीव अनन्त गुणित हैं। इस प्रकार गुणस्थानोंका यह अल्पबहुत्व दो दृष्टियोंसे बतलाया गया है- प्रवेशकी अपेक्षा और संचयकालकी अपेक्षा । जिन गुणस्थानोंका अन्तर नहीं होता, अर्थात् जो गुणस्थान संदा पाये जाते हैं, उनका अल्पबहुत्व संचयकालकी अपेक्षा बताया गया है । सदा पाये जानेवाले गुणस्थान छह हैं- पहला, चौथा, पांचवा, छठा, सातवां और तेरहवां । जिन गुणस्थानोंका अन्तरकाल सम्भव है, उनका अल्पबहुत्व प्रवेश और संचयकाल, इन दोनोंकी अपेक्षासे बतलाया गया है। जैसे अन्तरकाल पूरा होनेपर उपशम और क्षपक श्रेणीके गुणस्थानोंमें एक, दो से लगाकर अधिकसे अधिक ५४ और १०८ तक जीव एक समयमें प्रवेश कर सकते हैं। और निरन्तर आठ समयोंमें प्रवेश करनेपर उनके संचयका प्रमाण क्रमशः ३०४ और ६०८ तक एक एक गुणस्थानमें हो जाता है। यही क्रम चौदहवें गुणस्थानमें • भी जानना चाहिए । दूसरे और तीसरे गुणस्थानके प्रवेश और संचयका प्रमाण सूत्रकारने नहीं बतलाया है, उसे धवला टीकासे जानना चाहिए ।
इसके अतिरिक्त चतुर्थादि एक एक गुणस्थानमें सम्यक्त्वकी अपेक्षासे भी अल्पबहुत्व बतलाया गया है । जैसे चौथे गुणस्थानमें उपशम सम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं। उनसे क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं और उनसे वेदकसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं। इस हीनाधिकताका कारण उत्तरोत्तर संचयकालकी अधिकता है। पांचवें गुणस्थानमें क्षायिक सम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं। इसका कारण यह है कि बहुत कम ही क्षायिक सम्यग्दृष्टि संयमासंयमको ग्रहण करते हैं, वे अधिकतर सीधे संयमको ही धारण करते हैं। इस गुणस्थानमें क्षायिक सम्यग्दृष्टियोंसे उपशम सम्यग्दृष्टि असंख्यातगुणित होते हैं और उनसे वेदक सम्यग्दृष्टि असंख्यात गुणित होते हैं। छठे सातवें गुणस्थानमें उपशम सम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम होते हैं। उनसे क्षायिक सम्यग्दृष्टि जीव संख्यात गुणित होते हैं और उनसे वेदक सम्यग्दृष्टि जीव संख्यात गुणित होते हैं । इस अल्पबहुत्वका कारण संचयकालकी हीनाधिकता ही है । इसी प्रकारका सम्यक्त्वसम्बन्धी अल्पबहुत्व अपूर्वकरण आदि तीन उपशामक गुणस्थानोंमें जानना चाहिए। यहां यह बात ज्ञातव्य है किं इन गुणस्थानोंमें उपशम सम्यक्त्व और क्षायिक सम्यक्त्व ये दो सम्यक्त्व होते हैं, वेदक सम्यक्त्व नहीं। इसका कारण यह है कि वेदकसम्यक्त्वी जीव उपशमश्रेणीपर नहीं चढ़ सकता है । अतः उपशमश्रेणीके अपूर्वकरणादि तीन गुणस्थानोंमें उपशम सम्यक्त्वी जीव सबसे कम हैं और उनसे क्षायिक सम्यक्त्वी जीव संख्यात गुणित हैं। आगेके गुणस्थानोंमें और क्षपकश्रेणीके गुणस्थानोंमें सम्यक्त्वसम्बन्धी अल्पबहुत्व नहीं है, क्योंकि वहां सभी जीवोंके एक क्षायिक सम्यक्त्व ही पाया जाता है । इसी प्रकार पहिले, दूसरे और तीसरे गुणस्थानमें भी अल्पबहुत्व नहीं है, क्योंकि उनमें सम्यक्त्व होता ही नहीं है।
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