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. अर्चयस्व हषीकेशं यदीच्छसि परं पदम् .
[संक्षिप्त पापुराण
वेश्या बोली-पतिव्रते ! आप जल्दी बताइये। राजाके कानोंमें पड़ी, तब उन्होंने रातमें घूमनेवाले समस्त मैं सच-सच कहती हूँ आपका अभीष्ट कार्य अवश्य गुप्तचरोंको बुलाया और कुपित होकर कहा–'यदि तुम्हें करूंगी। माताजी ! आप तुरंत ही अपनी आवश्यकता जीवित रहनेकी इच्छा है तो आज चोरको पकड़कर मेरे बतायें और मेरी रक्षा करें।
हवाले करो।' राजाकी यह आज्ञा पाकर सभी गुप्तचर __पतिव्रताने लजाते-लजाते वह कार्य, जो उसके व्याकुल हो उठे और चोरको पकड़नेकी इच्छासे चल पतिको श्रेष्ठ एवं प्रिय जान पड़ता था, कह सुनाया। उसे दिये । उस नगरके पास ही एक घना जंगल था, जहाँ सुनकर वेश्या एक क्षणतक अपने कर्तव्य और उसके एक वृक्षके नीचे महातेजस्वी मुनिवर माण्डव्य समाधि पतिकी पीड़ापर कुछ विचार करती रही। दुर्गन्धयुक्त लगाये बैठे थे। वे योगियोंमें प्रधान महर्षि अनिके समान कोढ़ी मनुष्यके साथ संसर्ग करनेकी बात सोचकर उसके देदीप्यमान हो रहे थे। ब्रह्माजीके समान तेजस्वी उन मनमें बड़ा दुःख हुआ। वह पतिव्रतासे इस प्रकार महामुनिको देखकर दुष्ट गुप्तचरोंने आपसमें कहाबोली-'देवि ! यदि आपके पति मेरे घरपर आयें तो मैं 'यही चोर है। यह धूर्त अद्भुत रूप बनाये इस जंगलमें एक दिन उनकी इच्छा पूर्ण करूंगी।'
निवास करता है।' यों कहकर उन पापियोंने मुनिश्रेष्ठ ____पतिव्रताने कहा-सुन्दरी ! मैं आज ही रातमें माण्डव्यको बाँध लिया। किन्तु उन कठोर स्वभाववाले
अपने पतिको लेकर तुम्हारे घरमें आऊँगी और जब वे मनुष्योंसे न तो उन्होंने कुछ कहा और न उनकी ओर अपनी अभीष्ट वस्तुका उपभोग करके सन्तुष्ट हो जायेंगे, दृष्टिपात ही किया। जब गुप्तचर उन्हें बाँधकर राजाके तब पुनः उनको अपने घर ले जाऊँगी।
पास ले गये तो राजाने कहा-'आज मुझे चोर मिला वेश्या बोली-महाभागे। अब शीघ्र ही अपने है। तुमलोग इसे नगरके निकटवर्ती प्रवेशद्वारके मार्गपर घरको पधारो। तुम्हारे पति आज आधी रातके समय मेरे ले जाओ और चोरके लिये जो नियत दण्ड है, वह इसे महलमें आये।
दो।' उन्होंने माण्डव्य मुनिको वहाँ ले जाकर मार्गमें ' यह सुनकर वह पतिव्रता स्त्री अपने घर चली आयी। वहाँ पहुँचकर उसने पतिसे निवेदन किया'प्रभो! आपका कार्य सफल हो गया। आज ही रातमें आपको उसके घर जाना है।' . कोढ़ी ब्राह्मण बोला-देवि ! मैं कैसे उसके घर जाऊँगा, मुझसे तो चला नहीं जाता। फिर किस प्रकार वह कार्य सिद्ध होगा? ___पतिव्रता बोली-प्राणनाथ ! मैं आपको अपनी पीठपर बैठाकर उसके घर पहुँचाऊँगी और आपका मनोरथ सिद्ध हो जानेपर फिर उसी मार्गसे लौटा ले आऊँगी।
ब्राह्मणने कहा- कल्याणी ! तुम्हारे करनेसे ही मेरा सब कार्य सिद्ध होगा। इस समय तुमने जो काम किया है, वह दूसरी स्त्रियोंके लिये दुष्कर है।
श्रीभगवान् कहते हैं-उस नगरमें किसी धनीके घरसे चोरोंने बहुत-सा धन चुरा लिया। यह बात जब