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हरिवंशपुराणे नितम्बास्फालनैरङ्गप्रत्यङ्गस्पर्शनैर्मिथः । मिथुनं मन्मथोद्दीप्तं चिक्रीड विविधक्रियम् ॥१०२॥ यथासत्त्वं यथाभावं यथावदग्ध्यमङ्गना । पुंसः सुखाय तस्यासौ बभूव सुरतोत्सवे ॥१०३॥ श्रमप्रस्विन्नसर्वाङ्गौ कृतसंवाहनौ मिथः । नागाविव कृताश्लेषौ शयने शयितावुभौ ॥१०॥
वंशस्थवृत्तम प्रकृष्टवैदग्ध्यहृतात्मनोस्तयोः प्रसुप्तयोः प्रेमनिबद्धचित्तयोः । प्रवृत्तवृत्तान्तमिव प्रवेदितुं प्रभातसंध्यां' व्यसृजत्प्रभाकरः ।।१०५॥ सहेन्दुना बन्धुरयाप्रसंध्यया सुरञ्जिता द्यौरभजत्परां युतिम् । सुचित्तवृत्त्या सुमुखेन सन्मुखी वधूरिवाऽसौ वनमालिका नवा ॥१०६॥ नृपं शयानं सुमुखं विभाकरः सरोरुहश्रीवनमालया सह । महोदयाद्रिस्थित एव च द्रुतो व्यबोधयल्लोकमिमं यथा जिनः ॥१०७॥ इत्यरिष्टनेमिपुराणसंग्रहे हरिवंशे जिनसेनाचार्यकृती सुमुखवनमालावर्णनो
नाम चतुर्दशः सर्गः ॥१४॥
दशनसे, कण्ठग्रहणसे, केशग्रहणसे, नितम्बास्फालनसे और अंग-प्रत्यंगके स्पर्शसे परस्पर नाना प्रकार को कोड़ा को ॥१०१-१०२॥ वनमालामें जैसा उत्साह था, जैसा भाव था, और जैसा चातुर्य था उन सबके अनुसार वह संभोगोत्सवके समय राजा सुमुखके सुखके लिए हुई थी-उसने अपनी समस्त चेष्टाओंसे राजा सुमुखको सुखी किया था ॥१०३।। तदनन्तर थकावटसे जिनके सर्व शरीरमें पसीना आ गया था और जो परस्पर एक दूसरेका संमर्दन कर रहे थे ऐसे वे दोनों, हस्तीहस्तिनी. के समान आलिंगनकर शय्यापर सो गये ॥१०४।। तदनन्तर अत्यधिक चातुर्यसे जिनकी आत्मा हरी गयी थी, और चित्त प्रेमरूपी बन्धनसे बद्ध थे ऐसे गाढ़ निद्रामें निमग्न सुमुख और वनमालाका क्या हाल है ? यह जानने के लिए ही मानो सूर्यने प्रभात सन्ध्याको भेजा। भावार्थआकाशमें प्रातःकाल की लालिमा छा गई ॥१०५।। उस समय चन्द्रमाके साथ-साथ सुन्दर प्रभात सन्ध्यासे अनुरंजित ( रक्तवर्ण को हुई ) द्यावा ( आकाशरूपी स्त्री ) राजा सुमुख द्वारा उत्तम मनोवृत्तिसे अनुरंजित (प्रसन्न की हुई ) सुवदना नव-वधू वनमालाके समान सुशोभित हो रही थी ॥१०६॥ जिस प्रकार जिनेन्द्र भगवान् समवसरणमें सिंहासनारूढ़ हो इस समस्त लोकको प्रबुद्ध करते हैं उसी प्रकार आगत सूर्यने उदयाचलपर स्थित होकर कमलोंके समान सुशोभित वनमालाके साथ सोते हुए राजा सुमुखको प्रबुद्ध किया-जगाया ॥१०७।। इस प्रकार अरिष्टनेमि पुराणके संग्रहसे सहित जिनसेनाचार्य रचित हरिवंशपुराणमें सुमुख
और वनमालाका वर्णन करनेवाला चौदहवाँ सर्ग समाप्त हुआ ॥१४॥
१. सन्ध्या
म. । २. सन्धया म.।
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