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हरिवंशपुराणे
प्रस्तारश्चास्य विन्यस्य त्रिलोका कृतिरत्र तु । धारणाः पारणाश्चापि त्रिंशदेकादशक्रमात् ॥ ६० ॥ फलमस्य विधेः श्रेष्ट कोष्टबीजादिबुद्धयः । त्रिलोकसारभूतं च त्रिलोकशिखरे सुखम् || ६१॥ क्रमेणाद्यन्तमध्येषु यः पञ्चैकोपवासकः । वज्रमध्यो विधिः स स्याद् गण्याः पारणधारणाः ।। ६२ ।। शक्रचक्रिगणेशत्वं समनः पर्ययोऽवधिः । प्रज्ञाश्रमणतो मोक्षो वज्रमध्यविधेः फलम् ||६३ || द्वयाद्यास्ते यत्र पञ्चान्ता द्वयन्ताश्च चतुरादयः । विधिमृदङ्गमध्योऽयं मृदङ्गाकृतिरिष्यते ।। ६४ ।।
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तीन लोकके आकार बनाना चाहिए। इसमें तीस धारणाएँ अर्थात् तीस उपवास और ग्यारह पारणाएँ होती हैं । उनका क्रम यह है पाँच उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, एक उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा और एक उपवास एक पारणा । इस विधि में इकतालीस दिन लगते हैं । इस विधिका फल कोष्ठवीज आदि ऋद्धियां तथा तीन लोकके शिखरपर तीन लोकका सारभूत मोक्ष सुखका प्राप्त होना है ।। ५९-६१ ॥
महासर्वतोभद्रयन्त्र
उपवास १ २ ३ ४ ५
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पारणा १ १ १ १
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उपवास ३ ४ पारणा १ उपवास ५ ६ पारणा १ १ उपवास ७ पारणा १ १ उपवास २ ३ पारणा १
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उपवास ४ ५ वारणा १
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उपवास ६ ७ १ पारणा १ १ १
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त्रिलोकसारविधियन्त्र
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वज्रमध्यविधि - जिसमें आदि और अन्तमें पाँच-पाँच तथा बीचमें घटते घटते एक बिन्दु रह जाये वह वज्रमव्यविधि है इसमें जितनी बिन्दुएँ हैं उतने उपवास और जितने स्थान हैं उतनी पारणाएँ जानना चाहिए। इनका क्रम इस प्रकार है-पांच उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा तीन उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, एक उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा और पांच उपवास एक पारणा । इस व्रतमें उनतीस उपवास और नो पारणाएँ होती हैं तथा अड़तीस दिनमें समाप्त होता है । इन्द्र, चक्रवर्ती और गणधरका पद, अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान, प्रज्ञाश्रमण ऋद्धि और मोक्षका प्राप्त होना इस वज्रमध्यविधिका फल है ।। ६२-६३||
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मृदंगमध्यविधि - जिसमें दोसे लेकर पांच तक और चारसे लेकर दो तक बिन्दुएँ रखी जावें वह मृदंगाकार प्रस्तारसे युक्त मृदंगमध्यविधि है। इसमें जितनी बिन्दुएँ हैं उतने उपवास और जितने स्थान हैं उतनी पारणाएं जानना चाहिए। इनका क्रम यह है- दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, पाँच उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा और दो उपवास एक पारणा । इस प्रकार इस
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