Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 985
________________ ९४७ शब्दानुक्रमणिका रक्ता ( भौ) एक महानदी ५।१२५ रजनी = षड्जस्वरकी मुर्छना १९।१६१ रत्नवीर्य (भौ) अन्धकवृष्णिके पूर्वभवोंसे सम्बन्ध रखने वाला एक राजा १८०९७ रक्ता (भौ) पाण्डुकवनके नैऋत्य __ में स्थित शिला ५।३४७ ।। रेवतक (भौ) गिरनार पर्वत ५५।५९ रोमशैत्य (व्य) बलदेवका पुत्र ४८।६८ रुक्मी (व्य) एक राजा५०७८ रुक्मिणी ( व्य) कुण्डिनपुरके राजा भीष्मकी पुत्री कृष्ण की पट्टराज्ञी ४२।३४ रजोबहुल = पापसे युक्त, पक्षमें धूलिसे परिपूर्ण रैवतकगिरि = गिरनार पर्वत ४२।९६ रोचनकूट (भौ) मेरुसे उत्तर सीता नदीके पूर्व तटपर स्थित एक कूट ५।२०८ रजत, रजतप्रम (भौ) कुण्डल गिरिके दक्षिण दिशा सम्बन्धी कूट ५।६९१ रजत (भी) नन्दनवनका एक कूट ५।३२९ रजत (भी) रुचिकगिरिका उत्तर दिशासम्बन्धी कूट ५१७१६ रजतकूट (भौ) मानुषोत्तरको पश्चिम दिशाका एक कूट ५।६०५ रजक (भौ) नन्दनवनका एक कूट ५/३२९ रघूत्तम (व्य) रामचन्द्रजो ४६।२२ रङ्गसेना (व्य) चन्दनवन नगर___ की एक गणिका २९।२६ रक्तोदा (भौ) एक महानदी ५।१२५ रक्काकूट (भी) शिखरिकुलाचल का पाँचवाँ कूट ५।१०६ रक्तगान्धारी = मध्यम ग्रामके आश्रित जाति १९।१७६ रक्तपञ्चमी = मध्यम ग्रामके आश्रित जाति १९।१७६ रक्तवती कुट (भौ) शिखरि कुलाचलका आठवां कूट ५।१०७ [ल] लक्षण (पा) अष्टांग निमित्तका एक अंग १०१११७ लक्षपर्वा = एक विद्या २२।६७ लक्ष्मणा (व्य) सिंहल द्वीपके श्लक्ष्णरोम राजाकी पुत्री, कृष्णकी एक पट्टराज्ञी ४४/२० लक्ष्मी (व्य) पुण्डरीक सरोवरमें रहनेवाली देवी ५११३० लक्ष्मीकुट (भौ) वि. द. नगरी २२।९७ लक्ष्मीकूट (भौ) शिखरिकुला चलका छठा कूट ५।१०६ लक्ष्मीग्राम (भी) एक ग्राम ६०.२६ लक्ष्मीमती (व्य) राजा सोम प्रभकी स्त्री ९।१७९ लक्ष्मीमती (व्य) महापद्म चक्र वर्तीकी स्त्री, पद्मकी माता २०१४ लक्ष्मीमती(व्य) सोमदेवकी स्त्री ब्राह्मणी ६००२७ लक्ष्मीमती (व्य) युधिष्ठिरकी स्त्री ४७।१८ लक्ष्मीमती (व्य) रुचिकगिरिके रुचक कूटपर रहनेवालो देवी ५१७०९ लघु = शीघ्र ३८।२३ लता(पा)चौरासी लाख लतांगों की एक लता होती है ७.२९ लताङ्ग(पा)चौरासी लाख ऊहों का एक लतांग ७१३० लब्धाभिमान (व्य) वनबाहुका पुत्र १८३ लब्धि(पा) क्षयोपशम, विशुद्धि, प्रायोग्य, देशना तथा करण ये पाँच लब्धियाँ ३११४१ लब्धि (पा) ज्ञानावरण कर्मके क्षयोपशमसे प्रकट हई देखने आदिकी भावेन्द्रिय रूप शक्ति १८१८५ लम्बुसा (व्य) रुचिकगिरिके स्फटिक कूटपर रहनेवाली देवी ५७१५ लय = तालगत गान्धर्वका एक प्रकार १९११५१ ललिताङ्ग (व्य) भगवान् ऋषभ देवका पूर्व भव ९।५८ लल्लक्क (भौ) तमःप्रभा पृथिवीके तृतीय प्रस्तारका इन्द्रक विल ४।१४७ लव (पा) सात स्तोकोंका एक लव होता है ७२० लवणार्णव (भौ) लवणसमुद्र ५।४३० लागल (भौ) सानत्कुमार युगल का पाँचवाँ इन्द्रक ६।४८ लागलावर्ता (भौ)पश्चिमविदेह का एक देश ५।२४५ लान्तव(भौ)सातवाँ स्वर्ग६।३७ लान्तव (भौ) लान्तव युगलका दूसना इन्द्रक ६१५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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