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वैडूर्य ( भी ) सौधर्म युगलका चौदहवाँ इन्द्रक ६०४५ वैडूर्यकूट ( भी ) महाहिमवत् कुलाचलका आठवाँ कूट
५।७२
वैढूर्यकू (भौ) रुचिकगिरिका पूर्व दिशासम्बन्धी एक कूट
५/७०५
मानुषोत्तर
वडूर्यकूट ( भौ) पर्वतकी पूर्व दिशाका एक कूट ५६०२
वर्यप्रम (भी) सहस्रार स्वर्गका एक बिमान २७।७४ वैडूर्यमय (भौ ) मेरुकी एक
परिधि ५।३०५ वैडूर्यवर ( भो ) अन्तिम सोलह द्वीपों में दसवाँ द्वीप ५।६२४ वेण स्वरका एक भेद
=
१९।१४६
वैताढ्य ( भी ) विजयार्धका दूसरा नाम ५।५८८ वैताड्य पर्वत ( भौ) विजयार्ध - गिरि ४२।१७ वैदर्भ (व्य) पुष्पदन्तका प्रथम गणधर ६०।३४७ वैदर्भ (भो) देशका नाम ११।६९ वैदम (व्य) रुक्मिणीके भाई
रुक्मीकी पुत्री ४८।११ वैदग्ध्य = चतुराई १९८ वैदिश (भी) देशविशेष ११।७४ वैदिशपुर ( भी ) एक नगर ४५।१०७
वैद्युत (व्य) विद्युद्वेगका पुत्र
१३।२४
वैनयिक (पा) अंग बाह्यश्रुतका एक भेद २।१०३ वैभार ( भी ) राजगृहीकी एक पहाड़ीका नाम ३५४ वैयावृत्य = वैयावृत्य नामका तप
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शब्दानुक्रमणिका
सेवा ( दुःखेभ्यो व्यावृत्तिः प्रयोजनं यस्य ) १८ १३९ वैयावृत्य = भावना ३४।१४० वैर (व्य) ऋषभदेवका गणधर १२।६७
वैरोचन ( भी ) अनुदिश ६ ६३ वैशाखस्थान = बराबरीपर पाँव
फैलाकर खड़े होना ४८ वैष्णव = विद्यास्त्र २५४४७ वैश्रवण ( भी ) पूर्वविदेहका वक्षारगिरि ५।२२९
वैश्रवण (व्य) कुबेर ६१।१८ वैश्रवणकूट (भौ ) ऐरावत के विज
यार्धका नौवां कूट ५।११२ वैश्रवणकूट (भी) हिमवत् कुला
चलका ग्यारहवाँ कूट५ ।५५ वैश्चतु (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।१७
वैश्वानर (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।१७ व्यय (पा) : पूर्व पर्यायका नाश
१1१
व्यञ्जन (पा) शब्द ५६ ६२ व्यन्जन (पा) अष्टांग निमित्त
ज्ञानका एक अंग १०।११७ व्यन्तर = किन्नर, किम्पुरुष आदि व्यन्तर देव ३।१३५ व्यन्तर देव = किन्नर, किम्पुरुष, गन्धर्व आदि देवोंका एक समूह २१८०
व्यवहारपल्य
पा ) कालका एक परिमाण ७४७-४९ व्यसु = मृत ३५।५ व्युच्छिन्न (वि) विच्छेदको प्राप्त
हुए १।१३
व्योमचर = विद्याके निकायका नामान्तर २२।५८
व्रणसंरोहिणी = एक विद्या
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९५७
वण संरोहण = विद्यास्त्र २५।४९ व्रत (पा) हिंसादि पाँच पापका परित्याग १ अहिंसा, २ सत्य, ३ अचौर्य, ४ ब्रह्मचर्य और ५ अपरिग्रह ५६।१ व्रतधर (व्य ) एक मुनिराज ४९।१४
व्रतधर्मा (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।२९
व्याख्याप्रज्ञप्ति (पा) परिकर्मश्रुतका भेद १०।६२ व्याख्याप्रज्ञप्ति अङ्ग (पा) द्वादशांगका एक भेद १।९३ व्यवहार (पा) एक नद
५८।४१ वत्यनुरागिता (पा) सातावेदनीका आस्रव ५८/९४ व्रात (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।११
व्रात =
समूह १२८० व्यास = विस्तार ४२४ वेदनीय (पा) सुख-दुःखका अनुभव करानेवाला एक कर्म ५८ २१६
वैनयिक (पा) मिथ्यात्वका एक भेद ५८।१९४
[ रा ]
शकट ( भी ) भरतक्षेत्रका एक देश २७/२०
शकुनि (व्य ) एक राजा ५०८४ शकुनि (व्य) दुर्योधनका मन्त्री
४५।४१
शकटामुख (भौ) वि. उ. नगरी २२।९३
शक्रन्दमन (व्य) बलदेवका पुत्र ४८६६
शक्तितस्तप - भावना ३४।१३८ शक्तितस्रयाग-भावना ३४।१३७
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