Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 1001
________________ शब्दानुक्रमणिका सन्धि-पदगत गान्धर्वको विधि १२।१४९ सन्मति (व्य)प्रतिश्रुति कुलकर का पुत्र दूसरा कुलकर ७।१४८ सन्नरेन्द्र उत्तम विषवैद्य, पक्षम उत्तम राजा १६४६ सपर्या= पूजा २२७ सपाणि%= तालगत गान्धर्वका एक प्रकार १९।१५१ सप्तकृत्व = सात बार २५।१५ सप्तपर्णपुर (भौ) सप्तपर्ण देवका निवासस्थान ५।४२७ सप्तसप्तमतप-व्रतविशेष ३४।९१ सप्तवर्णवन (भौ) विजयदेवके नगरमे २५ योजन दूर दक्षिण में स्थित एक वन ५६४२ सप्तपञ्चार्थ (वि) विस्तारपूर्ण अर्थसे सहित ११७ सप्तर्द्धि (पा)तप, बुद्धि, विक्रिया, अक्षीण, औषध, रस और बल ३३४० समामण्डल - समवसरण २११४४ समन्तभद्र (व्य)समन्तभद्र नामक आचार्य श२९ समन्तानुपातिनि (पा) एक क्रिया '५८१७२ समयसत्य (पा) दश प्रकारके सत्यों में से एक सत्य १०।१०७ समवसरण तीर्थंकरकी धर्मसभा २०६६ समवस्थान = समवसरण ११११३ समय (पा) कालद्र व्यकी सबसे छोटी पर्याय ७।१८ समभिरूढ (प) एक तप ५८।४१ समवायाङ्ग (पा) द्वादशांगका एक भेद २१९२ समादान क्रिया (पा)एक क्रिया ५८१६४ समाधिगुप्त (व्य) आगामी तीर्थ कर ६०५६१ समाधिगुप्त (व्य) एक मुनि ६०।२८ समारम्म (पा) कार्यके साधन जुटाना ५८।८५ समालम्भन = विलेपन १९।४१ समावर्जित = धारण किये हुए ३८1५४ समासवर्ष = एक वर्ष एक माह १६१६४ समिति (पा)प्रमादरहित प्रवृत्ति १ ईहा, २ भाषा, ३ एषणा, ४ आदान-निक्षेपण और ५ प्रतिष्ठापन समीरण = वायु ३।२० समुच्छिन्न क्रियापाति (पा) शुक्लध्यानका चतुर्थ भेद । ५६७७ समुद्रदत्त (व्य) अयोध्याका एक सेठ ४३।१४८ समुद्रदत्त (व्य) एक मुनिराज १८।१०५ समुद्रविजय (व्य) बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथके पिता १७९ समुद्रविजय (व्य) अन्धकवृष्णि और सुभद्राके पुत्र, भगवान् नेमिनाथके पिता १८.१३ समुद्वर्तन = उपटना ३८१५४ सम्फली = दूती १४१७८ सम्मव (व्य) जरासन्धका पुत्र ५२।३७ सम्भवनाथ (व्य) तृतीय तीर्थ कर १३।३१ ९६३ सम्भ्रान्त (भौ)रत्नप्रभा पृथिवी के छठे प्रस्तारका इन्द्रक ४७६ सम्मद (व्य) रुद्र ६०५७१ सम्मेदशैल (भौ) सम्मेदशिखर निर्वाणभूमि १६७५ सम्यक्त्वक्रिया (पा) एक क्रिया ५८।६१ सम्यग्मिथ्यादृग (पा) तीसरा गुणस्थान अपर नाम मिश्र ३।८० सम्यग्दर्शन (पा) जीवादि सात तत्त्वोंका श्रद्धान करना २।११५ सम्यग्दर्शन भाषा (पा) सत्य प्रवाद पूर्वको १२ भाषाओं में से एक भाषा १०१९६ सयोगकेवली (पा) तेरहवा गुणस्थान ३।८३ सरवट (व्य) जगत्स्थामाका पुत्र ४५।४६ सरस्वती (व्य) जयन्तगिरिके राजा वायुविद्याधरकी स्त्री ४७१४३ सरस्वती (व्य)एक देवी५९।२७ सरागसंयम (पा) सातावेदनीय का आस्रव ५८।९४ सरिता (भौ) पूर्वविदेहका एक देश ५।२४९ सर्वाह्न (व्य)प्रतिमाओंके समीप विद्यमान एक यक्ष ५/३६३ सर्वगन्ध (व्य) अरुणवर द्वीपका रक्षक देव ५।६४५ सर्वगुप्त (व्य) भगवान् ऋषभ देवका गणधर १२।५९ सर्वञ्जय (व्य) विनमिका पुत्र २२।१०५ सर्वतोभद्र (व्य) नाभिराजके भवनका नाम ८४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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