Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 1003
________________ शब्दानुक्रमणिका ९६५ संयतासंयत (पा) पापोंका एक देश करनेवाले श्रावक ३।१४८ संयतासंयत (पा) पाँचां गुण स्थान ३२८१ संयोग (पा) अजीवाधिकरण आस्रवका भेद ५८१८६ संयोजनासत्य (पा) दश प्रकार के सत्योंमें-से एक सत्य १०।१०३ संरम्भ (पा) कार्य करनेका संकल्प करना ५८।८५ संवर (व्य) ऋषभदेवका गणधर १२।६३ संवादी = स्वरप्रयोगका एक प्रकार १९।१५४ संवेग = भावना ३४।१३६ संवृतिजन्य (पा) दश प्रकारके सत्योंमें-से एक सत्य १०११०२ संसद् = समवसरण सभा २।११२ संस्थान - आकार ३.१९७ संस्थानविचय (पा) धर्म्यध्यान ___ का भेद ५६।४८ सिंह (भी) वि. उ. नगरी २२१८७ साकारमन्त्रभेद (पा) सत्याणु व्रतका अतिचार ५८११६९ साकेत (भो) अयोध्यानगरी १८।९७ सागर (व्य) सुभद्रका पुत्र १३।१ सागर(पा) असंख्यात वर्षोंका पुत्र एक सागर होता है ४।२५२ सागर (व्य) राजा उग्रसेनका ४८।३९ सागर (व्य) एक राजा ५०।११८ सागर कूट (भो) माल्यवान् पर्वतका एक कूट ५।२१९ सागरचन्द्र (व्य) मेघकूट नगरके जिनालयमें विद्यमान एक अवधिज्ञानी मुनि ४७।६० सागरचित्रक (भौ) नन्दनवनका एक कूट ५।३२९ सागरसेन (व्य)एक मुनि६०७६ सागरसेन (व्य) दीपनका पुत्र १८९ सातासात (पा) आग्रायणी पूर्व के चतुर्थ प्राभृतका योग द्वार १०१८४ सात्यकि (व्य) एक मुनि ४३।११० साधारण = वैणस्वरका भेद १९।१४७ साधारणक्रिया = शारीरस्वरका भेद १९.१४८ साधारणकृत = चौदह मुर्छ नाओंका एक स्वर१९।१६९ साधु = सज्जन ११४३ साधु (व्य) साधुपरमेष्ठी ११२८ साधुसमाधि-भावना ३२११३९ साधुसेन (व्य) ऋषभदेवका गणधर १२।६१ सानुकार (भौ) अच्युत स्वर्गका प्रथम इन्द्रक ६५१ सानुधरी (व्य) महेन्द्रको स्त्री ६०९८१ सामायिक (पा) अंगवाह्यश्रुतका एक भेद २११०२ सामायिक-समस्त सावद्ययोगका त्याग कर चित्त स्थिर करना ३४।१४३ सामायिक चारित्र (पा)चारित्र का एक भैद ६४।१५ साम्परायिक (पा) आसवका भेद ५८।५८ सारण(व्य)वसुदेव और रोहिणी का पुत्र ४८।६४ सारण (व्य) एक राजा ५२।२० सारनिवह (भौ) वि. उ. नगरी २२८७ सारमेय-कुत्ता ४३।१५१ सारस्वत (व्य)लौकान्तिक देवों का एक भेद ९।६४ सालम्बप्रत्याख्यान = यदि जीवित रहे तो अन्न-पानी ग्रहण करेंगे इस प्रकारकी प्रतिज्ञासे युक्त संन्यास २०१२४ सालाभ्याशशिलातले = सागौन वृक्षके निकटवर्ती शिलातल पर २।५८ साल्व (भी) देश-विशेष ३।३ सासादन (पा) दूसरा गुणस्थान ३१८० सित (व्य) अमरावर्तका शिल्प ४५।४५ सित(व्य) एक तापस ४६।१४ सिता (व्य) विजयकी स्त्री१९।४ सिद्ध (पा) आठ कर्माको नष्ट करनेवाले मुक्त जीव ३१६६ सिद्ध (पा) वादि-प्रतिवादियों के द्वारा निर्णीत १११ सिद्ध (व्य) सिद्धपरमेष्ठी १२८ सिद्धसेन ( व्य) एक आचार्य ११३० सिद्ध स्तूप (पा) समवसरण के स्तूप ५७।१०३ सिन्दूर (भौ) अन्तिम सोलह द्वीपोंमें तीसरा द्वीप५।६२३ सिद्धार्थ (व्य) बलदेवका सारथि ६११४१ सिद्धार्थ (व्य) दशपूर्वके ज्ञाता एक आचार्य १।६२ सिद्धार्थ (व्य) बलदेवका स्नेही देशविशेष १११२१ सिद्ध (व्य) मानुषोत्तरके अंजन For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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