Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 1013
________________ हिरण्यगर्भ (व्य) हिरण्यं गर्भे यस्य सः=भगवान् ऋषभदेवका एक नाम ८ २०६ हिरण्यनाभ (व्य ) एक यादव महारथी राजा ५० /७९ हिरण्यवती (व्य ) हिडम्बवंशके राजा सिंहघोष और रानी सुदर्शनाकी पुत्री ४५।११५ हिरण्यवती (व्य ) राजा अतिबल और उसकी रानी श्रीमती. की पुत्री २२।१३० हिरण्यवर्मा (व्य) जयकुमारके पूर्वभवका नाम १२।१३ हुण्डकसंस्थान (पा) एक संस्थान ४।३६८ हुताशन = अग्नि १५ ३० हृदिक (व्य) राजा वृषमित्रका पुत्र ४८।४१ हृषीकेश (व्य जरासन्धका एक पुत्र ५२०३६ Jain Education International शब्दानुक्रमणिका हृष्यका = स्वरग्रामकी एक मूर्च्छना १९।१६४ हृध्यकान्ता = स्वरग्रामकी एक मूर्च्छना १९।१६७ हेतु = कारण ७।१४ हेला = क्रीडा ३६।३७ हेमवेत्रकर= सोनेकी छड़ी हाथमें लेकर ८४५३ हैडिम्ब = हिडम्ब वंशसम्बन्धी ४५।११८ हैम (पा) पाँच वर्णके मणियों में - से एक मणि ७।७२ हैमवत कूट ( भी ) महा हिमवान् पर्वत आठ कूटों में से एक कूट ५।७२ हैमासन ८।७० स्वर्णमय सिंहासन = हैयङ्गवीन = नवनीत १८ १६२ हैरण्यवत कूट ( भी ) शिखरी पर्वतके अग्रभागपर स्थित एक कूट ५।१०६ For Private & Personal Use Only ९७५ हैरण्यवत कूट ( भी ) रुक्मी पर्वत - के अग्रभागमें स्थित एक कूट ५।१०३ हैरण्यवत (भौ) जम्बूद्वीपके सात क्षेत्रों में से एक क्षेत्र ५।१४ हैमवत ( भी ) जम्बूद्वीपके सात क्षेत्रों में एक क्षेत्र ५।१३ हदवती (व्य) नील पर्वत से निकली हुई एक नदी ५।२३९ ही (व्य) पद्मसरोवर की एक देवी ५।१३० ही ( व्य उत्तर दिशाके आठ कूटों में से छठे कुण्डल कूटपर स्थित एक देवी ५।७१६ कूट (भी) महाहिमवान् पर्वतके आठ कूटों में से एक कूट ५।७२ हीकूट ( भी ) निषध पर्वत के नी कूटों में से एक कूट ५।८९ होमन्त ( भी ) एक पर्वत २२।१४३ www.jainelibrary.org

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